Kedarnath Helicopter Crash:मौत के उड़नखटोले, 12 सालों में 7 से ज्यादा हादसे, सिस्टम पर सवालिया निशान
Kedarnath Helicopter Crash:हेलीकॉप्टर सेवा को लेकर सवाल खड़े
Kedarnath Helicopter Crash केदारनाथ में हुए हेलीकॉप्टर हादसे के बाद एक बार फिर हेलीकॉप्टर सेवा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। हादसे में जान गंवाने वाले 7 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है। इसको लेकर एक बार फिर बहस छिड़ी हुई है। हेली कंपनियों के मानकों को चेक करने और उनकी मनमानी को रोकने के लिए सरकारी सिस्टम फेल नजर आता है।
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मॉनटिरिंग के लिए बनाए गए सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े
खराब मौसम बर्फबारी में भी उड़ान भरना साथ ही विजबिलटी की समस्या कारण कुछ भी रहें हो केदारनाथ में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश से एक बार फिर हेली कंपनियों की मॉनटिरिंग के लिए बनाए गए सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं। डीजीसीए, यूकाडा, जीएमवीएन और प्रशासन ये सभी इन विमानों की मॉनटिरिंग करते हैं।
दो माह पहले ही जुर्माने की कार्रवाई की थी
समुद्रतल से 11657 फीट की ऊंचाई पर केदारनाथ धाम है। दो माह पहले ही नागरिक उड्डयन महानिदेशालय, डीजीसीए ने इसी वजह से पांच हेलीकाप्टर आपरेटरों पर पांच-पांच लाख रुपये के जुर्माने की कार्रवाई की थी, जबकि दो आपरेटरों को तीन माह के लिए निलंबित किया गया था। इसी वर्ष 30 मई को यात्रियों को लेकर जा रहे एक हेलीकाप्टर की केदारनाथ में रफ लैंडिंग हुई थी। इसके बाद डीजीसीए ने केदारनाथ में हेलीकाप्टरों के संचालन की जांच कराई।
सात हेलीकाप्टर आपरेटरों ने नियमों का उल्लंघन किया
तब ये बातें सामने आई थी कि सात हेलीकाप्टर आपरेटरों ने नियमों का उल्लंघन किया। जांच में ये भी सामने आया कि उड़ान के रिकार्ड को ही नहीं रखा गया। 31 मई 2022 को केदारनाथ में ही यात्रियों से भरे एक एक हेलिकॉप्टर की हार्ड लैंडिंग हुई थी। जिसके बाद जून में डॉयरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने 7 और 8 जून को ऑडिट कराया इसमें पता चला कि केदारनाथ में हेलिकॉप्टर सेवा देने वाली पांचों कंपनियां सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करती।
एक ऑपरेटर एक दिन में अधिकतम 30 शटल सेवा संचालित कर सकता
सुरक्षा संबंधी नियमों पर ध्यान कम देती हैं, एक दिन में चॉपर के उड़ाने भरने की संख्या साफ मौसम वाले दिन में ढाई सौ तक उड़ानें संभव हो जाती हैं। डीजीसीए की ओर तय स्लॉट के अनुसार एक ऑपरेटर एक दिन में अधिकतम 30 शटल सेवा संचालित कर सकता है। चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टरों के तय मानक से कम ऊंचाई पर उड़ान भरने को लेकर हर बार विवाद होता है। केदारनाथ के लिए उड़ान भर रहे हेलीकॉप्टरों पर निगहबानी के लिए कोई ठोस और प्रभावी तंत्र नहीं है।
सूचनाओं के लिए हेली कंपनियों पर ही निर्भर
केदारनाथ के लिए उड़ान भर रहे हेलीकॉप्टरों पर निगहबानी के लिए कोई ठोस और प्रभावी तंत्र नहीं है। हालांकि यूकाडा की ओर से प्रत्येक हेली कंपनी के लिए मानकों के अनुरूप एक रोस्टर बनाया गया। लेकिन सरकार या यूकाडा सिरसी, गुप्तकाशी, मैखंडा, फाटा से उड़ान भरने वाले हेलीकॉप्टरों के बारे में सूचनाओं के लिए हेली कंपनियों पर ही निर्भर है कि उन्होंने कितने चक्कर काटे, कितनी देर हॉल्ट किया और कितनी ऊंचाई पर उड़ान भरी। यही वजह है कि अब यूकाडा एक निगहबानी तंत्र बनाने की तैयारी कर रहा है।
वन्यजीव संरक्षण के लिए तय मानकों का उल्लंघन
केदारनाथ संवेदनशील क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण के लिए तय मानकों का उल्लंघन हो रहा है। हेली सेवा को वन्यजीव संस्थान ने सख्त मानक बनाए हैं। हेली सेवा की उड़ान जमीन से छह सौ मीटर ऊंचाई पर रखने के साथ ध्वनि प्रदूषण का मानक अधिकतम 50 डेसिबल तक है। लेकिन हेलीकॉप्टर कई बार महज दो सौ मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर रहे। जिसका कई बार स्थानीय लोग विरोध कर चुके हैं। इन हेली सर्विस से वनस्पति और जानवरों को नुकसान हो रहा है।
केदारनाथ यात्रा में हेली कंपनियों की सेवा
वर्ष 2014 में केदारनाथ यात्रा में सिर्फ 6 हेली कंपनियों ने अपनी सेवा दी थी। वहीं यह संख्या 2016 व 2017 में 13 तक जा पहुंची। वर्तमान में भी नौ हेली कंपनियां केदारनाथ यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवा का संचालन कर रही हैं। केदारनाथ जाने के लिए गुप्तकाशी, फाटा और सिरसी से सुविधाएं दी जा रही हैं। केदारनाथ पर बना हेलीपैड मंदिर से करीब 700 मीटर दूर है। गुप्तकाशी से केदारनाथ धाम की दूरी करीब 23 किलोमीटर है। हेलीकॉप्टर से यात्रा करने में करीब 15 मिनट लगते हैं। सिरसी में बना हेलीपैड केदारनाथ के सबसे नजदीक है। यहां से 11 मिनट में यात्री केदारनाथ पहुंच जाता है। नौ कंपनियों के करीब नौ हेलीकॉप्टर इसके लिए लगाए गए हैं। हेली सर्विस के लिए मुख्यता ऑनलाइन बुकिंग की जाती है।
डीजीसीए के मानकों का हेली कंपनियां कहीं भी पालन नहीं कर रही
केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत का कहना है कि डीजीसीए के मानकों का हेली कंपनियां कहीं भी पालन नहीं कर रही हैं। कई बार इसको लेकर सवाल उठाए गए लेकिन कुछ भी समाधान नहीं निकला। इससे जहां यात्रा का स्वरूप खराब हो रहा है, वहीं लोगों की जान भी खतरे में पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की सर्विस से न केवल आम लोगों को परेशानी हो रही है, साथ ही वनस्पति, पशु, पक्षियों और जानवरों को भी भारी नुकसान हो रहा है।
हेलीकॉप्टर पेसेंजर गाड़ियां बनी हुई हैं-जय सिंह
वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का कहना है कि केदारनाथ की हेली कंपनियों की कई बार शिकायतें आती हैं। पैसे कमाने के चक्कर में लोगों की जान से खेला जा रहा है। हेलीकॉप्टर पेसेंजर गाड़ियां बनी हुई हैं। ये हादसे मल्टीफेलियर है। ऐसे मामलों में डीजीसीए, यूकाडा, जीएमवीएन से लेकर स्थानीय प्रशासन सबकी जवाबदेही बनती है।
केदारनाथ में अब तक हेलीकॉप्टर हादसे
- वर्ष 2010 हेलीकॉप्टर के पंखे की चपेट में आने से एक युवक की मौत
- 2013 राहत और बचाव कार्य में लगे एक निजी कंपनी के हेलिकॉप्टर के 21 जून को जंगल चट्टी क्रैश होने से पायलट की जान गई
- 24 जून 2013 केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहा हेलीकॉप्टर पायलट इंजीनियर की मौत
- 2016 केदारनाथ से गुप्तकाशी टेकऑफ करते समय हेलीकॉप्टर का दरवाजा खुला
- 3 अप्रैल 2018 निर्माण सामग्री ले जा रहा निजी हेलीकॉप्टर दो हिस्सों में टूटा
- 2019 टेकऑफ के दौरान हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी
- 31 मई 2022 केदारनाथ हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर का पिछला हिस्सा टकराया
- 25 जून 2013 सेना का उप.17 हेलीकॉप्टर जंगल चट्टी की पहाड़ी पर टकराने से क्रैश, 20 अधिकारी और जवान शहीद