Joshimath sinking... तो सरकार के लिए शहर को बचाने और चारधाम यात्रा का सफल संचालन करना नहीं होगा आसान
राज्य सरकार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है। केंद्रीय जांच एजेंसियों ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट एनडीएमए को सौंप दी है। जिसमें एक बड़े खतरे की आशंका जताने की बात सामने आ रही है।
जोशीमठ में भू धंसाव और दरारें आने के बाद से ही प्रदेश सरकार के लिए जोशीमठ शहर को बचाने और प्रभावितों के विस्थापन की चुनौती खड़ी है। राज्य सरकार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है। जिसके बाद ही जोशीमठ का भविष्य तय होगा। इस बीच केंद्रीय जांच एजेंसियों ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट एनडीएमए को सौंप दी है। जिसमें एक बड़े खतरे की आशंका जताने की बात सामने आ रही है। अब एनडीएमए इन रिपोर्ट का अध्ययन कर सरकार को अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपेगी।
सरकार के लिए बड़ी चुनौती
पानी के रिसाव और मिट्टी बहने से जोशीमठ के कई इलाकों को भारी नुकसान हुआ है। जिसका असर भविष्य में भी देखने को मिल सकता है। ऐसे में राज्य सरकार के पास विस्थापन के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार जोशीमठ में भू धंसाव और दरारों से अब तक करीब 460 जगह जमीन के अंदर 40 से 50 मीटर तक गहरी दरारें मिली हैं। ऐसे में भू-धंसाव से प्रभावित 30 फीसदी क्षेत्र कभी भी धंस सकता है। जिसमें करीब 4 हजार लोग प्रभावित हो सकते हैं। अगर इस तरह का असर जोशीमठ में हुआ तो आने वाला समय और भयावह हो सकता है। जो कि सरकार के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकता है।
सीबीआरआई नोडल एजेंसी
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राज्य सरकार ने रिपोर्ट के मामले में सीबीआरआई को नोडल एजेंसी बनाया था। उसने सभी संस्थानों की रिपोर्ट का परीक्षण कर इन्हें एनडीएमए को भेज दिया है। अब एनडीएमए इनका विश्लेषण करेगा। इसके बाद ही यह रिपोर्ट राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) को भेजी जाएंगी। जोशीमठ में 8 ऐजेंसियां रिपोर्ट तैयार कर रही हैं। जिनमें केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), वाडिया, आईआईटी रुड़की, एनजीआरआई, हैदराबाद,राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच),भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई),सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी)भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस) शामिल हैं। एनडीएमए की रिपोर्ट से ही बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर असर पड़ना तय है। अप्रैल माह में बद्रीनाथ के कपाट खुलने हैं। ऐसे में 3 माह में बद्रीनाथ के रास्ते को सही करना और जोशीमठ के बीच से यातायात का दुरस्त करने और दूसरे विकल्प को तैयार करने की चुनौती है। राज्य सरकार भले ही यात्रा सीजन तक जोशीमठ प्रकरण को सुलझाने और यात्रा का सफल संचालन करने का दावा कर रही है, लेकिन जिस तरह के हालात हैं, उसमें जोशीमठ को बचाना और चारधाम यात्रा का सफल संचालन कराना आसान नजर नहीं आ रहा है।