Kumbh Mela 2021: शाही स्नान के लिए भक्तों क उमड़ा सैलाब, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां, IG ने कही ये बात
हरिद्वार। कोरोना महामारी के साए में इस साल महाकुंभ का आयोजन हुआ है। आज कुंभ मेले का दूसरा शाही स्नान है, सुबह से श्रद्धालुगण गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। प्रशासन ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं और बार-बार लोगों से कोरोना गाइडलाइंस का पालन करने की अपील कर रहे हैं, बावजूद इसके लोग कोरोना गाइडलांस के नियम मान नहीं रहे हैं।
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कुंभ मेला आईजी संजय गुंजयान मे कहा कि हम लोगों से लगातार लोगों से कोविड नियमों के पालन करने की अपील कर रहे हैं लेकिन भारी भीड़ के कारण यह व्यावहारिक रूप से असंभव है, खासकर घाटों पर लोगों से सामाजिक दूरी जैसे नियम का पालन करा पाना बहुत ज्यादा मुश्किल है। लोग बिना मास्क लगाए मेले में नजर आ रहे हैं।
तीसरा शाही स्नान बैसाखी यानी 14 अप्रैल को होगा
घाट सुबह 7 बजे तक लोगों के स्नान करने के लिए थे लेकिन अब वहां अखाड़े के लोग स्नान कर रहे हैं। मालूम हो कि पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि के मौके पर 11 मार्च को हुआ था और अब तीसरा शाही स्नान बैसाखी यानी 14 अप्रैल को होगा तो वहीं चौथा और आखिरी शाही स्नान 27 अप्रैल यानी कि चैत्र पूर्णिमा को होगा।
महत्व
- ऐसा माना जाता है कि कुंभ मेले में शाही स्नान करने से इंसानों के सारे पाप मिट जाते हैं और सारी परेशानियों का अंत हो जाता है।
- कुंभ में स्नान करने से इंसान के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- कुंभ के स्नान को शाही स्नान इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इस दौरान साधुओं का सम्मान एकदम राजसी ढंग में होता है।
हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक हैं कुंभ नगरी
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब सागर मंथन के दौरान समुद्र से अमृत निकला तो देवताओं और असुरों में उसके लिए झगड़ा होने लगा लेकिन इसी बीच इंद्र पुत्र जयंत ने धन्वन्तरि के हाथों से अमृत कुंभ छीना और भाग खड़ा हुआ। इससे बौखलाकर दैत्य भी जयंत का पीछा करने के लिये भागे। जयंत 12 वर्षो तक कुंभ के लिये भागता रहा। इस अवधि में उसने 12 स्थानों पर अमृत का कुंभ रखा। जहां-जहां कुंभ रखा वहां-वहां अमृत की कुछ बूंदे छलक कर गिर गई और वे पवित्र स्थान बन गये इसमें से आठ स्थान, देवलोक में और चार स्थान भू-लोक अर्थात भारत में है। यह चार स्थान है हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक इसलिए इन्हें कुंभ नगरी कहा जाता है।
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