ये है दूसरी सबसे ऊंची झील, भारत-चीन युद्ध के बाद पहली बार लोगों ने अब किए दर्शन
जोशीमठ। देश की दूसरी सबसे ऊंची झील देवताल के दर्शन करने के लिए माणा गांव के लोग बरसों बाद गए। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद यहां आमजन के जाने पर रोक लगा दी गई थी। देवताल झील में पितरों के तर्पण की परंपरा थी। 1962 के युद्ध के बाद पहली बार अब यहां 18 लोगों को जाने की मंजूरी दी गई। देखने में ये जगह पैंगोंग झील जैसी प्रतीत होती है। मगर, यहां पानी उसकी तुलना में कम है।
देश की दूसरी सबसे ऊंची झील है देवताल
देवताल झील की ऊंचाई 17,998 फीट है। वहीं, लद्दाख स्थित पैंगोंग-त्सो झील14,100 फीट की ऊंचाई पर है, और वह पूर्वी लद्दाख में राजधानी लेह से 150 किमी की दूरी पर चांगला दर्रा (17,000 फीट) के उस पार है। जिसे देश की सबसे बड़ी और प्राकृतिक खारे पानी की झील बताया जाता है। मगर, जो तस्वीरे अभी चीन सीमा के पास स्थित देश की दूसरी सबसे ऊंची झील देवताल की सामने आई है, वह पैंगोंग से ज्यादा खूबसूरत लग रही है।
दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा मोटरेबल पास
उत्तराखंड में चमोली जिला स्थित माणा गांव के प्रधान पीतांबर सिंह बताते हैं कि गांव से 58 किमी दूर दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा मोटरेबल पास माणा है। पहले इसी रूट से लोग तिब्बत व्यापार करने जाते थे। देवताल झील उसी रास्ते में पड़ती है, जहां पितरों के तर्पण की सदियों पुरानी परंपरा थी, लेकिन युद्ध के बाद वहां जाने पर पाबंदी थी। भारत-चीन युद्ध के बाद पहली बार माणा गांव के लोगों ने देवताल झील के दर्शन किए हैं।
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19 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित है माणा गांव
माणा गांव करीब 19 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस गांव के बारे में कहा जाता है कि, मणिभद्र देव के नाम पर 'माणा' नाम पड़ा था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह भारत का एकमात्र ऐसा गांव है, जो धरती पर मौजूद चारों धामों में भी सबसे पवित्र माना जाता है। इस गांव को शापमुक्त और पापमुक्त भी माना जाता है।