चिपको आंदोलन के नेता, पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना से निधन
चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना से निधन
देहरादून, 21 मई: देश के जाने-माने पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का निधन हो गया है। वो 94 साल के थे। चिपको आंदोलन के नेता रहे सुंदरलाल बहुगुणा कोरोना संक्रमित हो गए थे। कोरोना होने के बाद उनको उनको ऋषिकेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था। एम्स प्रशासन की ओर से द गई जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार दोपहर करीब 12 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली।
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सुंदरलाल बहुगुणा को कोरोना होने पर आठ मई को एम्स में भर्ती कराया गया था। डायबिटीज के साथ ही वह कोविड निमोनिया से पीड़ित थे। यहां उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन 86 फीसदी पर आ गया था। गुरुवार को एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल ने बताया था कि डॉक्टरों की टीम उनका इलेक्ट्रोलाइट्स और लीवर फंक्शन टेस्ट समेत ब्लड शुगर की जांच की जा रही है। गुरुवार को एम्स की ओर से उनकी हालत स्थिर होने की बात कही गई थी लेकिन शुक्रवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई और उनको बचाया नहीं जा सका।
पीएम ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर दुख जताया है। अपने ट्वीट में नरेंद्र मोदी ने लिखा कि उन्होंने प्रकृति के साथ रहने के हमारे सदियों पुराने तरीके की वकालत की। उनकी सादगी और करुणा की भावना को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।
सुंदरलाल बहुगुणा ने उत्तराखंड में पर्यावरण से जुड़े कई मुद्दों पर आंदोलन किए थे। खासतौर से चिपको आंदोलन के लिए उनको दुनियाभर में शोहरत मिली थी। उत्तराखंड के टिहरी में जन्मे सुंदरलाल बहुगुणा ने 60 के दशक में दशक में वनों और पेड़ों को बचाने के लिए आंदोलन शुरू किया था। गढ़वाल हिमालय में पेड़ों के कटने से बचाने के लिए 1974 को चमोली जिले में महिलाओं ने पेड़ों से चिपककर विरोध किया था, बहुगुणा इस आंदोलन के बाद काफी मशहूर हो गए थे।
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सुंदरलाल बहुगुणा ने 80 के दशक में इंदिरा गांधी से आग्रह कर 15 सालों तक पेड़ों के काटने पर रोक भी लगवाई थी। बहुगुणा ने टिहरी बांध के खिलाफ भी जोरदार आंदोलन चलाया था। सुंदरलाल बहुगुणा ने अपनी उम्र का ज्यादातर हिस्सा पर्यावरण के लिए आंदोलनों में ही बिताया।