उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत की 'ताजपोशी', बने राज्य के 10वें मुख्यमंत्री
देहरादून: वैसे तो पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं, लेकिन इन दिनों उत्तराखंड की सियासत सबसे ज्यादा गरमाई हुई है, जहां मंगलवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बुधवार को तीरथ सिंह रावत के नाम पर मुहर लगी और उन्होंने शाम चार बजे राज्य के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। मौजूदा वक्त में तीरथ सिंह पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद भी हैं।
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दरअसल मंगलवार को त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफे के बाद बुधवार को देहरादून में बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई गई। इस बैठक के लिए बीजेपी हाईकमान ने केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह और प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम को दिल्ली से भेजा था। इसके अलावा बैठक में त्रिवेंद्र सिंह रावत, सतपाल महाराज समेत कई मंत्री और विधायक मौजूद रहे। शुरू में माना जा रहा था कि केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, राज्य सरकार में मंत्री सतपाल महाराज मुख्यमंत्री पद की रेस में आगे हैं, लेकिन बैठक में तीरथ सिंह रावत के नाम पर मुहर लगी। इसके बाद राज्यपाल ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
वहीं पीएम मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर तीरथ सिंह रावत को बधाई दी। उन्होंने कहा कि तीरथ सिंह के पास एक बड़ा प्रशासनिक और संगठनात्मक अनुभव है। मुझे विश्वास है कि उनके नेतृत्व में राज्य प्रगति की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ेगा। वहीं रमन सिंह ने कहा कि हम सब तीरथ सिंह रावत को बधाई देने आए हैं। उन्हें हमारी शुभकामनाएं हैं। एक साल का जो वक्त उन्हें मिला है उसका अच्छे से जनता के लिए इस्तेमाल करें। जल्द ही बाकी मंत्रियों का भी शपथ ग्रहण होगा।
सांसद
हैं
तो
कैसे
बने
मुख्यमंत्री?
नियमों
के
अनुसार
मुख्यमंत्री
पद
की
शपथ
बिना
विधायक
रहते
ली
सकती
है।
इसके
बाद
मुख्यमंत्री
को
6
महीने
का
वक्त
मिलता
है।
इस
समय
सीमा
के
अंदर
उनका
विधानसभा
या
विधान
परिषद
का
सदस्य
बनना
अनिवार्य
है।
अगर
ऐसा
नहीं
हुआ
तो
मुख्यमंत्री
पद
छोड़ना
पड़ेगा।
उत्तराखंड
की
बात
करें
तो
तीरथ
सिंह
रावत
अभी
संसद
की
सदस्यता
से
इस्तीफा
देकर
मुख्यमंत्री
बन
जाएंगे,
लेकिन
वहां
पर
विधान
परिषद
नहीं
है,
जिस
वजह
से
उनको
6
महीनों
के
अंदर
विधानसभा
का
चुनाव
जीतकर
सदन
में
जाना
होगा।
क्यों
TSR
ने
दिया
इस्तीफा?
सूत्रों
के
मुताबिक
राज्य
के
कई
मंत्री
और
बड़ी
संख्या
में
विधायक
त्रिवेद्र
सिंह
रावत
से
खुश
नहीं
थे।
पहले
भी
कई
बार
उन्होंने
अपनी
नाराजगी
हाईकमान
के
सामने
व्यक्त
की
थी।
बीजेपी
के
कुछ
बड़े
नेताओं
ने
तो
यहां
तक
दावा
कर
दिया
था
कि
अगर
2022
का
चुनाव
त्रिवेंद्र
सिंह
रावत
के
नेतृत्व
में
लड़ा
गया
तो
पार्टी
की
हार
पक्की
है।
जिस
वजह
से
हाईकमान
ने
उत्तराखंड
में
नया
चेहरा
लाने
का
फैसला
लिया।