यूपी में कांग्रेस के महिला कार्ड का उत्तराखंड में क्या होगा असर, जानिए क्या कहते हैं समीकरण ?
उत्तराखंड में भी महिलाओं को अधिक टिकट देने की मांग
देहरादून, 20 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के विधानसभा चुनाव में 40 परसेंट सीटों पर महिलाओं को टिकट देने के ऐलान के बाद पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी चुनावी साल में अब महिलाओं की टिकट में भागीदारी बढ़ाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। उत्तराखंड में कांग्रेस ही नहीं कांग्रेस के इस कदम का भाजपा की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण ने भी समर्थन करते हुए 50 परसेंट टिकट पर महिला दावेदारों की उतारने की वकालत की है। जिससे आने वाले दिनों में उत्तराखंड की राजनीति पर भी इस ऐलान का असर दिखना तय है।
यूपी
के
फैसले
से
बदलेगा
समीकरण
उत्तरप्रदेश
में
कांग्रेस
ने
बड़ा
दांव
खेला
है।
प्रियंका
गांधी
ने
उत्तर
प्रदेश
में
40
परसेंट
सीटों
पर
महिला
दावेदार
उतारने
का
ऐलान
किया
है।
प्रियंका
गांधी
ने
दूसरे
राज्यों
जहां
चुनाव
मे
इस
तरह
के
निर्णय
के
लिए
प्रदेश
के
संगठन
और
चुनाव
प्रभारियों
पर
डालने
की
बात
की
है।
साफ
है
कि
उत्तराखंड
में
भी
अब
इसका
असर
दिखना
साफ
है।
कांग्रेस की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य
प्रियंका जी के इस फैसले से हमारी भी उम्मीदें बढी हैा उत्तराखंड में भी पार्टी को महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व देना चाहिए। कांग्रेस लोकसभा में भी 33 परसेंट सीट रिजर्व करने की मांग करते आ रहे हैं। उत्तराखंड के परिपेक्ष में भी कांग्रेस हाईकमान अधिक से अधिक टिकट मिले, इसके लिए वे प्रयासरत हैं।
भाजपा की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और यमकेश्वर विधायक ऋतु खंडूडी भूषण
महिलाओं को 50 परसेंट टिकट पर दावेदारी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही हूं। में पहले से ही महिलाओं की चुनाव में सहभागिता को लेकर जोर शोर से मांग कर रही हूं। यूपी में कांग्रेस की पहल का स्वागत है।
कुल
मतदाताओं
में
47
परसेंट
महिला
मतदाता
उत्तराखंड
प्रदेश
में
अभी
कुल
7909103
मतदाता
हैं।
इनमें
से
4165814
पुरुष
और
3743056
महिला
मतदाता
हैं।
प्रतिशत
की
बात
करें
तो
कुल
मतदाताओं
में
47
परसेंट
महिला
मतदाता
हैं।
प्रदेश
के
पांच
विधानसभा
क्षेत्र
ऐसे
हैं,
जहां
महिला
मतदाताओं
की
संख्या
पुरुषों
से
अधिक
है।
गढ़़वाल
मंडल
में
केदारनाथ
विधानसभा
में
महिला
मतदाता
पुरुषों
की
तुलना
में
अधिक
हैं।
कर्णप्रयाग,
रुद्रप्रयाग,
पौड़ी,
कोटद्वार
और
चौबट्टाखाल
में
पुरुष
व
महिला
मतदाताओं
के
बीच
1000
से
भी
कम
का
ही
अंतर
है।
वहीं,
कुमाऊ
मंडल
में
धारचूला,
डीडीहाट,
द्वाराहाट
और
पिथौरागढ़
विधानसभा
क्षेत्रों
में
महिला
मतदाताओं
की
संख्या
पुरुषों
से
अधिक
है।
कपकोट
में
पुरुष
व
महिला
मतदाताओं
में
केवल
800
का
अंतर
है।
सबसे
ज्यादा
2012
में
6
महिला
विधायक
चुनकर
आए
राजनैतिक
दल
भले
ही
टिकटों
में
महिलाओं
को
आरक्षण
देने
की
वकालत
कर
रहे
हैं
लेकिन
उत्तराखंड
में
इसकी
सच्चाई
कुछ
और
ही
है।
आंकड़े
बताते
हैं
कि
महिलाओं
के
टिकट
और
महिला
विधायकों
का
आंकड़ा
उत्तराखंड
में
बहुत
कम
है।
उत्तराखंड
में
अब
तक
महिलाओं
की
भागीदारी
की
बात
करें
तो
2012
में
सबसे
ज्यादा
6
महिला
विधायक
एक
साथ
दिखाई
दी
हैं।
2017
में
5
और
इससे
पहले
2002
और
2007
के
चुनाव
में
सिर्फ
चार-चार
महिला
विधायक
ही
रहीं।
पार्टी
के
भीतर
महिलाओं
को
33
फीसदी
सीटें
देने
की
मांग
उठती
रहीं,
लेकिन
बामुश्किल
10
से
13
फीसदी
तक
ही
महिलाओं
को
टिकट
मिल
पाए।
2017
में
कांग्रेस
ने
8
परसेंट
जबकि
भाजपा
ने
5
परसेंट
ही
टिकट
महिलाओं
को
दिए।