कांग्रेस को झटका देने के बाद अब आखिर भाजपा की गोटी सेट करेंगे उपेंद्र सिंह
उनका काम अपने वोट बैंक को भाजपा की ओर मोड़ना और नाराज कांग्रेसियों के वोट को बगावत में बदलकर भाजपा प्रत्याशियों का रास्ता आसान करना होगा।
इलाहाबाद। कांग्रेस से निकाले गए उपेंद्र सिंह ने आखिरकार संभावनाओं को सच साबित करते हुए भाजपा का दामन थाम लिया। इलाहाबाद में जब सीएम योगी पहुंचे तो उनके समक्ष ही उपेंद्र सिंह को भाजपा ज्वाइन कराई गई। अब उपेंद्र सिंह भाजपा के लिए शहर उत्तरी बेल्ट में राजनीतिक गोटी सेट करेंगे। उनका काम अपने वोट बैंक को भाजपा की ओर मोड़ना और नाराज कांग्रेसियों के वोट को बगावत में बदलकर भाजपा प्रत्याशियों का रास्ता आसान करना होगा। हालांकि इसके लिए अब ज्यादा समय नहीं है, लेकिन उपेंद्र मंझे खिलाडी हैं और उनकी पैठ कांग्रेस के ऊपरी नेतृत्व से लेकर आम कार्यकर्ताओं में है, ऐसे में बचे-खुचे समय में वो खुद को मठाधीश साबित करने में कोई कसर नहीं छोडेंगे। वैसे भी कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने और पार्टी से निकाले जाने के बाद उपेंद्र का खेमा अपनी राजनीतिक अस्मिता पर आई आंच को हटाना चाहता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी करना ही इनका पहला लक्ष्य होगा।
कमजोर हुई कांग्रेस!
शहर उत्तरी कांग्रेस का गढ़ रहा है, विधायक अनुग्रह नारायण और उनकी टीम के एक कुशल सेनापति में से एक रहे उपेंद्र बड़ी भूमिका अदा किया करते थे। यही कारण था कि नेहरू की जन्मस्थली यानी कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले इस पूरे इलाके को मजबूत किला बना दिया था, लेकिन इस बार हर्ष बाजपेई ने उसे ढहा कर कमल खिला दिया। विडंबना ये है कि अब उपेंद्र सिंह भी कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा के साथ आ गए। ऐसे में पहले से कमजोर कांग्रेस के और अधिक कमजोर हुई है, क्योंकि इस चुनाव में सपाई भी कांग्रेस के मुस्लिम वोट को काटेंगे।
क्यों गए उपेंद्र?
कांग्रेस द्वारा विजय मिश्रा को महापौर का टिकट दिए जाने के बाद ही उपेंद्र ने बगावत कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने महानगर पद से इस्तीफा दिया और फिर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने उन्हें 6 वर्ष के लिए बर्खास्त कर दिया। दरअसल उपेंद्र खुद भी महापौर टिकट के दावेदार थे, लेकिन उनकी दावेदारी की अनदेखी की गई और भाजपा छोड़कर आए विजय मिश्रा को टिकट दे दिया गया।
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