UP Population policy: RSS-VHP की आपत्तियों के बाद इन बिंदुओं पर रुख बदल सकती है योगी सरकार
लखनऊ, 21 जुलाई: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार प्रस्तावित जनसंख्या नीति में कुछ बदलावों पर विचार कर सकती है। खबरों के मुताबिक आरएसएस और विश्व हिंदू संगठन की ओर से कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताए जाने के बाद योगी सरकार इसपर नए सिरे से विचार कर रही है। असल में यूपी विधि आयोग को प्रस्तावित जनसंख्या विधेयक को लेकर 8 हजार से ज्यादा सुझाव मिले हैं और माना जा रहा है कि उन सबपर मंथन के बाद अंतिम मसौदा तैयार किया जाएगा, जिसे यूपी सरकार अगले महीने मानसूत्र के दौरान विधानमंडल में पेश कर सकती है।
एक बच्चे वालों को ज्यादा प्रोत्साहन देने पर पुनिर्विचार!
यूपी सरकार की जनसंख्या नीति का प्रस्तावित ड्राफ्ट जैसे ही सामने आया था, तभी विश्व हिंदू परिषद ने एक बच्चे वाले दंपति को प्रोत्साहित करने के विचार पर आपत्ति दर्ज की थी। अब जानकारी सामने आ रही है कि योगी सरकार प्रस्तावित ड्राफ्ट से इस प्रावधान को हटा सकती है। प्रत्साव ये था कि जिन माता-पिता के सिर्फ एक बच्चे होंगे, उन्हें राज्य की सरकारी योजनाओं के अतिरिक्त लाभ दिए जाएंगे। जिनमें अतिरिक्त इंक्रीमेंट से लेकर ग्रैजुएशन तक मुफ्त शिक्षा और स्कूलों में दाखिले तक में तरजीह दिए जाने की बात है। इसके अलावा बाकी कल्याणकारी योजनाओं में भी उन्हें तरजीह देने की बात है।
संघ और वीएचपी ने कुछ बिंदुओं पर की थी आपत्ति
मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'जनता के सदस्यों और कानून के जानकारों से भी हमें कई सुझाव मिले हैं और इस समय उसे देख रहे हैं। उन सुझावों और आपत्तियों पर मंथन करने के बाद ड्राफ्ट विधेयक में उचित बदलाव किए जाएंगे।' राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी नई जनसंख्या नीति को लेकर बीजेपी को आगाह किया था और उसमें कुछ बदलाव के सुझाव दिए थे। वीएचपी ने भी इसके कुछ प्रावधानों को हिंदुओं के खिलाफ बताया था। वैसे कुछ विपक्षी दलों ने भी कुछ मुद्दों पर सवाल उठाए हैं और राज्य सरकार से उसमें सुधार करने की मांग की है।
जनसांख्यिकीय असंतुल बढ़ने की जताई थी आशंका
गौरतलब है कि जैसे ही योगी सरकार ने इस मसौदे को सार्वजनिक किया था, वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा था कि प्रस्ताव के मुताबिक एक बच्चे वाले दंपति को प्रोत्साहित करने से समाज में जनसांख्यिकीय असंतुल और ज्यादा बढ़ जाएगा। उन्होंने सरकार से इसपर फिर से विचार करने की मांग थी और कहा था कि इससे जनसंख्या में नकारात्मक वृद्धि होती है। वीएचपी ने यूपी लॉ कमीशन में भी इसपर आपत्ति दर्ज कराई थी और इसे हटाने की राय दी थी। हिंदू संगठनों का कहना है कि अगर एक बच्चे वाले दंपति को सरकार प्रोस्ताहित करेगी तो हिंदू और मुसलमानों की जनसंख्या औसत में असमानता और बढ़ेगी। वैसे संघ से जुड़ो संगठनों ने आमतौर पर नई जनसंख्या नीति के प्रस्ताव का समर्थन किया है और कहा है कि जनसंख्या विस्फोट की स्थिति को देखते हुए इसपर समाज में सहमति है।
मानसून सत्र में आ सकता है नया जनसंख्या विधेयक
बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने एक संतान वाले माता-पिता को सरकारी योजनाओं में अतिरिक्त लाभ देने की सिफारिश की है। लेकिन, उत्तर प्रदेश जनसंख्या विधेयक (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण)-2021 के प्रारूप के कुछ बिंदुओं में बदलाव को लेकर राज्य विधि आयोग को तकरीबन 8 हजार सुझाव मिले हैं। अब जानकारी मिल रही है कि मसौदे में कुछ बिंदुओं पर लाभ का दायरा बढ़ाया भी जा सकता है और कुछ में कमी भी की जा सकती है। स्टेट लॉ कमीशन के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस एएन मित्तल के मुताबिक सभी 8 हजार सुझावों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर उसपर विचार किया जाएगा। उसके बाद मसौदे को अंतिम रूप देकर सरकार को दिया जाएगा। माना जा रहा है कि योगी सरकार अगले महीने मानसून सत्र में ही जनसंख्या नियंत्रण विधेयक विधानमंडल में पेश कर सकती है।