UP Nagar Nigam Election: चुनाव की तैयारियों में जुटी BSP, जिताऊ उम्मीदवारों पर फोकस
Bahujan Samaj Party की मुखिया Mayawati ने आगामी निकाय चुनावों को लेकर अपनी तैयारयों को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। पार्टी के सूत्रों की माने तो पार्टी की तरफ से संभावित उम्मीदवारों से बायोडाटा मांग रही है। पार्टी की योजना मेयर और चेयरपर्सन सीटों के लिए चुनाव लड़ने की है। 2017 के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के बाद यह दूसरी बार होगा जब पार्टी अपने चुनाव चिन्ह पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। नवंबर के अंत या दिसंबर में निगम के चुनाव होने की संभावना है।
निगम चुनाव में इच्छुक लोगों से बायोडाटा मांग रही पार्टी
पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि, "सीटों के आरक्षण को अंतिम रूप देने के बाद उम्मीदवारों के चयन में तेजी आएगी। फिलहाल पार्टी चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों से बायोडाटा मांग रही है। मौजूदा वार्डों का परिसीमन और नए वार्डों का गठन के अलावा विभिन्न जातियों और समूहों के लिए सीटों का आरक्षण तेजी से पूरा करने के बाद शहरी विकास विभाग द्वारा किया जाना है। जल्द ही उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा ताकि उन्हें प्रचार प्रसार के लिए समय दिया जा सके।''
उम्मीदवारों का चयन एक समिति की ओर से किया जाएगा
पार्टी उन नए सदस्यों में से उम्मीदवारों का चयन करेगी जो जून में शुरू हुए सदस्यता अभियान के दौरान पार्टी में शामिल हुए हैं, जिन्होंने इस साल विधानसभा चुनाव लड़ा और अच्छा प्रदर्शन किया और वे भी जो पहले कभी पार्टी से जुड़े नहीं रहे। पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, "एक समिति द्वारा चयन किया जाएगा और व्यक्ति की जीत मुख्य मानदंड होगी।" उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण मतदाताओं के मिश्रण वाले इलाकों में निकाय चुनाव होंगे।
संगठन को मजबूत करने के लिए बसपा लड़ रही चुनाव
पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, "यह कहना कि शहरी क्षेत्रों में पार्टी की मजबूत उपस्थिति नहीं है और इसलिए शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में इसकी संभावनाएं अच्छी नहीं होंगी, गलत है।" पार्टी ने मई में ही 2022 के शहरी स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की योजना की घोषणा की थी। निकाय चुनाव पार्टी को 2024 के आम चुनावों से पहले SWOT (ताकत, कमजोरियां, अवसर और खतरे) विश्लेषण करने में मदद करेंगे। सूत्रों ने कहा कि इसके बाद कमियों पर काम किया जा सकता है।
मतदाताओं तक पहुंचने के लिए बनेंगी वार्ड समितियां
पार्टी अपनी रणनीति के तहत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के संदेश को जमीनी स्तर पर अंतिम मतदाता तक पहुंचाने के लिए वार्ड स्तरीय समितियां बनाएगी। समितियों की मुख्य भूमिका पार्टी की विचारधारा का प्रचार और मतदाताओं की बेहतरी के लिए वह क्या करने की योजना बना रही है। वार्डों की जाति संरचना और सामाजिक प्रोफाइल को ध्यान में रखते हुए समितियों का गठन किया जाएगा। उनकी भूमिका "टोला, मोहल्ला" तक पहुंचने की होगी।
विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली थी हार
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी को निराशाजनक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था। चुनाव के दौरान पार्टी को केवल एक सीट पर जीत मिली थी। यूपी की 403 विधानसभा सीटों में केवल एक पर पार्टी की जीत से मायावती की रणनीति पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दलितों में बीजेपी की सक्रियता बढ़ने के बाद अब मायावती की पकड़ दलित वोट बैंक से छूटती चली जा रही है। मायावती को दलितों को समेटने के लिए नई रणनीति के तहत विचार विमर्श करना पड़ेगा।
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