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कुंडा का केवल एक ही राजा, एक लाख से अधिक वोटों से जीते राजा भैया

राजा भैया की कुंडा सीट से ये लगातार सातवीं जीत है। 1993 से लगातार राजा भैया निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से जीत हासिल करते रहे हैं।

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इलाहाबाद। यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की लहर ने जहां दूसरे विरोधी दलों को चित कर दिया है। समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन और बहुजन समाज पार्टी को इस चुनाव में करारा झटका लगा है। बावजूद इसके प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से बाहुबली रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक बार फिर से शानदार जीत दर्ज की है। राजा भैया की कुंडा विधानसभा सीट से ये लगातार सातवीं जीत है।

रंग में भंग: इधर कुंडा से जीते राजा भैया और उधर दर्ज हुआ उन पर हत्या का मुकदमारंग में भंग: इधर कुंडा से जीते राजा भैया और उधर दर्ज हुआ उन पर हत्या का मुकदमा

करीब एक लाख से ज्यादा मतों से जीते राजा भैया

प्रतापगढ की कुंडा विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का जलवा कायम है। वह लगातार सातवीं बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। इस बार राजा भैया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 1 लाख 3 हजार से अधिक वोटों से हराया है। राजा भैया को 1 लाख 36 हजार 223 वोट मिले जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के जानकी शरण पांडेय को 32,870 वोट मिले। जानकी शरण दूसरे स्थान पर रहे जबकि बहुजन समाज पार्टी के परवेज अख्तर को 17,176 वोट मिले।

कुंडा में हर तरफ जश्न

कुंडा में हर तरफ जश्न

कुंडा में राजा भैया की जीत के साथ जश्न शुरू हो गया है। गांव-गांव मिठाई बांटी जा रही है। मालूम हो कि प्रतापगढ जिले में राज घराने के युवराज राजा भैया की जमाने से तूती बोलती है। राजा भैया 24 साल की उम्र में विधायक बन गये थे। अपने फास्ट एक्शन और रिएक्शन के लिये मशहूर राजा भैया न सिर्फ जनता के बीच लोकप्रिय हैं बल्कि वर्तमान प्रतापगढ़ जिले में जब रजवाड़ी के समर भदरी स्टेट पर राजा भैया का घराना ही राज करता था राजा भैया यहां के राजकुमार थे। राजा भैया, राजा उदय प्रताप के बेटे हैं। राजा की बेंती कोठी से निकलकर पहली बार राजा भैया 1993 में चुनाव लड़े और मात्र 24 वर्ष की उम्र में विधायक बनकर राष्ट्रीय पटल पर छा गये और एक बार जीत उनकी हुई है।

बीजेपी की लहर के बावजूद राजा भैया ने मारा मैदान

बीजेपी की लहर के बावजूद राजा भैया ने मारा मैदान

अब जब भाजपा यूपी में पूर्ण बहुमत पा चुकी है। ऐसे में राजा भैया क्या अपना समर्थन भाजपा को देंगे? क्या भाजपा इन्हें मंत्री बनायेगी ? ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी की राजनीति में राजा भैया के दबदबे और कद का अंदाजा इसी बात ने लगाया जा सकता है कि 1996 के बाद मायावती सरकार को छोड़कर वह हर सरकार में मंत्री बने।

2012 में बीएसपी उम्मीदवार को दी थी शिकस्त

2012 में बीएसपी उम्मीदवार को दी थी शिकस्त

चाहे 1996 में पहली बार कल्याण सिंह की सरकार रही हो, 1999 में राम प्रकाश गुप्ता की सरकार रही हो, 2000 में भाजपा की राजनाथ सिंह सरकार और 2003 में सपा की मुलायम सिंह यादव की सरकार में भी राजा भैया को मंत्री पद से नवाजा गया। वर्तमान की अखिलेश सरकार में भी वह मंत्री बनाये गये। ऐसे में अब क्या होगा यह देखना दिलचस्प होगा।

अखिलेश सरकार में मंत्री थे राजा भैया

अखिलेश सरकार में मंत्री थे राजा भैया

राजा भैया किसी दल विशेष के प्रत्याशी नहीं बनते। हमेशा निर्दल लड़ते हैं और पूरी जनता उन्हें खुलकर वोट करती है और वह हमेशा से बंपर वोटों से जीतते हैं। फिलहाल एक बार फिर ने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने जीत दर्ज की है। 2012 में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीतने के बाद यूपी की अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन दिया था। इसका उन्हें फायदा मिला और यूपी की अखिलेश सरकार में उन्हें मंत्री पद दिया गया। हालांकि इस बार अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की करारी शिकस्त हुई है।

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English summary
UP election: Raghuraj Pratap Singh raja bhaiya magnificent win kunda seat.
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