उत्तर प्रदेश न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

UP election:स्वामी प्रसाद मौर्य का सपा में जाना भाजपा के लिए क्यों है खतरे की घंटी ? जानिए

Google Oneindia News

लखनऊ, 11 जनवरी: उत्तर प्रदेश में दोबारा सत्ता में लौटने की उम्मीद लगाई बैठी बीजेपी को मंगलवार को चुनावी तौर पर बहुत बड़ा झटका लगा है। कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी ही सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए पद तो छोड़ ही दिया है, सीधे मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के साथ हाथ मिला लिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य प्रदेश के बड़े ओबीसी नेता हैं और इस वजह से उनके समर्थक भी साइकल पकड़ लेंगे, इसमें किसी तरह से शक की गुंजाइश नहीं है। आइए जानते हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य का यह फैसला सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए क्यों बहुत बड़ी चुनौती मानी जा रही है।

स्वामी प्रसाद मौर्य का कदम भाजपा के लिए बड़ा झटका

स्वामी प्रसाद मौर्य का कदम भाजपा के लिए बड़ा झटका

जिस दिन यूपी चुनाव के लिए उम्मीदवारों को लेकर बीजेपी माथापच्ची करने में लगी रही, उस दिन कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे कद्दावर ओबीसी नेता का पार्टी और सरकार छोड़कर जाना निश्चित तौर पर सत्ताधारी दल के लिए मामूली घटना नहीं है। कभी मायावती की बसपा में नंबर दो की हैसियत रखने वाले नेता का इस तरह से चुनाव के मुहाने पर पार्टी से जाने का क्या मतलब है, वह उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की ट्विटर पर लिखी इस लाइन से पता चलता है- "आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है मैं नहीं जानता हूं। उनसे अपील है कि बैठकर बात करें, जल्दबाजी में लिये हुये फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं।" डिप्टी सीएम को भले ही जल्दबाजी में लिया हुआ फैसला लग रहा हो, लेकिन 68 वर्षीय स्वामी प्रसाद मौर्य राजनीति के माहिर खिलाड़ी रहे हैं और उन्होंने जो भी कदम उठाया है, वह उनके अपने और अपने बच्चों के राजनीतिक भविष्य के लिए तोल-मोल कर लिया गया कदम हो सकता है।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्यों छोड़ी बीजेपी ?

स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्यों छोड़ी बीजेपी ?

अगर स्वामी प्रसाद मौर्य का मौजूदा सियासी कद देखें तो वह गैर-यादव ओबीसी के बड़े नेता तो हैं ही खुद कुशीनगर जिले की पडरौना सीट से विधायक हैं। इससे पहले वे रायबरेली की ऊंचाहार सीट से भी दो बार विधायक रह चुके हैं। 2017 के चुनाव में उन्होंने अपने बेटे उत्कृष्ट मौर्य को यहीं से भाजपा के टिकट पर लड़ाया था, लेकिन वह सपा से हार गए थे। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर बदायूं सीट से अपनी बेटी संघमित्रा मौर्य को संसद भेजने में सफल हुए थे। जानकार मानते हैं कि उनका सपा की ओर देखने का एक कारण तो यह हो सकता है कि ऊंचाहार में यादव, मौर्य और मुसलमानों के सशक्त वोट बैंक के आधार पर वह अपने बेटे की सीट को सुरक्षित करना चाहते हैं। टिकट तो बीजेपी भी दे देती, लेकिन शायद वह दोबारा जोखिम नहीं लेना चाहते थे।

Recommended Video

Swami Prasad Maurya resigns: BJP के तीन और MLA ने भी दिया इस्तीफा | वनइंडिया हिंदी
भाजपा में बसपा जैसा कद नहीं मिल पा रहा था ?

भाजपा में बसपा जैसा कद नहीं मिल पा रहा था ?

स्वामी प्रसाद मौर्य का बहुजन समाज पार्टी में कद बहुत बड़ा था। वह बसपा से कई बार विधायक रहे, एमएलसी भी रहे। मायावती के वह सबसे करीबी नेता हुआ करते थे। बीएसपी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय महासचिव तक का दर्जा दिया था। लेकिन, भाजपा के राजनीतिक ढांचे में वह अपने लिए उतनी बड़ी हैसियत का जुगाड़ नहीं बिठा पा रहे थे। शायद इसलिए उन्हें लगता है कि उनके लिए दलित और पिछड़ों की राजनीति करने के लिए समाजवादी पार्टी में ज्यादा गुंजाइश हो सकती है। क्योंकि, यूपी में पहले दौर के चुनाव से एक महीने से भी कम समय रहने पर उनको अचानक महसूस हुआ है कि जिस बीजेपी सरकार में वे मंत्री थे, उसमें 'दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों और छोटे-लघु, मध्यम श्रेणी के व्यापरियों की घोर उपेक्षा' हो रही है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को भेजे इस्तीफे में उन्होंने यही लिखा है।

स्वामी प्रसाद मौर्य के आने से सपा को क्या फायदा ?

स्वामी प्रसाद मौर्य के आने से सपा को क्या फायदा ?

स्वामी समर्थक कुछ और एमएलए का भी साइकिल की सवारी करना तय माना जा रहा है। दरअसल, सपा मुखिया अखिलेश यादव की यह पूरी कवायद नॉन-यादव ओबीसी वोटरों में अपनी पकड़ मजबूत करने की है, जिसमें पिछले तीन चुनावों (दो लोकसभा और एक विधानसभा) से बीजेपी भारी पड़ रही है। इस संबंध में वन इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रेम कुमार से बात की है। उन्होंने कहा है, "समाजवादी पार्टी की नॉन-यादव वोटरों में पैठ कैसे बढ़े इसको लेकर वह सक्रिय रही है, खासकर इस चुनाव में। ओम प्रकाश राजभर समेत कई छोटे-छोटे दलों के साथ पार्टी ने गठबंधन किया है।" लेकिन स्वामी ने चुनाव के इतने नजदीक आने पर ऐसा क्यों किया? इसकी ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी में चाचा-भतीजा के बीच जो सियासी दूरी कम हुई है, उसका ये एक आफ्टर इफेक्ट है।...इस रूप में देखा जाए तो भाजपा से किसी नेता का अलग होना जितना महत्वपूर्ण है, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है उसका विपक्ष के साथ जाकर जुड़ जाना। आमने-सामने की लड़ाई में जहां स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी को कमजोर कर रहे हैं, वहीं समाजवादी पार्टी को मजबूत कर रहे हैं।"

इसे भी पढ़ें- यूपी में 'महाभारत काल' की इस सीट से जिस दल का जीता उम्मीदार, उसी ने बनाई लखनऊ में सरकारइसे भी पढ़ें- यूपी में 'महाभारत काल' की इस सीट से जिस दल का जीता उम्मीदार, उसी ने बनाई लखनऊ में सरकार

भाजपा के लिए क्यों है खतरे की घंटी ?

भाजपा के लिए क्यों है खतरे की घंटी ?

यह बात सही है कि पिछले तीन चुनावों से भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में वोटरों का अपना जो समीकरण तैयार किया है, उसमें गैर-यादव ओबीसी वोटरों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। अखिलेश यादव और उनकी समाजवादी पार्टी निश्चित तौर पर इसमें पिछड़ती रही है। लेकिन, अब भाजपा का एक बड़ा कद्दावर ओबीसी चेहरे का इस तरह से विरोधी खेमे में चला जाना, निश्चित तौर पर पार्टी के नीति-निर्धारकों के लिए चिंता की बात हो सकती है। जब प्रेम कुमार से हमने यह सवाल किया तो उन्होंने कहा, "कुल मिलाकर यह चुनावी फिजा को भी बताता है कि आज बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है; और इस चुनावी मुकाबले में कोई समाजवादी पार्टी को अपनी ठौर के तौर पर देखता है, वह भी ओबीसी वर्ग का कद्दावर नेता तो यह निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है; और खासकर तब जब ओबीसी वोटर जिसका ज्यादा हिस्सा इस समय बीजेपी के साथ है...उस हिस्से से छूटकर या टूटकर नेताओं का जाना बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है।"

यह निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है; और खासकर तब जब ओबीसी वोटर जिसका ज्यादा हिस्सा इस समय बीजेपी के साथ है...उस हिस्से से छूटकर या टूटकर नेताओं का जाना बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है।

Comments
English summary
UP election 2022:Just before elections, OBC leader Swami Prasad Maurya's resignation from the post of Cabinet minister and joing to SP, does not look good for BJP
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X