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चुनाव में जातीय गणित को साधने के लिए बीजेपी ने अपनाया कल्याण सिंह का जातीय फार्मूला

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लखनऊ, 16 जनवरी: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सेनाएं सजने लगी हैं। सभी पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवारों का एलान करना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में बीजेपी ने भी 107 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। बीजेपी के सूत्रों की माने तो बीजेपी ने वही फॉर्मूला अपनाया है जो कभी कल्याण सिंह अपनाया करते थे। अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी दलित और ओबीसी का कॉम्बिनेशन बनाकर चुनाव में मिशन 300 प्लस को हासिल करना चाहती है।

UP assembly election 2022 BJP adopted Kalyan Singh formula to handle caste math in elections

हालाकि यूपी में विपक्ष यह नैरेटिव सेट करने में जुटा है की ओबीसी समुदाय का बीजेपी से मोह भंग हो गया है। बीजेपी के तीन मंत्रियों दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी और स्वामी प्रसाद मौर्य के पाला बदलने के बाद ऐसा लग रहा था कि यूपी में ओबीसी समुदाय अखिलेश की तरफ शिफ्ट हो रहा है लेकिन अमित शाह ने कल्याण सिंह के फार्मूले पर चलते हुए सबसे ज्यादा टिकट ओबीसी को ही दिया है ताकि पार्टी के खिलाफ जो माहौल बन रहा है उसका डैमेज कंट्रोल किया जा सके।

बीजेपी ने चुनाव में पूर्व सीएम कल्याण सिंह के फार्मूले को तरजीह देते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया है। इसी फार्मूले पर चलते हुए बीजेपी को 1991 में क्लियर मेजोरिटी मिली थी। ठीक वैसा ही इतिहास 2014 में भी दोहराया गया था जब ओबीसी और दलित समाज की एकजुटता की वजह से सफलता मिली थी।

कल्याण सिंह के फार्मूले का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की बीजेपी की पहली लिस्ट में 44 ओबीसी और 19 दलित को टिकट दिया गया है जो लगभग 60 फीसदी के करीब है। यदि बलदेव सिंह औलख , जो की जात सिख माने जाते हैं वो भी ओबीसी की संख्या 45 बताते हैं। हालाकि पिछले चुनाव में भी बीजेपी ने पहली लिस्ट में 44 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया था।

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बीजेपी की पहली लिस्ट को लेकर बीजेपी के प्रवक्ता हीरो बाजपेई कहते हैं, बीजेपी के लिस्ट में बीजेपी के इस फार्मूले की झलक मिलती है जिसे सबका साथ, सबका विकास और सबक विश्वास कहा जाता है। कुछ लोगों के पारी छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। बीजेपी की पहली लिस्ट से साफ है कि बीजेपी ओबीसी और दलित समाज का पूरा ख्याल रख रही है। बाकी पार्टियां तो खोखले दावे करती हैं।

ओबीसी के अलावा बीजेपी अब दलितों पर भी कर रही फोकस
बीजेपी की पहली लिस्ट में 19 दलित समिद्य के लोगों को टिकट मिला है। दरअसल बीजेपी अब उन दलित वोटरों को साधना चाहती है जिनका बीएसपी से मोहभंग हो रहा है। बीजेपी दलित जाटव में सेंध लगाना चाहती है इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य समेत 19 लोगों को टिकट दिया गया है। दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 की तुलना में दलित और मुस्लिम के गठजोड़ की वजह से 9 सीटों से हाथ धोना पड़ा था और मायावती 10 सीटों पर जितभासिल करने में कामयाब हुई थी।

हालाकि मायावती भी दलित वोटरों को लेकर काफी सर्तक हैं क्योंकि बीजेपी की कोशिश है की खास इलाके में जाटव वोटो को बीजेपी में ट्रांसफर कार्य जाए। इसी संभावनाओं को भुनाने के लिए बीजेपी ने 13 जाटव दलित को टिकट दिया है। ये दलितों में एक उपजाति की तरह है जिसका पश्चिमी उप्र के कई विधानसभाओं में अच्छा खासा प्रभाव है।

वहीं ओबीसी और दलित के अलावा यदि बात सवर्णों की करें तो तो सबसे ज्यादा टिकट ठाकुर समुदाय को मिला है और उसके बाद ब्राह्मणों को पार्टी ने टिकट दिया है। हालाकि बीजेपी ने महिलाओ को पिछले चुनाव की तुलना में कम टिकट दिया है। पिछले चुनाव में बीजेपी की पहली लिस्ट में बीजेपी ने 13 महिलाएं को टिकट दिया था जबकि इस बार 10 महिलाओं को टिकट मिला है।

बीजेपी के टिकट वितरण फार्मूले को लेकर विद्यांत कालेज राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर मनीष हिंदवी कहते हैं कि, बीजेपी को पता है की ओबीसी और दलित फार्मूले पर आगे बढ़कर ही जीत मिलेगी। ऊपर से जिस तरह पिछले कुछ दिनों से ओबीसी नेताओं का पार्टी से पलायन हो रहा था उसे बीजेपी के सामने चुनौती और बढ़ गई थी। इसका असर बीजेपी की पहली लिस्ट में भी दिखाई पड़ा है। आने वाली अन्य लिस्ट में भी आप देखेंगे कि बीजेपी यही फॉर्मूला अपनाएगी।

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English summary
UP assembly election 2022 BJP adopted Kalyan Singh formula to handle caste math in elections
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