Union Budget 2023: मोदी सरकार ने "लाभार्थी वोट बैंक' पर लगाया दांव, जानिए इसके सियासी मायने
Union Budget 2023: यह आम बजट चूंकि अगले साल होने वाले आम चुनाव से ठीक पहले ही आया है इसलिए इसमें चुनावी वोट बटोरने का भी सरकार ने पूरा प्रयास किया है। बीजेपी ने अपने तथाकथित लाभार्थी वोट बैंक के लिए बड़ा ऐलान किया है।
Union Budget 2023: केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ने बुधवार को संसद में वित्तिय वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया। सरकार ने इस बार के बजट में कर्मचारी वर्ग, निचले तबके के लोगों, युवाओं और आदिवासी गांवों में रहने वाले लोगों पर फोकस किया है। राजनीतिक विष्लेषकों और आर्थिक जानकारों की माने तो यह बजट उन्हीं योजनाओं के इर्द-गिर्द घूम रहा है जिनके बल पर 2019 का लोकसभा चुनाव और यूपी में 2022 का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने जीता था। एक बार फिर केंद्र की बीजेपी सरकार ने अपने लाभार्थी वोट बैंक को सहेजने का पूरा ख्याल रखा है ताकि अगले साल चुनावी वैतरणी को पार किया जा सके।
चुनाव से पहले मिडिल क्लास को खुश करने की कोशिश
केंद्र की मोदी सरकार ने इस बार मिडिल क्लास को भी खुश करने का भरसक प्रयास किया है। 7 लाख तक की आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं देने का ऐलान कर इस क्लास को एक मैसेज देने का काम किया गया है। सही मायने में मिडिल क्लास बीजेपी का वोटर माना जाता है और इस वोट बैंक पर हमेशा ही बीजेपी की निगाह रहती है। लेकिन मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पहली बार टैक्स का दायरा बढ़ा है। यानी आठ साल में पहली बार मोदी सरकार ने मिडिल क्लास की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास किया है।
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इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (IPSEF) ने 2023-24 के बजट में 7 लाख तक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को आयकर से मुक्त रखने के निर्णय को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। फेडरेशन के राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि,
IPSEF ने 10 लाख रुपये तक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को आयकर से मुक्त रखने, पुरानी पेंशन की बहाली एवं वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराया में छूट देने की मांग की गई थी लेकिन सरकार ने उसे पूरा नहीं किया है। संगठन ने प्रधानमंत्री एवं वित्तमंत्री से पुनः आग्रह किया है कि बजट में IPSEF की मांग के अनुसार संशोधन करें ।
निचले तबके के लिए गरीब कल्याण अन्न योजना
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले निचले तबके के लिए गरीब कल्याण अन्न योजना को एक साल बढ़ाना यह दर्शाता है कि बीजेपी इस तबके को अभी चुनाव तक खुश रखना चाहती है। 2019 में हुए आम चुनाव के बाद कोरोना महामारी के दौरान ही गरीबों को मुफ्त अनाज देने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इससे कई बार थोड़े थोड़े समय के लिए बढ़ाया गया। अब बजट में भी इस बात का ऐलान किया गया है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी इस दुधारू तबके को नाराज नहीं करना चाहती। इसीलिए बीजेपी की सरकार ने इस योजना क एक साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है।
लाभार्थी वोट बैंक पर बीजेपी की नजर
अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपनी जीत को लेकर हर बुनियाद मजबूत करना चाहती है। बीजेपी को इस बात का अंदाजा है कि लाभार्थी वोट बैंक किस कदर बीजेपी की मदद कर रहा है। चाहे वह शौचालय लेने का लाभार्थी हो या पीएम आवास लेने का लाभार्थी हो या फिर फ्री में अनाज लेने वाला लाभार्थी हो। यूपी में फ्री अनाज लेने वालों का एक बड़ा वर्ग है और यह वर्ग विधानसभा चुनाव के दौरान पूरी मजबूती के साथ बीजेपी के लिए खड़ा रहा। इसी का परिणाम था कि यूपी में बीजेपी की सरकार बनते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी कैबिनेट की पहली बैठक में ही फ्री राशन योजना को बढ़ाने का ऐलान किया था।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी कहते हैं कि,
केंद्र सरकार द्वारा लाया गया बजट बढ़ती हुई महंगाई, बेरोजगारी एवं आर्थिक मंदी के दौर में आम जनमानस के लिए निराशाजनक है l इस बजट से देश के लोगों को बहुत उम्मीद थी l रोजगार के ठोस अवसर परिलक्षित नहीं हो रहे, बढ़ती हुई महंगाई पर लगाम लगाना तो दूर की बात रही अपितु बड़े हुए कर से महंगाई और बढ़ेगी ही l सरकारी सेवकों को इस बजट में पुरानी पेंशन बहाली की केंद्र सरकार से उम्मीद थी, जिस पर सरकार का किसी भी प्रकार का कोई ध्यान ना देना अत्यंत निराशाजनक एवं दुर्भाग्यपूर्ण प्रतीत हो रहा है l
देश की युवा शक्ति पर बीजेपी का फोकस
केंद्र की मोदी सरकार ने एक फरवरी को जब आम बजट पेश किया तब उसने देश के युवाओं का भी पूरा ख्याल रखा। पीएम मोदी देश की युवा शक्ति को लेकर बार बार कुछ न कुछ ऐलान करते रहते हैं। मोदी यह डंके की चोट पर कहते हैं कि दुनियाभर में सबसे युवा भारत में है और इसी युवा को वोट बैंके के तौर पर तब्दील करने के लिए मोदी सरकार हर कदम उठाने का काम करती है। आम बजट में युवाओं के लिए स्टार्टअप फंड की व्यवस्था की गई है। युवा अब आसानी से अपने स्टार्टअप के लिए सरकार से फंड ले सकता है। बजट में यह भी कहा गया है कि युवाओं को 3 साल तक भत्ता मिलेगा और इंटरनेशनल स्किल इंडिया सेंटर्स बनेंगे।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राेफेसर रह चुके आर के पुरोहित कहते हैं कि,
देखिए यह तो तय ही था कि जो भी होगा उसपर आने वाले चुनाव की छाप जरूर दिखायी देगी। जिस तरह से फ्री राशन योजना को एक साल तक बढ़ाया गया है, टैक्स की सीमा को बढ़ाकर सात लाख किया गया है उससे जाहिर है कि चुनावी वर्ष की शुरुआत हो चुकी है। फ्री राशन की व्यवस्था बीजेपी ने अपने तथाकथित लाभार्थी वोट बैंक के लिए ही की है जिसका जिक्र अक्सर पीएम समेत कई नेता करते रहते हैं।