BJP-RSS के "क्षेत्रिय अस्मिता" के मुद्दे को धार देंगे योगी के ये 5 बड़े फैसले, जानिए 2024 के लिए क्यों है अहम
लखनऊ, 24 अप्रैल: उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश के लिए 2024 में होने वाले आम चुनाव काफी अहम हैं। यूपी में 2017 के बाद अब 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत बीजेपी और आरएसएस दोनों के लिए खास मायने रखती है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह अपनी पहली सरकार के दौरान काशी- मथुरा और अयोध्या को केंद्र में रखकर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की मुहिम को आगे बढ़ाने का काम किया उसी तरह अब योगी 2.0 सरकार में भी सरकार "क्षेत्रिय अस्मिता" के मुद्द को लेकर आगे बढ़ेगी। योगी ने हाल में इस बात का निर्देश दिया है कि यूपी की क्षेत्रिय भाषाओं के विकास के लिए अलग से बोर्ड बनाए जाएंगे और यूपी में पहली बार साधु संतों के लिए अलग से बोर्ड की स्थापना की जाएगी। योगी का ये रुख बताता है कि सरकार किस दिशा में आगे बढ़ेगी। हालांकि राजनीतिक पंडितों की माने तो पिछली सरकारों में जिस तरह से मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए मदरसा बोर्ड बनाया गया लेकिन अब सरकार हिन्दू वोट बैंक को सहेजने के लिए हर वह काम करेगी जो वह कर सकती है।
भोजपुरी भाषा अकादमी का होगा गठन
यूपी में पूर्वांचल के लगभग दो दर्जन जिलों में भोजपुरी भाषा बोली जाती है। भोजपुरी को लेकर यहां का समाज काफी समय से एक बोर्ड बनाकर इस भाषा को और संरक्षित करने और इसका विकास करने की मांग कर रहा है। इस भाषा के विकास के लिए ही कई वर्ष पहले अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी समाज का गठन किया गया था। इस संगठन के बैनर तले दिल्ली से लेकर मॉरिशस तक भोजपुरी के कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। इस मुहिम को आगे बढ़ाने वाले अंतराष्ट्रीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय कहते हैं, "माननीय योगी जी के नेतृत्व में सरकार लगातार अच्छा काम कर रही है। संगठन की तरफ से वर्षों से यह मांग की जाती रही है कि भोजुपरी भाषा को खत्म होने से बचाने के लिए एक बोर्ड का गठन होना चाहिए। इस विषय को लेकर योगी जी की पिछली सरकार में भी मंथन हुआ। अब सीएम ने खुद इसको गठित करने की बात कही है यह पूर्वांचल के भोजपुरी समाज के लिए एक बड़ा तोहफा है।"
अवधी के विकास के लिए अलग से बनेगी अकादमी
भोजपुरी के साथ ही अब योगी सरकार अयोध्या और उसके आसपास के आधा दर्जन जिलों में बोली जाने वाली अवधी भाषा के उत्थान के लिए अकादमी का गठन करेगी। इसकी जिम्मेदारी एक ऐसे व्यक्ति को सौंपी जाएगी जो इस भाषा के बारे में भली भांति जानता हो और इसको लेकर काम किया हो। सीएम योगी के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश का सांस्कृतिक विभाग भी अब इन भाषाओं को लेकर सजग हो चुका है। जल्द ही विभाग की तरफ से भी इसके उत्थान के लिए एक कार्ययोजना बनाई जाएगी। योगी सरकार के 100 दिन के एजेंडे में शामिल इस वादे को सरकार जल्द से जल्द पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
ब्रज भाषा का भी विकास करेगी योगी सरकार
अवधी और भोजपुरी की तरह ही योगी सरकार अब मथुरा और उसके आसपास के कई जिलों में बोली जाने वाली संवृद्ध ब्रज भाषा का विकास करने के लिए अलग से बोर्ड बनाने का प्लान तैयार किया है। योगी सरकार पहले ही ब्रज क्षेत्र के विकास के लिए एक अलग से ब्रजक्षेत्र विकास बोर्ड का गठन कर चुकी है। योगी सरकार जिस तरह से मथुरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और बरसाने की होली की ब्रांडिंग को प्राथमिकता दी है उससे यह क्षेत्र यूपी के लिए एक पर्यटन हब के तौर पर विकसित होने में कामयाब हुआ है। बरसाने की होली देखने के लिए और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर देश के कई राज्यों से ही नहीं पूरे विश्व के कोने कोने से लोग यहां पहुंचकर उत्सव का आनंद लेते हैं। उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए अब सरकार ने यहां की भाषा को और अधिक संवृद्ध बनाने के लिए एक अलग से अकादमी बनाने की बात कही है।
बुंदेली भाषा को पहचान दिलाने की कवायद
योगी सरकार ने बुंदेली भाषा के विकास के लिए भी अलग से अकादमी बनाए जाने की घोषणा की है। यूपी के लिहाज से देखें तो यह भाषा करीब आठ से दस जिलों में बोली जाती है। प्रख्यात साहित्यकार जगनिक ने पहली बार बुंदेली भाषा में खंड काव्य 'रासो' की रचना की थी। इस बोली के प्रमुख साहित्यकार केशव को माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि राम चरित मानस में भी अवधी के साथ ही ज्यादातर बुंदेली भाषा का इस्तेमाल किया गया है। अब सरकार इस क्षेत्रिय भाषा को सम्मान दिलाने और सहेजने की कोशिश में जुटी हुई है। हालांकि बुदेलखंड के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र अग्निहोत्री कहते हैं, '' बुदेली भाषा का विस्तार यूं तो काफी लंबा चौड़ा है लेकिन यूपी के लिहाज से बात करें तो यह करीब आठ जिलों में बोली जाती है। सरकार ने इसके लिए अकादमी बनाने की घोषणा तो की है लेकिन सही मायने में इसका विकास तभी होगा जब इसे आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सरकार बिल लेकर आएगी। मध्य प्रदेश में इस आशय का बिल विधानसभा में लाया जा चुका है।''
अब सरकार बनाएगी साधु संतों के लिए बोर्ड
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को बुजुर्ग संतों और पुजारियों के कल्याण के लिए एक बोर्ड की स्थापना पर काम शुरू करने और भक्तों को मंदिरों के बारे में जानकारी प्रदान करने वाली एक ऑनलाइन प्रणाली विकसित करने का निर्देश दिया है। प्रयागराज, मथुरा, गोरखपुर और वाराणसी जिलों के प्रमुख धार्मिक स्थलों में 'भजन संध्या स्थल' का निर्माण कराने के लिए भी कहा गया है। अगले 100 दिनों के भीतर भक्तों और पर्यटकों की सुविधा के लिए ऑनलाइन एकीकृत मंदिर सूचना प्रणाली विकसित की जानी चाहिए। इसमें मंदिरों, इतिहास, मार्ग मानचित्र आदि के बारे में जानकारी होनी चाहिए। लोकसंकल्प पत्र' (भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र) के अनुसार बुजुर्ग साधुओं और पुजारियों के कल्याण के लिए एक बोर्ड का गठन किया जाना है। इस संबंध में तदनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।