सावन माह विशेष: यूपी का वो शिव मंदिर जिसे कई कोशिशों के बाद भी नहीं तोड़ पाया था बाबर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है नैमिष धाम। यहां की मान्यता है कि भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र यहां गिरा था। इसी नैमिष धाम के बगल में स्थित है भगवान शिव का अति प्राचीन मंदिर जिसे देवदेवेश्वर महादेव कहा जाता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसको बाबर भी नहीं तोड़ पाया था।
गाय
स्वयं
देने
लगती
थी
दूध
वायु
पुराण
के
अनुसार,
देवदेवेश्वर
शिवलिंग
की
स्थापना
वायुदेव
के
द्वारा
की
गई
थी।
कालांतर
में
यह
शिवलिंग
विलुप्त
हो
गया
था।
कालांतर
पश्चात
उस
जंगल
में
कुछ
ग्वाले
अपनी
गाय
चराने
जाते
थे।
गाय
एक
विशेष
स्थान
पर
खड़ी
हो
जाती
थी
और
उन
गायों
का
दुग्ध
स्वयं
ही
उस
स्थान
पर
गिरने
लगता
था।
यह
किस्सा
प्रतिदिन
होने
लगा
जब
वालों
ने
यह
बात
नैमिषारण्य
के
वासियों
को
बताइए
तो
उन्होंने
उस
स्थान
पर
खुदाई
शुरू
की
खुदाई
में
उन्हें
एक
शिवलिंग
दिखाई
दिया।
शिवलिंग
का
नहीं
मिला
कोई
छोर
वह
लोग
खुदाई
करते
गए
काफी
गहरा
गड्ढा
हो
जाने
के
बावजूद
उस
शिवलिंग
का
अंत
न
मिला
तब
नैमिषारण्य
वासियों
ने
उस
स्थान
पर
एक
चबूतरा
बनाकर
उस
शिवलिंग
की
पूजा
करने
लगे
और
लोग
उस
शिवलिंग
को
भगवान
देवदेवेश्वर
के
नाम
से
जानने
लगे।
यह
स्थान
विश्व
प्रसिद्ध
तीर्थ
नैमिषारण्य
के
पावन
आदि
गंगा
गोमती
तट
पर
स्थित
है।
बताते
हैं
मुगल
बादशाह
बाबर
अपने
शासनकाल
के
दौरान
नैमिषारण्य
आए
थे।
बाबर
भी
नहीं
तोड़
पाया
था
शिवलिंग
जब
बाबर
देवदेवेश्वर
स्थान
पर
पहुंचा
उसने
शिवलिंग
पर
अपनी
तलवार
से
प्रहार
किया।
जैसे
ही
तलवार
शिवलिंग
से
टकराई
उसमें
से
हजारों
की
संख्या
में
बर्रे
निकल
पड़ी
और
उसकी
सेना
पर
आक्रमण
कर
दिया
।यह
देख
बाबर
घबरा
गया
और
नैमिषारण्य
से
अपनी
सेना
सहित
भाग
निकला
यहां
श्रावण
मास
में
लाखों
की
संख्या
में
भक्तगण
भगवान
देवदेवेश्वर
शिवलिंग
के
दर्शन
करने
आते
हैं।