मुजफ्फरनगर दंगा: साढ़े तीन साल में 1531 अभियुक्तों में से सिर्फ 581 हुए गिरफ्तार
सूचना के अधिकार के तहत मुरादाबाद के आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगों में के बारे में जानकारी मांगी थी।
मुजफ्फरनगर। 2013 के सिंतबर माह में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और पड़ोसी जिलों में हुए दंगों ने पूरे देश को झकझोर दिया था, जिसमें बड़ी तादाद में जान-माल का नुकसान हुआ था। इन दंगों को हुए साढ़े तीन साल से ज्यादा का समय गुजरने क बावजूद पुलिस आधे से ज्यादा अभियुक्तों को पकड़ने में नाकाम है। ये खुलासा एक आरटीआई के जरिए हुआ है।
आधे अभियुक्तों की भी नहीं गिरफ्तारी
सूचना के अधिकार के तहत मुरादाबाद के आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मुजफ्फरनगर, और पड़ोसी जिलों में सांप्रदायिक दंगों में हुई लूट, आगजनी, बलात्कार के अपराधों और इन मामलों में की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा था। इसके साथ ही पीड़ितों को मिले मुआवजे की भी जानकारी मांगी गई थी। जिसकी जानकारी आयोग ने दी है।
मुजफ्फरनगर एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में 2013 में हुए दंगों के बाद लूट, आगजनी और बलात्कार के 567 मामले दर्ज किए गए थे। इन मामलों में 1531 अभियुक्तों के विरूद्ध आरोप सिद्ध हुए। 1531 में से 581 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया।130 लोगों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। वहीं 800 अभियुक्तों को अभी भी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
6406 थे अभियुक्त
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन दंगों में चल संपत्ति के नुकसान के 546 मामलों में से 542 मामलों में 2.14 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया और अचल संपत्ति के नुकसान के 63 मामलों में 64.12 लाख रुपये दिये गए।
सांप्रदायिक दंगों में हुई लूट, आगजनी, बलात्कार के 567 मामले दर्ज किए गए थे. इनमें मुजफ्फरनगर में 534 मामले, शामली में 27 और बागपत, मेरठ और सहारनपुर में दो-दो मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में अभियुक्तों के रूप में 6406 लोगों का नाम था। 2791 व्यक्तियों के विरुद्ध आरोप सिद्ध नहीं हो पाए और जांच के दौरान 12 अभियुक्तों की मौत हो गई।
802 की गिरफ्तारी के प्रयास जारी
आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन मामलों में 1531 अभियुक्तों में से 852 अभियुक्तों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए तथा 607 अभियुक्तों के खिलाफ अपराध दंड संहिता की धारा 82 के तहत कार्यवाही प्रारंभ की गई। साल 2016 के अंत तक इन मामलों में 802 अभियुक्तों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
इन दंगों के सिलसिले में 300 अभियुक्तों के मामलों में अदालत से अपराध दंड संहिता की धारा 83 के तहत आदेश प्राप्त करने के बाद 150 अभियुक्तों के विरुद्ध कुर्की की कार्यवाही की गई। 453 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोपपत्र दायर किया गया। 93 मामलों में 175 अभियुक्तों के विरुद्ध अंतिम रिपोर्ट पेश की गई।
बलात्कार के मामलों में 5-5 लाख की सहायता
जानकारी के मुताबिक, सामूहिक बलात्कार के पांच मामलों में से प्रत्येक पीड़िता को 5-5 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया गया। राज्य सरकार द्वारा 35 मृतकों में से पहचाने गए 31 लोगों के परिजनों को 13-13 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई। इस दौरान मारे गए पत्रकार राजेश वर्मा के परिवार को 15 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई। इसके अलावा कवाल गांव के मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये की राशि दी गई।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गंभीर रूप से घायल 14 व्यक्तियों में से प्रत्येक के लिए 1-1 लाख रुपये की राशि दी गई जिसमें से राज्य सरकार द्वारा 50 हजार रुपये और प्रधानमंत्री राहत कोष से 50 हजार रुपये शामिल हैं। मामूली रूप से घायल 27 लोगों में से प्रत्येक को 20-20 हजार रुपये की राशि का भुगतान किया गया।