कूड़े में जा रहा है मोदी का सपना, क्या इस तरह की मुफ्त दवाएं मिलेंगी गरीबों को?
सरकार बदलने के बाद भी अस्पतालों में व्यवस्था बदलने का नाम नहीं ले रही है। मंडलीय अस्पताल में मरीजों में वितरण के लिए आने वाली लाखों दवाओं को कूड़े में फेंक दिया जा रहा है।
मिर्जापुर। एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी गरीबों के स्वास्थ्य पर लंबे भाषण देते हैं, दवाओं की आसमान छूती कीमत को वो गरीबों के लिए जमीन पर लाना चाहते हैं। लेकिन गरीबों के स्वास्थ्य के साथ तो खुद सरकारी अस्पताल खिलवाड़ कर रहे हैं। लोगों के स्वास्थ्य को क्या ठीक करेंगी ये दवाएं जब डॉक्टरों के लिए ही ये कूड़ा साबित हो चुकी हैं। आप तस्वीरों में साफ देख सकते हैं कि किस तरीके से कूड़े में लाखों दवाएं फेंकी गई हैं। आखिर वो कौन सी लापरवाही है जिसके चलते इन दवाओं को फेंकना पड़ रहा है?
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सरकार बदलने के बाद भी अस्पतालों में व्यवस्था बदलने का नाम नहीं ले रही है। मंडलीय अस्पताल में मरीजों में वितरण के लिए आने वाली लाखों दवाओं को कूड़े में फेंक दिया जा रहा है। इसमें कुछ तो एक्सपायर हो गई है लेकिन ज्यादातर की एक्सपायरी जुलाई 2017 में होनी है। बड़ी बात ये है की इस पर स्वास्थ्य विभाग का कोई अधिकारी बोलने को तैयार नही है।
कूड़े में लगी आग तो खुली पोल
मंडलीय अस्पताल के पीछे गंगा किनारे कूड़े में आग लग गई। आग से निकलने वाले धुंए के चलते मरीजों का दम घुटने लगा। सूचना पर पहुंची दमकल ने जब आग को बुझाया तो आस-पास लाखों टेबलेट्स के पत्ते फेंके मिले। इसमें कुछ एक्सपायर दवाएं थीं तो ज्यादातर अभी मरीजों के काम आ सकती थी। इसके बाद भी इन दवाओं को कूड़े में फेंक दिया गया।
अस्पताल में मरीजों को नहीं मिल पाती दवा
मरीजों की शिकायत रहती है कि अस्पताल में दवा नहीं रहती। डॉक्टर बाहर से दवा लिखते हैं। मरीजों को मजबूरी में महंगी दवा बाहर से लेना पड़ती है। फिर आखिर क्या वजह है कि दवाओं को मरीजों में बांटने की बजाए एक्सपायर होने से पहले ही फेंक दिया गया।
कही कूड़े में तो नहीं जला दी जाती दवा
मंडलीय अस्पताल में आए दिन पीछे की ओर आग लगाकर कूड़े को जलाया जाता है। अस्पताल से निकलने वाले कूड़े के निस्तारण की प्रक्रिया अगल है लेकिन अस्पताल में इसी तरह से सफाई की जाती रही है! ऐसे में ये बड़ा सवाल उठता है कि कहीं आग में सरकारी दवाओं को भी तो नहीं जला दिया जाता, जिससे दवा की कमी होने पर मरीजों को बाहर की दवा लेनी पड़े।
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