यूपी उपचुनाव: मायावती की सफाई, सपा के साथ गठबंधन नहीं, सिर्फ समझौता, जानें बसपा का पूरा गणित
लखनऊ। यूपी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर रविवार सुबह से ही खबरों का बाजार गर्म रहा। 25 सालों के बाद सपा और बसपा के साथ आने की खबरें आते ही लखनऊ के सियासी गलियारों की फिजा बदलने लगी। अब सभी की नजरें मायावती पर थीं, उम्मीद के मुताबिक, उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी राय भी रखी और सफाई भी दी। मायावती ने सबसे पहले तो सपा के साथ किसी प्रकार के गठबंधन की खबरों को खारिज कर दिया। उन्होंने साफ किया कि बसपा उस उम्मीदवार को समर्थन देगी, जो बीजेपी को हराने में सबसे सशक्त नजर आएगा।
रविवार को बीएसपी सुप्रीमो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मीडिया में कहा जा रहा है कि 2019 लोकसभा चुनाव के लिए एसपी और बीएसपी में गठबंधन हो गया है, यह तथ्यों से परे है। यूपी या अन्य किसी राज्य में जब भी पार्टी का किसी अन्य दल से गठबंधन होगा तो यह गुपचुप तरीके से नहीं होगा। मायावती ने स्पष्ट किया कि पहले की तरह बीएसपी इस बार भी उपचुनाव नहीं लड़ रही है। इसका मतलब यह नहीं कि बीएसपी के लोग वोट नहीं डालेंगे। बीजेपी के उम्मीदवार को हराने के लिए दूसरी पार्टियों के सबसे मजबूत उम्मीदवार को वोट बसपा समर्थक वोट देंगे।
तो सपा और बसपा के रिश्ते को क्या नाम दें
मायावती ने कहा कि यूपी में हाल में राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव भी होने हैं। इन चुनावों में सपा और बसपा एक-दूसरे को वोट ट्रांसफर करेंगे। दोनों दलों के अपने उम्मीदवार जिताने के लिए पर्याप्त वोट नहीं है। इसलिए बसपा ने सपा के साथ बातचीत करके तय किया है कि हम उनकी मदद करेंगे और वे हमारी। इसका मतलब चुनावी गठबंधन नहीं है।
गठबंधन पर मायावती की सफाई
बसपा और सपा के इस रिश्ते को गठबंधन न सही लेकिन समझौते का नाम जरूर दिया जा सकता है। यूं कहें तो बुआ-बबुआ ने हाथ मिलाया है, तो ज्यादा सही होगा। पर सवाल यह भी है आखिर मायावती को गठबंधन शब्द से इतना परहेज क्यों है? मायावती कह रही हैं कि यूपी उपचुनाव में बीजेपी को हराने वाले उम्मीदवार को समर्थन देंगे पर गठबंधन नहीं है। तो कोई उनसे पूछे कि गठबंधन और किसे कहते हैं। मौजूदा स्थिति में सपा कोई सत्ता में तो नहीं जो दोनों मिलकर सरकार बना लेंगे या कैबिनेट मिनिस्टर तय कर लेंगे। अगर मायावती वोट ट्रांसफर करना चाहती हैं और बीजेपी को हराने के लिए सपोर्ट कर रही हैं, तो स्वीकार करने में क्या दिक्कत है कि दोनों के बीच गठबंधन होने जा रहा है। दरअसल, मायावती यूपी उपचुनाव में प्रयोग करके देखना चाहती हैं, अगर सफल रहीं तो हो सकता है यही फार्मूला 2019 लोकसभा चुनाव में आजमाया जाए और असफल रहीं तो साफ बचकर निकल जाएंगी कि हमारा तो गठबंधन हुआ ही नहीं था।
तो लोकसभा चुनाव में भी अकेले ही उतरेंगी मायावती
मायावती ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए BSP ने किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है। मतलब साफ है कि बिहार में बने महागठबंधन का प्रयोग यूपी में दोहरा पाना बड़ा ही मुश्किल लग रहा है। मायावती ने कहा, 'मैं यह बात साफ कर देना चाहती हूं कि बीएसपी ने किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव भाजपा को हराने के लिए उन्होंने सपा से हाथ मिलाया है। जरा मायावती के बयान पर नजर डालिए और समझने की कोशिश कीजिए कि आखिर वो क्या समझाने की कोशिश कर रही हैं...'