मायावती ने बदला यूपी का समीकरण, केशव प्रसाद शामिल होंगे मोदी कैबिनेट में!
मायावती ने बदला यूपी में भाजपा का समीकरण, केशव प्रसाद मौर्या शामिल हो सकते हैं मोदी कैबिनेट में, नहीं छोड़ेंगे फूलपुर सीट
लखनऊ। राष्ट्रपति चुनाव के खत्म होने के बाद भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बड़ा फैसला लेने जा रहा है। सूत्रों की मानें तो यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की मोदी सरकार में वापसी हो सकती है। इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ पर भी बड़ा फैसला लिया जा सकता है। दरअसल योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद हैं, लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री की कमान संभालने के बाद उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य बनना अनिवार्य है।
योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद पर होगा बड़ा फैसला
एक तरफ जहां भाजपा योगी आदित्यनाथ पर चुनावी मैदान में उतारने का फैसला ले सकती है तो दूसरी तरफ माना जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्या को केंद्र सरकार में बुलाया जा सकता है। दरअसल केशव प्रसाद मौर्या पहली बार इलाहाबाद की फूलपुर सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं, ऐसे में उन्हें भी यूपी की विधानसभा या विधान परिषद का छह महीने के भीतर सदस्य बनना जरूरी है। ऐसे में अगर केशव प्रसाद मौर्या फूलपुर लोकसभा को सीट को छोड़ते हैं तो यह सीट खाली हो जाएगी। केशव प्रसाद मौर्या और योगी आदित्यनाथ ने 26 मार्च को शपथ ली थी, ऐसे में छह महीने के भीतर उन्हें किसी एक सदन का हिस्सा बनना अनिवार्य है।
अमित शाह करेंगे आला नेताओं संग बैठक
इन दोनों ही बड़े मुद्दों पर माना जा रहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लखनऊ में अपनी दौरे के दौरान बड़ा फैसला ले सकते हैं। अमित शाह लखनऊ अपने तीन दिन के दौरे पर शनिवार को पहुंच रहे हैं। सूत्रों की मानें तो केशव प्रसाद मौर्या वापस नरेंद्र मोदीकी सरकार में जा सकते हैं और उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। लेकिन अगर वह दिल्ली जाते हैं तो यूपी में प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली हो जाएगा, ऐसे में इस पद के लिए भी रेस शुरू हो जाएगी।
मायावती ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किल
सूत्रों की मानें तो पार्टी ने फैसला लिया था कि 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होने तक केशव प्रसाद मौर्या और योगी आदित्यनाथ को लोकसभा का सदस्य बने रहने देने का फैसला लिया गया था, क्योंकि भाजपा चाहती थी कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए उसके पास नंबर की कमी नहीं पड़े। लेकिन जिस तरह से बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफा दिया है और कयास लगाए जा रहे हैं कि वह केशव प्रसाद मौर्या के लोकसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद मायावती यहां से चुनाव लड़ सकते हैं, इसके बाद भाजपा की मुश्किल बढ़ गई है।
मायावती ने बदला समीकरण
मायावती के इस्तीफा देने से पहले भाजपा इस बात को लेकर आश्वस्त थी कि वह किसी दूसरे उम्मीदवार को फूलपुर से चुनाव लड़ाएगी और उसे आसानी से जीत हासिल हो जाएगी। लेकिन मायावती के राज्यसभा से इस्तीफा देने और फूलपुर से चुनाव लड़ने के कयास के बाद पूरी गणित बदल गई है। लगातार एक के बाद एक चुनाव हारने के बाद मायावती अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने का फैसला ले चुकी हैं, लिहाजा इसके लिए वह दलित बाहुल्य संसदीय क्षेत्र फूलपुर से अपनी दावेदारी पेश करने का मन बना रही हैं, ताकि वह उपचुनाव में भाजपा के सामने मजबूत चुनौती पेश कर सके।
फूलपुर से भाजपा नहीं लेना चाहती है कोई जोखिम
ऐसे में मायावती के ट्विस्ट के बाद भाजपा फूलपुर की सीट को लेकर किसी भी तरह के जोखिम को लेने के मूड में नहीं है। केंद्र सरकार में कई मंत्रालय खाली हुए हैं, वहीं यूपी के अध्यक्ष पद से आज नहीं तो कल केशव प्रसाद मौर्या को इस्तीफा देना ही पड़ेगा क्योंकि पार्टी के भीतर एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत हैं। ऐसे में इस बाती की पूरी संभावना है कि केशव प्रसाद मौर्या को यूपी से दिल्ली भेजा जा सकता है
कई सीटें हुई हैं खाली
वहीं गोरखपुर से भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ को अपनी सीट खाली करनी पड़ेगी, वह 28 वर्ष की आयु से लगातार यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं, योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार से गोरखपुर से सांसद हैं। इसके अलावा कानपुर देहात से भाजपा विधायक मथुरा प्रसाद पाल के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई है। ऐसे में मुमकिन है कि पार्टी स्वतंत्रदेव सिंह को यहां से मैदान में उतार सकती हैं, क्योंकि उन्हें भी छह महीने के भीतर किसी एक सदन का सदस्य होना अनिवार्य है। इसके अलावा उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा भी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं, लिहाजा उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया जा सकता है। वहीं योगी सरकार में एकमात्र मुस्लिम मंत्री मोहसिन रजा को भी पार्टी किसी एक सदन में भेजने की तैयारी कर रही है। ऐसे में इन तमाम अहम मुद्दों पर फैसला लेने के लिए अमित शाह शनिवार को लखनऊ पहुंच रहे हैं।
पीएम ने की थी यूपी के सांसदों संग बैठक
कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के सांसदों के साथ एक बैठक की थी। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में सांसदों ने योगी सरकार की कुछ खास रिपोर्ट नहीं दी है। वहीं तमाम सांसदों ने इस बात की भी शिकायत की थी कि प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारी सरकार की सुन नहीं रहे हैं, जिसके चलते पार्टी के कार्यकर्ताओं मे रोष है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार अमित शाह से मुलाकात करनेक के लिए दिल्ली जाने से पहले आरएसएस के नेताओं से लखनऊ में मुलाकात की थी।
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