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उत्तर प्रदेश 2017: सपा के दंगल, माया के पतन से योगी की सत्ता तक, कैसा रहा राजनीतिक सफर

By Rajeevkumar Singh
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दिल्ली। साल 2017 के जनवरी की शुरुआत उत्तर प्रदेश में चुनावी घमासान की तैयारी के साथ हुई। समाजवादी पार्टी में चाचा-भतीजे के बीच विरासत पर दावेदारी की जंग में मुलायम-शिवपाल एक तरफ हो गए तो दूसरी तरफ अखिलेश-रामगोपाल थे। आखिरकार अखिलेश भारी पड़े और राहुल के साथ कांग्रेसी गठबंधन कर भाजपा को चुनौती देने खड़े हुए। नोटबंदी के बाद के नकारात्मक संकेतों के बीच केंद्र में नरेंद्र मोदी के शासन की परीक्षा के तौर पर भाजपा के लिए यूपी का चुनाव नाक का सवाल बन गया था। बसपा समेत अन्य पार्टियों के दिग्गजों को खींचकर भाजपा ने सत्ता का गणित बिठाया और भारी बहुमत हासिल कर एक योगी को मुख्यमंत्री पद पर आसीन किया। मायावती और बसपा की दलित राजनीति पतन की ओर गई। निकाय चुनावों में भी भाजपा को बड़ी जीत मिली। प्रशासनिक कार्यालयों, सरकारी अस्पताल से लेकर नगर निकायों के भवन तक भगवा रंग में रंगने शुरू हो गए। 2017 यूपी के भगवाकरण की शुरुआत के तौर पर भी याद किया जाएगा।

सपा में विरासत के दंगल से साल की शुरुआत

सपा में विरासत के दंगल से साल की शुरुआत

1 जनवरी 2017 को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव ने खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया और पिता मुलायम सिंह यादव को संरक्षक बनाया। मुलायम ने इसे नहीं माना। पार्टी और सिंबल पर वर्चस्व की लड़ाई में बाप-बेटे भिड़ गए। अखिलेश के चाचा शिवपाल भाई मुलायम का साथ दे रहे थे तो रामगोपाल यादव अखिलेश के पक्ष में थे। चुनाव आयोग का फैसला अखिलेश के पक्ष में आया।

अखिलेश और राहुल आए साथ-साथ

अखिलेश और राहुल आए साथ-साथ

समाजवादी पार्टी का चेहरा बने उस समय के सीएम अखिलेश यादव और यूपी में खुद को मजबूत बनाने की कोशिशों में लगी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने एक-दूसरे का हाथ थामा। इस युवा जोड़ी ने मोदी-अमित शाह के नेतृत्व में लड़ रही भाजपा को चुनौती देने के लिए चुनावी सभाएं कीं।

चुनावी रण में पीएम मोदी ने दिया श्मशान-कब्रिस्तान बयान

चुनावी रण में पीएम मोदी ने दिया श्मशान-कब्रिस्तान बयान

नोटबंदी से नाराज जनता से वोट पाना भाजपा के लिए चुनौती बन गई थी। पार्टी ने बसपा से केशव प्रसाद मौर्या समेत अन्य दिग्गजों को खींचने के बाद उनको टिकट दिया। साथ ही, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और अन्य नेताओं ने राम मंदिर के मुद्दे को उछाला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी सभा में कहा कि अगर गांव में कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए, अगर रमजान में बिजली आती है तो दीवाली में भी आनी चाहिए। इस तरीके से आखिरी क्षणों में भाजपा ने चुनाव में सांप्रदायिक कार्ड खेलकर वोट हासिल करने की पुरानी रणनीति अपनाई। भाजपा ने तीन तलाक मुद्दे को उठाकर मुस्लिम महिलाओं को रिझाया।

यूपी चुनाव अभियान के दौरान गधा हुआ चर्चित

यूपी चुनाव अभियान के दौरान गधा हुआ चर्चित

रायबरेली के एक चुनावी सभा में जब अखिलेश यादव ने कहा कि महानायक अमिताभ बच्चन गुजरात के गधों का प्रचार न करें तो अचानक गधा सुर्खियों में आ गया। अखिलेश का यह बयान काफी चर्चित रहा और पीएम नरेंद्र मोदी ने पलटवार करते हुए एक चुनावी सभा में कहा कि गधे से मैं प्रेरणा लेता हूं। गधा मालिक का वफादार होता है, कम खर्चे में काम करता है। कितना भी बीमार हो, थका हुआ हो, बीमारी के बावजूद पूरा काम करता है।

यूपी चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत

यूपी चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत

फरवरी में यूपी चुनाव संपन्न हुए और 11 मार्च को हुई मतगणना में भाजपा प्रचंड बहुमत से सत्ता की जंग जीत गई। भाजपा को 403 में से 312 सीटों पर जीत हासिल हुई। इस चुनाव में सपा को 47 सीटें मिलीं, कांग्रेस को सात और बसपा ने मात्र 19 सीटें हासिल हो सकी।

योगी को चुना भारतीय जनता पार्टी ने सीएम

योगी को चुना भारतीय जनता पार्टी ने सीएम

चुनाव में भारी जीत के बाद मुख्यमंत्री पद पर योगी आदित्यनाथ को बिठाकर भाजपा ने एकबारगी सबको चौंका दिया। यह भाजपा के राम मंदिर और हिंदुत्व राजनीति को यूपी में आगे बढ़ाने का भी एक संकेत रहा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सत्ता की कमान संभाल ली तो मीडिया में उनको जबर्दस्त कवरेज मिली।

हाशिये पर मायावती और बसपा, ईवीएम पर सवाल

हाशिये पर मायावती और बसपा, ईवीएम पर सवाल

उत्तर प्रदेश में एक समय में सत्तारूढ़ रही बसपा और पूर्व सीएम मायावती यूपी चुनाव के बाद अचानक हाशिए पर नजर आने लगी। चुनाव में बड़ी हार के से तिलमिलाई मायावती ने ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा। मायावती ने ईवीएम में गड़बड़ी में आशंका जताई तो भाजपा विरोधी अन्य पार्टियों ने भी उनका समर्थन किया। दरअसल मायावती के हाथों से दलित वोट बैंक खिसक गया। इसको भांपकर ही मायावती ने मुस्लिमों को सबसे ज्यादा टिकट दिया था लेकिन वह दांव भी काम नहीं आया।

नसीमुद्दीन ने मायावती का साथ छोड़ा

नसीमुद्दीन ने मायावती का साथ छोड़ा

बसपा के दिग्गज नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मायावती का साथ छोड़ा और उन पर कई गंभीर आरोप लगाए। यह पार्टी और मायावती के लिए बड़ा झटका था। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पार्टी छोड़ने पर बसपा और कमजोर हुई, मायावती के पार्टी चलाने के तौर-तरीकों पर सवाल खड़े हुए।

एंटी रोमियो स्क्वॉड पर योगी सरकार की किरकिरी

एंटी रोमियो स्क्वॉड पर योगी सरकार की किरकिरी

जनता ने प्रचंड जनादेश दिया तो यूपी में सरकार बनाते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने चुनावी वादों के मुताबिक मनचलों पर लगाम कसने के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन कर दिया। अगले कुछ दिनों तक इस स्क्वॉड ने पार्क समेत सभी सार्वजनिक जगहों पर ऐसा अभियान चलाया कि योगी सरकार को इसे कंट्रोल करना पड़ा। एंटी रोमियो के नाम पर सहमति से साथ चल रहे युवाओं, भाई-बहनों, रिश्तेदार लड़के-लड़कियों तक को सरेआम प्रताड़ित करने की खबरें आईं। इसके कई वीडियो वायरल हो गए तो योगी सरकार बैकफुट पर गई। पुलिस के उच्चाधिकारियों के कड़े निर्देश जारी करने पड़े।

निकाय चुनाव में भाजपा की भारी जीत

निकाय चुनाव में भाजपा की भारी जीत

यूपी में नवंबर में हुए निकाय चुनाव को लेकर भी भाजपा काफी गंभीर रही। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ चुनावी मैदान में उतरे और कई रैलियों के संबोधित किया। अगर इसमें भाजपा की हार होती तो यह राजनीतिक परिवर्तन और जनता के मूड का बड़ा संकेत होता लेकिन यह चुनाव भी भाजपा के पक्ष में रहा। जबर्दस्त प्रदर्शन करते हुए भाजपा ने नगर निकायों में महापौर की कुल 16 सीटों में से 14 पर जीत हासिल की। 1300 नगर निगम पार्षदों की सीट में से भाजपा को 450 से ज्यादा सीटें मिलीं।

प्रशासनिक कार्यालयों, भवनों का भगवाकरण

प्रशासनिक कार्यालयों, भवनों का भगवाकरण

यूपी में योगी सरकार आने के बाद कई प्रशासनिक कार्यालयों, संस्थानों और सरकारी अस्पतालों को भगवा रंग में रंगने की खबरें और तस्वीरें सामने आती रही हैं। नगर निकाय चुनाव में भी भाजपा ने जीत के बाद नगर निगम भवनों पर भगवा रंग चढ़ा दिया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस बारे में एक बार कहा कि सीएम योगी को ये रंग पसंद है इसलिए उनको खुश करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।

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English summary
Major political trends and events in Uttar Pradesh 2017.
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