Mainpuri By-Election: परिवार के साथ खड़े शिवपाल को घेरने का दांव BJP को उल्टा ना पड़ जाए, जानिए Inside Story
Mainpuri By-Election: सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनकी लोकसभा सीट खाली हुई है। इस सीट पर अब उपचुनाव होने जा रहा है। मैनपुरी में कमल खिलेगा या साइकिल चलेगी इस बात को लेकर जंग चल रही है। भारतीय जनता पार्टी जहां सपी की मजबूत जमीन पर जीत दर्ज करके अपना अधिपत्य जमाने की कोशिश कर रही है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के सामने अपने गढ़ को बचाने की चुनौती है। इस लड़ाई में सबसे ज्यादा साख सपा की दांव पर है। यहां पर पिछले तीन दशक से सपा का राज है, ऐसे में अगर भाजपा इस किले को तोड़ने में सफल होती है तो सपा को यह सबसे बड़ा सियासी झटका होगा। यही वजह है कि सपा के इस मजबूत किले को बचाने के लिए पूरा सपा परिवार मैदान में उतर आया है। अखिलेश यादव, शिवपाल यादव, डिंपल यादव मैदान में हैं। वहीं भाजपा ने यहां से रघुराज शाक्य को मैदान में उतार दिया है।
मुलायम परिवार के साथ यादवों की सहानुभूति
मुलायम सिंह यादव को उत्तर प्रदेश की राजनीति का स्तंभ माना जाता है। जिस तरह से उन्होंने यादव और मुस्लिम वोटर्स को एकजुट करके प्रदेश की जमीन पर अपने पैर मजबूत किए उसे दोहरा पाना शायद ही किसी नेता के लिए संभव हो। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यूपी के यादवों में मुलायम सिंह के परिवार के प्रति सहानुभूति है। ऐसे में जब मुलायम सिंह यादव की सीट पर खुद परिवार की बहू डिंपल यादव मैदान में हैं, तो लाजमी है कि यादव वोटर्स मुलायम परिवार के साथ एकजुट खड़े नजर आ सकते हैं। लेकिन जिस तरह से भाजपा यहां ना सिर्फ अपना उम्मीदवार उतार रही है बल्कि शिवपाल यादव के खिलाफ भी एक्शन के मूड में दिख रही है।
सपा के साथ आने पर भाजपा के निशाने पर शिवपाल
दरअसल अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच तकरार जब सामने आई तो शिवपाल यादव ने खुद को सपा से अलग कर लिया। लगातार 2014 और 2017 के बाद 2022 में हार के बाद सपा काफी कमजोर पड़ती नजर आ रही है। शिवपाल यादव खुद को स्थापित करने की जद्दोजहद में लगे थे। उनकी भाजपा के साथ करीबी भी नजर आ रही थी। लेकिन मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद एक बार फिर से शिवपाल यादव सपा परिवार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं और खुलकर डिंपल यादव के समर्थन में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। यही वजह है कि भाजपा ने अब शिवपाल यादव के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
यह दांव भाजपा को पड़ सकता है भारी
शिवपाल यादव के खिलाफ जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने कार्रवाई शुरू की है उसके बाद राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह दांव भाजपा के लिए खुद उल्टा पड़ सकता है। दरअसल मुलायम सिंह के निधन के बाद यादव वोटर्स में मुलायम परिवार के प्रति सहानुभूति है। ऐसे में खुद जब परिवार की बहू डिंपल यादव मैदान में हैं और शिवपाल समेत पूरा परिवार चुनाव प्रचार कर रहा है, उस समय भाजपा की शिवपाल के खिलाफ कार्रवाई उसपर उल्टा दांव साबित हो सकती है।
शिवपाल ने खुद खोल दिया है रघुराज के खिलाफ मोर्चा
भाजपा ने मैनपुरी से रघुराज शाक्य को मैदान में उतारा है जोकि खुद को मुलायम सिंह यादव का शिष्य बताते हैं। लेकिन शिवपाल ने रघुराज के खिलाफ तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वह खुद को एक हमाराशिष्य बताते हैं दूसरी तरफ उन्ही की बहू के खिलाफ मैदान में उतर आए हैं। शिष्य इतना वफादार होता है, वह अपने गुरू की कोई बात छिपाता नहीं है और बिना गुरू के कहीं जाता नहीं है। गौर करने वाली बात है कि रघुराज जब सपा में थे तो उन्हें शिवपाल का करीबी माना जाता थ, ऐसे में अब जब खुद शिवपाल ने रघुराज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है तो रघुराज शाक्य की राह जरूर मुश्किल हो सकती है।
जेड श्रेणी की सुरक्षा वापस
जिस तरह से शिवपाल यादव ने डिंपल यादव के समर्थन में चुनाव प्रचार का फैसला लिया उसके बाद प्रदेश सरकार उनके खिलाफ एक के बाद एक कार्रवाई करती हुई नजर आ रही है। रिपोर्ट की मानें तो शिवपाल यादव की सुरक्षा को कम कर दिया गया है। शिवपाल यादव की जेड श्रेणी की सुरक्षा को वापस ले लिया गया है। अब इसकी जगह उन्हें वाई कैटेगरी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है। राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया कि शिवपाल यादव की सुरक्षा को जेड श्रेणी से घटाकर वाई कैटेगरी का कर दिया जाए।
रिवर फ्रंट घोटाले में शिवपाल पर गिर सकती है गाज
गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव समेत दो अफसरों के खिलाफ सीबीआई जांच कर सकती है। रिपोर्ट की मानें तो सीबीआई ने इसकी प्रदेश सरकार से अनुमति मांगी है। दरअसल शिवपाल यादव अखिलेश यादव सरकार में सिंचाई मंत्री थे और इसी दौरान गोमती रिवर फ्रंट का निर्माण हुआ था, ऐसे में शिवपाल यादव की इस घोटाले में क्या भूमिका थी इसको लेकर सीबीआईं जांच कर सकती है। सीबीआई पहले से ही सिंचाई विभाग के दो अधिकारियों के खिलाफ जांच कर रही है। प्रदेश सरकार ने सिंचाई विभाग के रिकॉर्ड भी तलब किए हैं, जिसके आधार पर शिवपाल यादव के खिलाफ जांच को लेकर फैसला लिया जाएगा।