कानपुर हादसा: 12 घंटे बाद मलबे से जिंदा निकली 3 साल की बच्ची, सपा नेता के खिलाफ केस
हादसे में बचाई गई तीन साल की लक्ष्मी एक मजदूर की बेटी है जो हादसे के वक्त पांचवीं मंजिल पर थी। 12 घंटे बाद उसका जिंदा बाहर निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में बिल्डिंग ढहने से हुए हादसे में जहां अब तक पांच लोगों के मरने की सूचना है वहीं मलबे के नीचे से 12 घंटे बाद तीन साल की एक बच्ची को जिंदा निकाला गया है। घटनास्थल पर सारी रात गैस कटर, स्पेशल कैमरा और तमाम आधुनिक उपकरणों के जरिए राहत बचाव का काम जारी रहा। अधिकारियों के मुताबिक, अभी काम से कम 25 से 30 लोग मलबे के नीचे दबे हैं। कानपुर के जाजमऊ इलाके में छह मंजिला इमारत का निर्माण कार्य चल रहा था जब यह हादसा हुआ।
बिल्डिंग
के
मालिक
सपा
नेता
के
खिलाफ
केस
दर्ज
हादसे
के
बाद
पुलिस
ने
समाजवादी
पार्टी
के
नेता
मेहताब
आलम
के
खिलाफ
केस
दर्ज
कर
लिया
है।
वह
बिल्डिंग
के
मालिक
हैं।
कानपुर
विकास
प्राधिकरण
ने
बताया
कि
उन्होंने
बिल्डर
को
तीन
बार
नोटिस
जारी
करके
निर्माण
कार्य
रोकने
को
कहा
था
क्योंकि
इसके
लिए
जरूरी
अनुमति
नहीं
ली
गई
थी
लेकिन
काम
जारी
रहा।
शुरुआती
जांच
में
बिल्डिंग
में
कमजोर
नींव
और
सामान
की
क्वालिटी
खराब
होने
की
बात
सामने
आई
है।
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बिहार
में
लीची
खाने
से
हुई
सैकड़ों
बच्चों
की
मौत
पर
वैज्ञानिकों
ने
किया
खुलासा
रात
में
बाहर
निकाले
गए
18
लोग
वाराणसी
और
लखनऊ
से
एनडीआरएफ
की
टीमों
के
अलावा
सेना
को
भी
मौके
पर
बुलाया
गया
है।
सेना
और
एनडीआरएफ
ने
राहत-बचाव
अभियान
रातभर
जारी
रखा
और
18
लोगों
को
मलबे
से
जिंदा
बाहर
निकाला।
एनडीआरएफ
के
अधिकारी
आलोक
कुमार
सिंह
ने
कहा,
'यह
बेहद
असुरक्षित
बिल्डिंग
है।
किसी
भी
तरह
से
इसका
निर्माण
सही
नहीं
लग
रहा।
लंबे
स्पेस
के
बावजूद
कॉलम
या
पिलर
का
सपोर्ट
नहीं
लिया
गया।
इसलिए
मलबा
ज्यादा
फैसला
है।
इसमें
थोड़ा
समय
लगेगा।'
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केले
के
छिलके
हटाने
पर
निकले
नोटों
के
बंडल,
दंग
रह
गए
लोग
हादसे
के
वक्त
पांचवीं
मंजिल
पर
थी
बच्ची
हादसे
में
बचाई
गई
तीन
साल
की
लक्ष्मी
एक
मजदूर
की
बेटी
है
जो
हादसे
के
वक्त
पांचवीं
मंजिल
पर
थी।
12
घंटे
बाद
उसका
जिंदा
बाहर
निकलना
किसी
चमत्कार
से
कम
नहीं
है।
अधिकारियों
ने
बताया
कि
राहत-बचाव
दल
में
शामिल
स्निफर
डॉग
ने
इशारा
किया
कि
मलबे
के
नीचे
किसी
की
सांसें
चल
रही
हैं।
इसके
बाद
रेसक्यू
टीम
ने
वहां
किनारे
पर
छोड़ा
सा
छेड़
किया
जिसके
जरिए
बच्ची
की
आवाज
सुनाई
दी।
उसे
सुबह
करीब
4
बजे
बाहर
निकाला
गया।
हादसे
में
मरने
वाले
और
मलबे
में
दबने
वाले
ज्यादातर
मजदूर
और
उनके
परिवार
के
लोग
हैं।
ये
सभी
छत्तीसगढ़
से
आए
थे।