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देवबंद में भाजपा की जीत के पीछे का सच, कई ऐसे तथ्य जो आप नहीं जानते हैं

आखिर कैसे भाजपा ने देवबंद में हासिल की जीत, देवबंद के बारे में कई ऐसे तथ्य हैं जिसके बारे में कई लोग नहीं जानते हैं।

By Ankur
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा की बंपर जीत की एक अहम विशेषता रही थी वह है यूपी के देवबंद में भाजपा की जीत। यूपी के चुनाव में भाजपा अधिकतर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में क्लीन स्वीप करने में सफल रही है। भाजपा ने मुजफ्फरनगर की सभी छह सीटों पर जीत हासिल की है। पार्टी ने बिजनौर, देवबंद, बरेली, सहारनपुर की सभी सीटों पर जीत दर्ज की, ये सभी सीटें मुस्लिम बाहुल्य वाली थी, इस लिहाज से भाजपा की इन जगहों पर जीत काफी अहम है। लेकिन कई ऐसे तथ्य हैं जो कई लोग देवबंद के बारे में नहीं जानते हैं।

देवबंद में मुस्लिम आबादी की हकीकत

देवबंद में मुस्लिम आबादी की हकीकत

देवबंद में दारुल उलूम का गढ़ यहां भाजपा ने जीत हासिल की है, यह सहारनपुर जिले में पांच विधानसभा सीटों में से एक है, जोकि उत्तरी यूपी का हिस्सा है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार देवबंद में कुल 292273 पंजीकृत मतदाता हैं, जिसमें से 30 फीसदी वोटर एससी, 27 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। वहीं ब्राह्णण यहां कुल 6 फीसदी, ठाकुर8 फीसदी और गुर्जर 12 फीसदी हैं। यहां से भाजपा उम्मीदवार ब्रजेश कुमार को एक लाख से भी अधिक वोट हासिल हुए हैं। जबकि बसपा के माजिद अली को यहां 72000 वोट तो सपा के मावियाा अली को 55000 वोट हासिल हुए हैं। देवबंद में तकरीबन दो लाख हिंदू वोटर हैं, जिसमें से भाजपा को सिर्फ एक लाख वोट मिले हैं, वह उस वक्त जब यहां से दो मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में थे।

दंगों पर सपा की खुलकर आलोचना की थी देवबंद ने

दंगों पर सपा की खुलकर आलोचना की थी देवबंद ने

मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों के बाद दारूल उलूम ने समाजवादी पार्टी का जबरदस्त विरोध किया था, सपा सरकार के दौरान हुए इस दंगे में दारुल उलूम ने सपा सरकार की खुलकर आलोचना की थी। दारूल उलूम ने सपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि यह दंगे सपा सरकार की विफलता के चलते हुआ है, सपा ने इन दंगों को रोकने की कोई भी कोशिश नहीं की।

सपा-बसपा का गढ़ था देवबंद

सपा-बसपा का गढ़ था देवबंद

मुजफ्फरनगर में दंगों ने समाजवादी पार्टी के लिए सबकुछ बदलकर रख दिया, देवबंद को सपा और बसपा का गढ़ माना जाता था, 2007 के चुनाव में यहां के मुसलमानों में स्पष्ट दो गुट थे, जिसमें से एक गुट सपा के साथ था जबकि दूसरा गुट बसपा के साथ, उस वक्त भी हिंदु वोट भाजपा के साथ एकजुट थे। 2013 के दंगों के समय एक आरोप यह भी लगा था कि दारूल उलूम ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बंटवारा कराने का काम किया था। हालांकि इस दंगे के बाद यहां किसी भी तरह की सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई। यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि देवबंद में लंबे समय से हिंदू उम्मीदवार जीतते आए हैं। 2012 में सपा के राजेंद्र सिंह यहां से चुनाव जीते थे, 2004 में यहां बसपा के मनोज चौधरी, 2002 में बसपा के राजेंद्र सिंह राणा, 1996 में भाजपा के सुखबीर सिंह पुंडीर ने यहां से चुनाव जीता था।

चुनाव प्रचार में दंगे थे अहम विषय

चुनाव प्रचार में दंगे थे अहम विषय

गौरतलब है कि यूपी चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के तमाम नेताओं ने दंगों के मुद्दे को उठाया था और इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी सरकार को जमकर घेरा भी था। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी रैलियों के दौरान दंगों का जिक्र किया था और सपा सरकार पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच भेदभाव का आरोप लगाया था। पीएम ने कब्रिस्तान, श्मशान, दिवाली और रमजान पर बिजली देने में भेदभाव का आरोप लगाया था।

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English summary
How BJP conquered Deoband in UP and swept all the seats of Muzaffarnagar. BJP has emerged as key player to win in the region.
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