इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बाद अब 7 नए मेडिकल कॉलेजों का तोहफा देंगे मोदी, जानिए इसके पीछे का चुनावी गणित
लखनऊ, 21 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अब पीएम मोदी भी अपने चुनावी मोड में आ गए हैं। रणनीति के मुताबिक अब हर महीने मोदी के दो या तीन सरकारी कार्यक्रम लगाए यूपी में लगाए जा रहे हैं। इसके पीछे भी बीजेपी की सोची समझी रणनीति है। योगी सरकार अब अपने हर काम को चुनावी लिहाज से यूज करना चाहती है। कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के शुभारंभ के बाद पीएम मोदी 25 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में सात नए मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन करेंगे। हालांकि राज्य सरकार की योजना सभी 75 जिलों में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये खर्च करने की है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो चुनावी साल में सात नए मेडिकल कालेज का उद्घाटन कर सरकार एक साथ कई निशाने साधना चाहती है। जिन मेडिकल कॉलेजों का शुभारंभ किया जाएगा उनके नाम भी सोची समझी रणनीति के तहत ही रखे गए हैं ताकि इसका सियासी माइलेज मिले सके।
एक जिला एक मेडिकल कॉलेज योजना पर काम कर रही सरकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में कोविड की विनाशकारी दूसरी लहर के बाद यूपी में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए 'एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज' योजना शुरू करने का फैसला किया। इसके तहत राज्य के सभी 75 जिलों में मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। 16 अक्टूबर को नवनिर्मित माधव प्रसाद त्रिपाठी राजकीय स्वायत मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने सिद्धार्थनगर सीएम योगी पहुंचे थे। इससे पहले 2019 में, उन्होंने सिद्धार्थनगर में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की घोषणा की थी। 100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत निर्मित, मेडिकल कॉलेज का नाम माधव प्रसाद त्रिपाठी उर्फ 'माधव बाबू' के नाम पर रखा गया है, जो एक लोकप्रिय सेनानी, राजनेता और उत्तर प्रदेश भाजपा के पहले अध्यक्ष थे। जनसंघ की स्थापना से जुड़े।
अस्पताल, छात्रावास और स्टाफ की व्यवस्था करने का दावा
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज में अस्पताल, छात्रावास और स्टाफ के ठहरने की सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। फैकल्टी की नियुक्ति कर दी गई है और मेडिकल कॉलेज अगले साल से एमबीबीएस पाठ्यक्रम के पहले सत्र के लिए प्रवेश देखेगा। सीएम योगी कहते हैं कि, "सिद्धार्थनगर मेडिकल कॉलेज के माध्यम से न केवल सिद्धार्थनगर बल्कि बलरामपुर, महराजगंज और यहां तक कि नेपाल के पड़ोसी जिलों जैसे जिलों के लोगों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी।"
सात जिलों में शुरू होंगे नए मेडिकल कॉलेज
दरअसल 25 अक्टूबर को जिन अन्य मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया जा रहा है उनमें देवरिया, एटा, हरदोई, गाजीपुर, मिर्जापुर और प्रतापगढ़ शामिल हैं। सभी सात मेडिकल कॉलेजों को पहले ही राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद से मान्यता मिल चुकी है। इसी सत्र से नीट के जरिए 100 एमबीबीएस सीटों के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। यूपी में अब अतिरिक्त 700 एमबीबीएस सीटें होंगी, जिससे राज्य की कुल सीटों की संख्या 3,628 हो जाएगी।
मेडिकल कॉलेजों के बहाने चुनाव पर नजर
स्वास्थ्य विभाग के सेवानिवृत्त अतिरिक्त निदेशक डॉ वी.के. चौहान बताते हैं कि, "कोविड की दूसरी लहर के दौरान, यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं कुछ समय के लिए चरमरा गईं। अब इन मेडिकल कॉलेजों को शुरू कर सीएम आदित्यनाथ 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कोविड की स्थिति से निपटने में नाकामी के दाग को धोना चाहते हैं। एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज योजना इसी का परिणाम है। इन नए मेडिकल कॉलेजों के नामकरण के संबंध में योगी सरकार ने सभी जातियों को खुश करने की रणनीति तय की है। देवरिया के मेडिकल कॉलेज का नाम महर्षि देवराहा बाबा के नाम पर, गाजीपुर के मेडिकल कॉलेज का नाम महर्षि विश्वामित्र के नाम पर, मिर्जापुर के मेडिकल कॉलेज का नाम मां विंध्यवासिनी के नाम पर, प्रतापगढ़ का मेडिकल कॉलेज कुर्मी समाज के नेता और अपना दल (एस) अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के पिता, सोनेलाल पटेल, और एटा के मेडिकल कॉलेज वीरांगना अवंतीबाई लोधी के नाम पर चलाए जाएंगे।''
स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में शुरू होगा नया अध्याय
हालांकि बीजेपी का दावा है कि नए मेडिकल कॉलेजों की शुरुआत से न केवल यूपी बल्कि पड़ोसी राज्यों को भी इसका लाभ मिलेगा। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो वाजपेयी कहते हैं कि, ''25 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं और चिकित्सा शिक्षा के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ पूर्वी यूपी के सिद्धार्थनगर से सात नए स्वायत्त मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन करेंगे। यह पहला मौका है जब एक साथ सात नए मेडिकल कॉलेज कहीं भी शुरू किए जा रहे हैं। कोरोना काल में जिस तरह से पीएम मोदी और सीएम योगी ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का काम किया यह उसी का नतीजा है। जिन जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज की शुरुआत होगी वहां आने वाले दिनों में इसका बडे़ पैमाने पर लाभ लोगों को मिलेगा।''
14 जिलों में मेडिकल कालेज शुरू करने पर काम शुरू
पिछड़े जिलों में गुणवत्तापूर्ण उपचार उपलब्ध कराने के लिए कानपुर देहात, कौशांबी, चंदौली, बुलंदशहर, जालौन, कुशीनगर, गोंडा, पीलीभीत, बिजनौर, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर, ललितपुर, सोनभद्र सहित 14 जिलों में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का काम शुरू हो गया है। इन मेडिकल कॉलेजों को शुरू करने पर कुल 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के खर्च की उम्मीद है। इन मेडिकल कॉलेजों में नेशनल मेडिकल काउंसिल से एलओपी (लेटर ऑफ परमिशन)-1 लेकर साल 2022 से अध्यापन कार्य शुरू करने का लक्ष्य है।
मेडिकल काउंसिल ने दी 900 एमबीबीएस सीटों की मंजूरी
इन मेडिकल कॉलेजों के शुरू होने से राज्य में एमबीबीएस की अन्य 1,300 सीटों की वृद्धि होगी। हालांकि इंडियन मेडिकल काउंसिल ने फौरी तौर पर 900 एमबीबीएस सीटों को बढ़ाने पर अपनी मंजूरी दे दी है। इनके लागू होने से यूपी में मेडिकल कॉलेजों की कुल संख्या 59 हो जाएगी। राज्य सरकार ने 16 जिलों की पहचान भी की है जहां कोई भी सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज मौजूद नहीं है। पीपीपी मॉडल पर यहां मेडिकल कॉलेज बनाए जाएंगे। इसके लिए इस साल के बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
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