'मौत' के बाद जिंदा हुआ शख्स, डर कर भागे डॉक्टर ने स्विचऑफ कर लिया फोन
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ऐसे प्राइवेट नर्सिंग होम है जंहा पर मरीज के इलाज करने के नाम पर मोटा पैसा वसूला जाता है और जब मरीज की हालत ज्यादा सीरीयस हो जाती है तो उसको मृत घोषित कर दिया जाता है। कुछ ऐसा ही मामला कानपुर में देखने को मिला जंहा एक प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती एक 55 वर्षीय आदमी को मृत घोषित कर उसके परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट दे दिया गया। डेथ सर्टिफिकेट मिलने के बाद परिजनों को कुछ शक हुआ तो वह मरीज को लेकर हैलट पहुंचे। हैलट के डाक्टरों ने जब मरीज का चेकअप किया तो उसकी साँसे चल रही थी जिसके बाद उसको आईसीयू में भर्ती किया गया।
चल रही थी सांसें
फतेहपुर के रहने वाले किसान फूल सिंह यादव बीती 7 तारीख को मार्ग दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे | फूल सिंह के परिजनों ने उनको स्वरुप नगर थाना क्षेत्र में बने रमा शिव नर्सिंग होम में भर्ती कराया था | उसी दिन शाम चार बजे नर्सिंग होम के डाक्टर ने फूल सिंह को मृत घोषित कर दिया और बाकायदा डेथ सर्टिफिकेट भी दे दिया गया। नर्सिंग होम के डॉक्टर ने स्वरुप नगर पुलिस को इसकी सूचना दी गई। मौके पर पहुंची चौकी की पुलिस ने अपनी कार्र्वाई शुरू की लेकिन जब डॉक्टरों ने परिजनों को फूल सिंह के पास जाने नहीं दिया तो उनको कुछ शक होने लगा। फूलसिंह के परिजन स्वरुप नगर थाने पहुंचे और किसी गड़बड़ी की आशंका जताई जिसपर थाने की पुलिस पहुंची और छानबीन की तो पता चला कि मरीज की साँसे अभी चल रही हैं।
रमा शिव अस्पताल का मामला
फूल सिंह के परिजन उनको लेकर हैलट अस्पताल पहुंचे तो वंहा के डाक्टरों ने जांच करने के बाद फूल सिंह को आईसीयू में भर्ती कर लिया। जब नर्सिंग होम के संचालक डॉ एके सिंह को मरीज के ज़िंदा होने की जानकारी मिली तो वह नर्सिंग होम से भाग गए और अपने मोबाइल फोन को स्विच ऑफ कर लिया। फूल सिंह के भतीजे सुनील यादव का कहना है कि चाचा को नर्सिंग होम के डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया और पोस्टमार्टम करवाने के नाम पर 3500 रुपये मांगे जा रहे थे। सुनील का कहना है की डॉक्टर कह रहे है कि पुलिस को रुपया देना पड़ता है। सुनील ने रमा शिव नर्सिंग होम के संचालक डॉ ए के सिंह के खिलाफ स्वरुप नगर थाने में तहरीर देकर कार्रवाई करने की गुहार लगाई है।
क्या बोले पुलिस अधिकारी
वहीं इस पूरे मामले पर एसपी संजीव सुमन का कहना है कि रमा शिव नर्सिंग होम में एक मरीज भर्ती हुआ था जिसको मृत घोषित किया गया था। परिजन उसको लेकर हैलट अस्पताल पहुंचे तो उन्हें पता चला की वह ज़िंदा है। इस घटना में लापरवाही सामने आ रही है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के तहत किसी भी डाक्टर पर मुकदमा दर्ज करने से पहले मुख्य चिकित्सा अधिकारी की जांच रिपोर्ट की जरुरत होती है। परिजनों की तरफ से तहरीर आ चुकी है जांच रिपोर्ट के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को प्रेषित की जाएगी। जांच रिपोर्ट आने पर अगर सही पाया जाएगा तो मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
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