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डर-डर के जी रहा था मुन्ना बजरंगी, पहले से ही था हत्या का अंदाजा

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क्या बजरंगी को अपने हत्या होने की बात कई सालों पहले से पता थी

लखनऊ। पूर्वांचल के कुख्यात डॉन मुन्ना बजरंगी को जिस तरह से बागपत जेल के भीतर मौत के घाट उतार दिया गया है उसके बाद जेल प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। मुन्ना बजरंगी को अक्टूबर 2009 में मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त उसे इस बात का अंदाजा था कि जेल के भीतर उसकी जान को खतरा है और उसकी हत्या की जा सकती है। पिछले वर्ष मई माह से ही मुन्ना जेल के भीतर खुद को सुरक्षित स्थान पर रखने की कोशिश कर रहा था, उसे इस बात का अंदाजा हो गया था कि जेल के भीतर एक दिन उसकी हत्या हो सकती है।

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एक साल से नहीं निकला था जेल से बाहर
बजरंगी आखिरी बार 11 मई 2017 को सुल्तानपुर से दिल्ली कोर्ट जाने के लिए जेल से बाहर निकला था, वह इससे बाद कभी भी जेल से बाहर कोर्ट की पेशी के लिए नहीं गया, उसने हर बार कोर्ट की कार्रवाई में वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए ही हिस्सा लिया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिल्ली कोर्ट के बाद बजरंगी बागपत की जेल में एक रात रहा और उसके बाद उसे दिल्ली ले जाया गया था, इसके बाद यह पहली बार है जब उसे बागपत दोबारा स्थानीय कोर्ट में पेश करने के लिए लाया गया था।

चाय पीने निकलना भारी पड़ा
पुलिस अधिकारी ने बताया कि बजरंगी खुद को कभी भी बागपत जेल के भीतर सुरक्षित महसूस नहीं करता था, वह यहां अकेले सूनसान जगह पर बैठता था। बजरंगी यहां सिर्फ अपने करीबी विकी सुनहरा के साथ बैठता था जोकि उसी जेल में उसके साथ था। यहां तक कि रविवार रात को भी वह विकी के साथ ही सेल नंबर एक में था। अधिकारी ने बताया कि सुनील राठी सेल नंबर 10 में था और उसने अचानक से मुन्ना बजरंगी पर गोली चलानी शुरू कर दी, उसने एसटीएफ के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उनकी साजिश पर ही यह हत्या की गई है। यह हत्या उस वक्त की गई जब सुबह 6.20 बजे कैदी जेल से बाहर चाय पीने के लिए बाहर जाते हैं।

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पत्नी ने जताई थी हत्या की आशंका
गौरतलब है कि 29 जून को लखनऊ में प्रेस क्लब में प्रेस कॉफ्रेंस करके मुन्ना की पत्नी सीमा सिंह ने कहा था कि एसटीएफ उनके पति की हत्या की साजिश रच रही है। सीमा सिंह ने कहा था कि उनके पति जेल के भीतर भय के माहौल में जी रहे हैं, वह पुलिस सुरक्षा के बीच भी जेल से बाहर आने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि बजरंगी का इलाज एम्स के डॉक्टर की टीम कर रही थी, जिसने कहा था कि बजरंगी को यात्रा नहीं करनी चाहिए। सीमा सिंह ने आरोप लगाया कि एसटीएफ ने ही मुन्ना पर दबाव बनाया था कि वह कोर्ट में पेश होने के लिए जेल से बाहर निकले।

मुन्ना के करीबियों की हत्या
मुन्ना बजरंगी की गैंग पर उसके दुश्मनों ने पिछले दो साल में कई हमले किए , उसके साले पुष्पजीत सिंह और उसके दोस्त संजय मिश्रा की लखनऊ के विकास नगर में 5 मार्च 2016 को हत्या कर दी गई थी। उसे दो बाइक सवारों ने गोली मार दी थी। पुष्पजीत ही मुन्ना के खर्चों का लेखा जोखा रखता था और वह मुन्ना की गैंग का कानूनी सलाहकार भी था। पुष्पजीत की हत्या के बाद मुन्ना के गैंग को काफी झटका लगा था। इसके बाद बजरंगी के एक और करीबी तारिक को लखनऊ के गोमती नगर इलाके में दयाल पैराडाइज के पास 2 दिसंबर 2017 में मौत के घाट उतार दिया गया। पुष्पजीत की हत्या के बाद तारिक ही मुन्ना गैंग के आर्थिक खर्च को देख रहा था।

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English summary
Cops reveals how Munna Bajrangi was living in fear and stayed isolated before murder.
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