टूंडला की सुरक्षित विधानसभा सीट सभी दलों के लिए असुरक्षित
लखनऊ। टूंडला की सुरक्षित विधानसभा सीट सभी दलों के लिए असुरक्षित सीट मानी जाती है। यहां की दलित बहुल दलदली जमीन पर कोई भी राजनीतिक दल अपना मजबूत गढ़ होने का दावा नहीं कर सकता। वैसे तो टूंडला विधान सभा सीट फिरोजाबाद में आती है लेकिन आगरा और फिरोजाबाद मुख्यालय से समान दूरी पर होने के कारण आगरा की राजनीति भी इसे प्रभावित करती है।
दल-बदल
कर
कोई
जीता,
कोई
हारा
पिछली
बार
यहां
से
56
हजार
से
अधिक
मतों
से
बड़ी
जीत
दर्ज
करने
वाले
प्रो.एसपी
सिंह
बघेल
बसपा
छोड़
बीजेपी
में
आये
थे।
वर्ष
2014
में
बघेल
ने
बीजेपी
के
टिकट
पर
फिरोजाबाद
सीट
से
लोकसभा
चुनाव
लड़ा
लेकिन
हार
गए।
इसके
बाद
वर्ष
2017
के
विधानसभा
चुनाव
में
प्रो.एसपी
सिंह
बघेल
ने
टूंडला
सीट
पर
जीत
हासिल
की।
उन्हें
यूपी
में
कैबिनेट
मंत्री
बनाया
गया।
इसी
तरह
वर्ष
2017
के
चुनाव
में
सपा
ने
महाराज
सिंह
का
टिकट
काटकर
भाजपा
छोड़कर
सपा
में
पहुंचे
शिव
सिंह
चक
को
दे
दिया
था।
हालांकि
चुनाव
हारने
के
बाद
वह
दोबारा
भाजपा
में
चले
गए।
प्रो.एसपी
सिंह
बघेल
2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
आगरा
से
बीजेपी
के
सांसद
बने
तभी
से
टूंडला
सीट
सीट
खाली
चला
रही
थी।
अब
यहां
उपचुनाव
हो
रहा
है।
टूंडला विधानसभा सीट पर उपचुनाव इस बार अधिक रोचक है क्योंकि इस बार बीजेपी और सपा में मुकाबला धनगर बनाम धनगर का हो गया है। इस मैदान पर तीसरा मजबूत खिलाड़ी बसपा है। वैसे तैयारी तो कांग्रेस ने भी कर रखी थी लेकिन इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्यााशी स्नेहलता का पर्चा खारिज हो जाने से कांग्रेस मैदान से बाहर हो गई है। पिछला विधानसभा चुनाव भी अदालती रोक के कारण स्नेहलता नहीं लड़ पाईं थीं। इस बार कांग्रेस समेत 4 के नामांकन रद्द हुए हैं। शपथपत्र आधा अधूरा होने के चलते प्रत्याशियों के नामांकन निरस्त हो गए। अब 10 उम्मीमदवार मैदान में हैं।
अब मैदान में इन दलों के प्रत्याशी रह गए, बाकी निर्दल हैं।
भाजपा- प्रेमपाल सिंह धनगर
सपा- महाराज सिंह धनगर
बसपा-संजीव कुमार चक
जन अधिकार पार्टी- अशोक कुमार
मौलिक अधिकार पार्टी- धर्मवीर भारती
भारतीय किसान परिवर्तन पार्टी- भगवान सिंह'
टूंडला की जमीन पर कांग्रेस 1986 के बाद से कभी नहीं खड़ी हो पाई। पिछले छह विधान सभा चुनावों पर नजर डालें तो बीजेपी, बसपा और सपा के लिए टूंडला सीट पर मुकाबला हमेशा कांटे का रहा है। अपवाद 2017 को कहा जा सकता जब बीजेपी ने 50 हजार के बड़े अंतर से मुकाबला जीता था। 2012 और 2007 के चुनाव में बसपा, 2002 और 1993 में सपा, जबकि 1996 में बीजेपी ने जीत हासिल की थी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने टूंडला विधानसभा सुरक्षित सीट के लिए एक बार फिर धनगर समाज पर ही दांव लगाया है। प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में टूंडला में भाजपा के उम्मीदवार प्रेमपाल धनगर के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने जहां विपक्षी दलों पर तीखे प्रहार करते हुए यह संदेश दिया कि बीजेपी सरकार दलित समाज की हितैषी है और प्रदेश को गुंडाराज से मुक्ति मिली है। सीम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भाजपा के शासन में कहीं कोई दंगा नहीं हुआ है। सपा के अराजक शासन से भाजपा ने मुक्ति दिलाई है। सीएम योगी ने राममंदिर निर्माण और अनुच्छेद 370 का भी जिक्र किया। इस तरह सीएम योगी ने बिना नाम लिए सपा के ख़ास वोटबैंक पर सीधा निशाना साधा।
मेरा
प्रत्याशी
बेदाग़
तुम्हारा
दागी
बीजेपी
और
सपा
के
उम्मीदवार
धनगर
समाज
से
हैं।
मुख्यमंत्री
योगी
ने
अपनी
पार्टी
के
धनगर
प्रत्याशी
को
जमीन
से
जुड़ा
ईमानदार
कार्यकर्ता
तो
सपा
के
प्रत्याशी
के
परिवार
को
सामूहिक
दुष्कर्म
का
आरोपी
परिवार
बताया।
इस
तरह
टूंडला
में
बीजेपी
की
मजबूत
किलेबंदी
समाजवादी
पार्टी
के
लिए
चुनौती
बन
गई
है।
अब
इस
सीट
को
भाजपा
से
छीनने
के
लिए
सपा
ने
अपनी
पूरी
ताकत
लगा
दी
है।
इस
विधानसभा
में
सबसे
अधिक
वोटरों
की
संख्या
दलित
समाज
की
है।
लेकिन
2017
में
बसपा
हालांकि
दूसरे
नंबर
पर
थी
लेकिन
उसके
वोटबैंक
में
बीजेपी
और
सपा
दोनों
ने
सेंध
लगाई
थी।
इस
उपचुनाव
में
बसपा
अपने
कैडर
को
कितना
एकजुट
रख
पाती
है
इसका
पता
10
नावंबर
को
चलेगा।
टूंडला विधानसभा क्षेत्र में कुल लगभग 3 लाख 67 हजार 300 मतदाता हैं।
-जातिगत समीकरण (अनुमानित)--
जातिगत आंकड़े-
बघेल- 62000
यादव- 38000
जाटव- 65000
ब्राहृमण- 15000
ठाकुर- 34000
कुशवाह- 18000
सविता- 8000
दिवाकर- 8000
जाट- 15000
लोधी- 8000
राठौर- 5000
कोरी- 5000
वैश्य- 6000
बंजारा- 6000
चक- 5000
बाल्मीकि- 9000
धीमर- 2500
निषाद- 18000
कठेरिया- 500
गिहार- 300
ओझा- 3000
मुस्लिम- 21000
अन्य समाज- 7000
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