उत्तर प्रदेश चुनाव: 11 CM का संगम और श्री राम की शरण
लखनऊ, 15 दिसंबर। उत्तर प्रदेश के चुनावी रण को जीतने के लिए भाजपा ने अपने 11 मुख्यमंत्रियों को मैदान में उतार दिया है। बाब विश्वनाथ की शरण के बाद भाजपा श्री राम के चरण में आयी है। गंगा और सरयू की पवित्र धारा से अनुप्राणित हो कर वह 2022 के यज्ञ को पूरा करना चाहती है। अध्यात्म और राजनीति का अभूतपूर्व संगम है।
भारत की राजनीति के लिए एक दुर्लभ दृश्य। देश के 11 मुख्यमंत्री और 8 उप मुख्यमंत्री तीन दिनों से उत्तर प्रदेश में हैं। काशी से अयोध्या की उनकी यात्रा ऐतिहासिक है। एक तरह से यह भाजपा का शक्ति प्रदर्शन है। किसी विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए ऐसा शक्ति प्रदर्शन पहले कभी नहीं हुआ।
अयोध्या भाजपा की राजनीति का मूल आधार
मंदिर मुद्दा भाजपा की प्राणवायु है। यह आस्था ही उसमें जीवन का संचार करती है। श्री राम मंदिर आंदोलन ने ही भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाया था। आज अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण प्रगति पर है। करीब पांच सौ साल पुराना इतिहास नये रूप में सामने खड़ा है। मंदिर निर्माण शुरू होने से भाजपा के लिए यह मुद्दा खत्म नहीं हुआ है। अयोध्या आज भी उसकी राजनीति का केन्द्र है और आगे भी रहेगा। भाजपा के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों का यह जत्था आया तो है रामलाल के दर्शन के लिए लेकिन इसका असल मकसद है योगी आदित्यनाथ के लिए राजनीतिक माहौल तैयार करना। भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा जब सीएम-डिप्टी सीएम के समूह के साथ अयोध्या पहुंचे तब हर तरफ इसी बात की चर्चा होने लगी। मीडिया में इस खबर को प्रमुखता से दिखाया गया। यह धार्मिक यात्रा राजनीतिक चर्चा का विषय बन गयी। भाजपा जो चाहती थी वही हुआ। उसे खूब प्रचार मिला। चुनाव तो प्रचार का ही खेल है।
जब पूर्वोत्तर में भाजपा तो उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं ?
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पहली बार अयोध्या आये हैं। इसके पहले वे यहां नहीं आ पाये थे। उन्होंने कहा, मैं यहां पहली बार आया हूं। श्रीराम लला के दर्शन के लिए आया हूं। माननीय प्रधानमंत्री ने काशी में सीएम कॉन्फ्रेंस रखी थी। उसमें शामिल हो कर गर्व का अनुभव हुआ। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि माननीय मोदी जी और योगी जी के नेतृत्व में श्रीराम मंदिर तो बन ही रहा है, एक राष्ट्रमंदिर भी बन रहा है। यह भारती की प्रगति का प्रतीक है। सबने दिल खोल कर नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, अरुचाल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव देव, असम के मुख्यमंत्री हेमंत विस्वा सरमा का अयोध्या आगमन एक राजनीतिक संदेश है। उन्होंने अयोध्या आ कर यह संदेश दिया कि जब सुदूर पूर्वोत्तर में भाजपा की सत्ता संभव है तो फिर उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं। भाजपा अपने शक्ति प्रदर्शन से सपा, बसपा और कांग्रेस का हौसला पस्त करना चाहती है।
सरयू के तट पर सीएम का संगम
भाजपा के 11 में से आठ मुख्यमंत्री अपनी पत्नी के साथ अयोध्या पहुंचे । जब ये लोग सरयू नदी के तट पर सामूहिक पूजा कर रहे थे तब एक अदभुत दृश्य सामने मौजूद था। भाजपा की प्रगति और शक्ति, एक नये रूप में लोगों के सामने थी। अयोध्या में सीएम के संगम ने 2022 के लिए एक बार फिर से हिंदुत्व का एजेंडा सेट कर दिया है। ऐसा कर के भाजपा सपा और बसपा का ब्राह्मण एजेंडा को बेअसर करना चाहती है। साथ ही वह हिंदुत्व का चादर ओढ़ कर योगी सरकार की नाकामियां छिपाना चाहती है। कोरोना संकट के दौर में किसी मुख्यमंत्री के लिए दोबारा चुनाव जीतना आसान नहीं है। नीतीश कुमार जैसे मजबूत नेता भी जैसे-तैसे ही सत्ता बचा पाये थे। योगी सरकार के सामने भी कठिन चुनौतियां हैं। इसलिए उनकी रक्षा के लिए अभी से कवच-कुंडल का प्रबंध किया जा रहा है। अधिकांश लोगों का मानना है कि काशी-अयोध्या में भाजपा के समागम से योगी सरकार के पक्ष में जबर्दस्त माहौल बना है। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण और अयोध्या में भाजपा के मुख्यमंत्रियों के आगमन से भाजपा को बड़ा चुनावी लाभ मिल सकता है। इस अनुमान की सत्यता अब चुनाव के बाद ही प्रमाणित होगी।