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रामपुर: भाजपा की सूची में संघ 'खारिज', क्या सपा को टक्कर दे पाएगी पार्टी?

जनपद में पार्टी प्रत्याशियों की पहली सूची से राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की अनदेखी स्पष्ट झलक रही है। जिसके बाद चुनावी परिणामों को लेकर सभी आशंकित भी हैं।

By Rajeevkumar Singh
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रामपुर। राजनीतिक परिदृश्य में रामपुर का सूबे में अपना महत्व है। सपा सरकार में नंबर दो मंत्री रहे मोहम्मद आजम खां की इकतरफा राजनीतिक विरासत में भाजपा को सपा का अन्यों के मुकाबले कहीं बेहतर प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन जनपद में पार्टी प्रत्याशियों की पहली सूची से राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की अनदेखी स्पष्ट झलक रही है। जिसके बाद चुनावी परिणामों को लेकर सभी आशंकित भी हैं। Read Also: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस-सपा गठबंधन के लिए प्रियंका ने संभाली कमान, भेजा दूत

आजम के क्षेत्र में सपा के मुकाबले में खड़ी भाजपा

आजम के क्षेत्र में सपा के मुकाबले में खड़ी भाजपा

भौगोलिक दृष्टिकोण से रामपुर पांच विधानसभा क्षेत्र में बंटा है। सपा हमेशा से आजम से बंधी रही। तो भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी रामपुर को केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के कार्यक्षेत्र के रूप में देखती रही है। यह बात दीगर है कि इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ दें तब अपनी सियासी विरासत बचाने के लिए आजम-नकवी ने एक दूसरे के खिलाफ मुंह नहीं खोला। ऐसे में सपा नेता के जुल्मों का रोना रोकर मन की बात सुनाने के लिए भाजपाइयों में सांसद डा.नेपाल सिंह से आस जागी भी। किंतु नकवी से छिड़ी प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्ंदता के चलते सांसद भी टुकड़ों में बंटी जिले की भाजपा के एक छोटे से खेमे में ही सिमटकर रह गए। यही वजह रही कि पुरान और घाघ भाजपाइयों को टिकट के लिए अपने-अपने ठोस पैरोकार नहीं मिले। अलबत्ता संघ ने जरूर इन दिग्गजों को सराहा दिया।

नकवी-नेपाल सिंह के बीच टिकटों की लड़ाई

नकवी-नेपाल सिंह के बीच टिकटों की लड़ाई

यही कारण रहा कि जिले की पांचों सीटों पर लगभग 80 फीसदी तब संघ के दखल की उम्मीद भी जताई जाने लगी। लेकिन टिकटों की पूरी की पूरी लड़ाई डा. सिंह व नकवी के बीच एक दूसरे को मात देने की जुगलबंदी में ही सिमटकर रह गई। यानि नकवी ने जीत और हार के तमाम गुणा-भाग को दरकिनार कर बिलासपुर में मजबूत माने जाने वाले पूर्व विधायक ज्वाला प्रसाद गंगवार और आजम की धुरविरोधी दीक्षा गंगवार को धताबताते हुए हवाई नेता कहलाए जाने वाले अपने नजदीकी और बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले बलदेव औलख की झोली में बिलासपुर का टिकट डलवा दिया। अब सांसद डा. सिंह भी कहां पीछे रहने वाले थे, सपा की प्रतिष्ठा वाली चमरौवा विधानसभा से पूर्व मंत्री और कट्टर हिंदू नेताओं में शुमार शिवबहादुर सक्सेना व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ख्यालीराम लोधी का टिकट कटवाकर अपने ससुरालिये मोहन लोधी को टिकट दिला दिया। ऐसे में सांसद डा. सिंह नकवी को कद दिखाने में कामयाब रहे हों, लेकिन उनकी जिद ने चमरौवा और शहर सीट के परिणामों को प्रभावित जरूर किया है।

आजम के रामपुर से शिवबहादुर सक्सेना को टिकट

आजम के रामपुर से शिवबहादुर सक्सेना को टिकट

इसी तरह पार्टी ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की पसंद जुगेश अरोड़ा उर्फ कुक्कू को दरकिनार कर आजम की प्रतिष्ठित रामपुर शहर से शिवबहादुर सक्सेना को उतार दिया। जबकि शाहबाद (सुरक्षित) सीट पर बेहद मजबूत माने जाने वाले पूर्व विधायक काशीराम दिवाकर के स्थान पर राजबाला जैसा गुमनाम चेहरा लाकर संघ की भाजपा में उपयोगिता का अहसास करा दिया।

रामपुर में भाजपा ने की पिछड़ी जाति को साधने की कोशिश

रामपुर में भाजपा ने की पिछड़ी जाति को साधने की कोशिश

इधर, सपा नेता मोहम्मद आजम खां के पुत्र अब्दुल्ला आजम और बसपा से नवाब काजिम अली उर्फ नवेद मियां के मैदान में होने से सबसे ज्यादा रोक स्वार-टांडा विधानसभा सीट पर भी पार्टी ने लक्ष्मी सैनी को टिकट देकर पिछड़ी जाति को साधने की कोशिश की वहीं, लंबे समय से तैयारी में जुटे आरएसएस समर्थित शांति लाल चौहान का खेल खराब कर दिया। जिससे चौहान बिरादरी भाजपा के खिलाफ लामबंदी की तैयारी में जुट गई है।

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English summary
In Rampur, BJP is main opponent of SP but after distribution of ticket the situation is against the party.
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