"मुस्लिम विरोधी" छवि बदलने के लिए UP के Nagar Nigam चुनाव में ये बड़ा दांव खेलेगी BJP
Bhartiya Janta Party ने अब अपनी नजरें यूपी नगर निगम चुनाव (UP Nagar Nigam Election) पर टिका दी हैं। Uttar Pradesh में विधानसभा चुनाव में शानदार सफलता हासिल करने के बाद बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव कर विरोधियों को मात देने की योजना बनायी है। बीजेपी के सूत्रों की माने तो भाजपा की योजना यूपी में होने वाले शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों में मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारने की है। बीजेपी ने अपनी रणनीति पर अमल करना भी शुरू कर दिया है। हालांकि बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि आजमढ़-रामपुर लोकसभा उपचुनाव में मिली जीत के बाद ही बीजेपी ने इस रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। यदि निकाय चुनाव में ये टेस्ट सफल रहा तो आगे आने वाले चुनावों में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
यूपी में लगभग 1200 मुस्लिम वार्डों की पहचान की गई
भाजपा के सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने लगभग 1,200 अल्पसंख्यक बहुल वार्डों की पहचान की है। यह वार्ड यूपी के 17 नगर निगमों, 199 नगर पालिका परिषद (एनपीपी) और 438 नगर पंचायतों (एनपी) में फैले हुए हैं। पार्टी को लगता है कि इन वार्डों में मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा जा सकता है। बीजेपी ने इन सीटों पर अलग से रणनीति बनाने में जुटी हुई है। बीजेपी को लगता है कि ऐसी सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर मुस्लिम विरोधी छवि को सुधारा जा सकता है।
हमारा प्रयास हर घर में कमल पहुंचाना
यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक विंग के प्रमुख कुंवर बासित अली ने वनइंडिया संवाददाता को बताया, "बीजेपी पहले से ही हर समुदाय के लोगों को पार्टी से जोड़ने में लगी हुई है। यूपी में साढ़े चार करोड़ लाभार्थी मुस्लिम समुदाय से हें। पार्टी चाहती है कि इस समाज का भी उद्धार हो और लोग आगे आकर चुनाव लड़ें। यूपी में करबी 1200 वार्डों की पहचान की गई है जहां से मुस्लिम उम्मीदवार उतारे जाएंगे। हमारा प्रयास हर घर तक कमल पहुंचाने का है।" हालांकि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी ने 2017 के निकाय चुनावों में भी कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा था।
बीजेपी के पास अभी नहीं है एक भी मुस्लिम सांसद या विधायक
वास्तव में, भाजपा 'दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी' होने का दावा करती है। इसके पास इस साल 7 जुलाई से लोकसभा या राज्यसभा में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है। 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बीजेपी का एक भी मुस्लिम विधायक नहीं है जबकि भाजपा ने अभी तक अल्पसंख्यक बहुल वार्डों के नामों की घोषणा नहीं की है, जहां वह मुस्लिमों को मैदान में उतारेगी, सूत्रों ने कहा कि अधिकांश वार्ड रामपुर, आजमगढ़, मेरठ, आगरा, मुजफ्फरनगर, बरेली, आगरा, बिजनौर और सहारनपुर में स्थित हैं।
आजमगढ़-रामपुर में जीत के बाद बीजेपी ने बदली रणनीति
यूएलबी चुनावों में मुसलमानों को मैदान में उतारने की भाजपा की योजना को आजमगढ़ और रामपुर में उपचुनाव जीतने के कुछ महीनों बाद काफी महत्व मिला। हालांकि पार्टी ने दो उपचुनावों में किसी भी मुस्लिम को मैदान में नहीं उतारा लेकिन जीत ने अल्पसंख्यक बहुल जिलों में बीजेपी को अच्छी तरह से खड़ा कर दिया। अपनी हिंदूवादी छवि के बावजूद, भाजपा मुस्लिम समुदाय को लुभाने के लिए ठोस प्रयास कर रही है।
पसमांदा मुस्लिमों को बीजेपी से जोड़ने की कोशिश
पीएम नरेंद्र मोदी ने लोक कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के माध्यम से पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों की सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का आह्वान किया था। माना जाता है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान शुरू की गई मुफ्त राशन सहित कई योजनाओं से मुसलमानों के सामाजिक रूप से पिछड़े तबकों को फायदा हुआ है। विशेषज्ञों ने कहा कि भाजपा यूएलबी चुनाव को मुस्लिम समुदाय के वोटिंग पैटर्न का आकलन करने के लिए इस्तेमाल कर सकती है। इसके बाद ही वह आने वाले चुनावों में इस रणनीति को लेकर आगे कोई कदम उठाएगी।
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