इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नामंजूर की यादव सिंह के बेटे-बेटियों की जमानत
इलाहाबाद। नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह के परिजनों की मुश्किलें कम नहीं हो रही है और अब हाईकोर्ट ने भी यादव परिवार को राहत देने से इंकार कर दिया है। सीबीआई की विशेष अदालत गाजियाबाद द्वारा यादव सिंह के बेटे व दोनों बेटियों की जमानत अर्जी खारिज होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इन्हे बड़ा झटका दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी यादव सिंह के बेटे व दोनों बेटियों की जमानत अर्जी को नामंजूर कर दिया है। बता दें कि करोड़ों रुपए के घोटाले में फंसे पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह के बेटे और बेटियों पर भी आय से अधिक संपत्ति आदि का मामला सीबीआई ने दर्ज किया है। उसी मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिये इलाहाबाद हाईकोर्ट में यादव के बेटे-बेटियों ने जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किसी को भी जमानत देने से इंकार कर दिया है>
सुप्रीम
कोर्ट
से
मिली
थी
राहत
दरअसल
नोएडा
प्राधिकरण
में
टेंडर
घोटाले
में
सीबीआई
ने
यादव
सिंह
की
गिरफ्तारी
के
बाद
सीबीआई
ने
यादव
सिंह
के
बेटे
सनी
यादव
और
दो
बेटियों
गरिमा
भूषण
और
करुणा
सिंह
पर
भी
आय
से
अधिक
संपत्ति
का
मामला
दर्ज
किया
है।
जिसके
बाद
गिरफ्तारी
से
बचने
के
लिए
तीनों
आरोपितों
ने
सुप्रीम
कोर्ट
में
अग्रिम
जमानत
की
अर्जी
दी
थी।
जिस
सुप्रीम
कोर्ट
ने
15
मार्च
को
तीनों
को
सीबीआई
कोर्ट
में
पेश
होने
को
कहा
था।
साथ
ही
जमानत
अर्जी
खारिज
होने
पर
30
दिन
तक
गिरफ्तार
न
करने
का
आदेश
दिया
था।
हो
सकती
है
गिरफ्तारी
फिलहाल
सीबीआई
अदालत
से
जमानत
अर्जी
खारिज
होने
के
बाद
आरोपितों
ने
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
की
शरण
ली
थी,
लेकिन
दोनों
जगह
से
अब
जमानत
अर्जी
खारिज
हो
गई
है।
ऐसे
में
अब
सिर्फ
सुप्रीम
कोर्ट
द्वारा
दी
गई
30
दिनों
की
मोहलत
का
ही
समय
इनके
लिए
राहत
भरा
होगा।
15
अप्रैल
को
जब
वह
तिथि
भी
खत्म
हो
जाएगी
तब
सीबीआई
संभव
है
कि
इनकी
गिरफ्तारी
भी
कर
ले।
डबल
बेंच
में
सुनवाई
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
दाखिल
अर्जी
पर
जस्टिस
रमेश
सिन्हा
व
जस्टिस
डीके
सिंह
की
डबल
बेंच
ने
सुनवाई
की
और
अर्जी
को
खारिज
करते
हुए
जमानत
को
नामंजूर
कर
दिया
है।
बता
दें
कि
जमानत
अर्जी
में
कहा
गया
था
कि
सीबीआई
ने
करोड़ों
के
घोटाले
में
प्राथमिकी
दर्ज
की
है,
लेकिन
पहले
याचीगण
का
नाम
नहीं
था,
बाद
में
उनका
नाम
दर्ज
किया
गया
है।
उनका
इस
मामले
में
से
लेना-देना
नहीं
है,
इसलिए
उन्हें
जमानत
दी
जानी
चाहिए।
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