आरटीआई के इन आंकड़ों ने पूर्व की अखिलेश सरकार को पानी-पानी किया
यूपी में यश भारती पुरस्कारों को रेवड़ी की तरह से बांटा गया, आरटीआई में सामने आया सच, कई लोगों को मुख्यमंत्री, मंत्री के कहने पर दिया गया पुरस्कार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार के कार्यकाल के दौरान यश भारती पुरस्कारों का वितरण काफी विवादों रहा था, कई ऐसे लोगों को यह पुरस्कार दिए गए जिसके बाद इसपर सवाल खड़ा हो गया था। दरअसल अखिलेश सरकार ने ऐसे-ऐसे लोगों को यह पुरस्कार बांटा था जिनका साहित्य या समाज में कोई खास योगदान नहीं है और इनकी सिफारिश भी संदेह के घेरे में है।
खूब रेवड़ी बंटी
अखिलेश सरकार के दौरान एक टीवी एंकर जिसने सैफई में महोत्सव के दौरान कार्यक्रम का संचालन किया था, उसे यश भारती पुरस्कार दिया गया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय में एक अधिकारी ने अपने ही नाम की संस्तुति इस पुरस्कार के लिए कर डाली, एक शोधकर्ता के नाम को जिसका दावा है कि उसने मेघालय में दो महीने के फील्ड वर्क के लिए इस पुरस्कार की संस्तुति की। यहां गौर करने वाली बात यह है कि इन तमाम लोगों के नाम की संस्तुति अखिलेश यादव के अंकल और एक स्थानीय एडिटर ने की थी।
1994 में मुलायम ने शुरू किया था यह सम्मान
वर्ष
2012-17
के
बीच
बांटे
गए
यश
भारती
पुरस्कारों
को
किस
तरह
से
रेवड़ी
की
तरह
बांटा
गया
है,
इसका
खुलासा
इंडियन
एक्सप्रेस
ने
अपनी
आरटीआई
के
जरिए
किया
है।
इस
सम्मान
की
शुरुआत
लोगों
के
भीतर
समाज
के
प्रति
जागरुकता
को
बढ़ाने
के
लिए
की
गई
थी,
जिसके
तहत
विजेता
को
एकमुश्त
11
लाख
रुपए
दिए
जाते
हैं
साथ
ही
हर
महीने
50
हजार
रुपए
की
पेंशन
भी
दी
जाती
है।
इस
पुरस्कार
की
शुरुआत
मुलायम
सिंह
यादव
ने
1994
में
की
थी,
लेकिन
बाद
में
इस
पुरस्कार
को
भाजपा
और
बसपा
की
सरकारों
ने
बंद
कर
दिया
था।
सीएम कार्यालय से तय होता था नाम
इंडियन एक्सप्रेस ने 2012-17 के दौरान दिए गए 200 यश भारती पुरस्कार विजेताओ के नाम की जानकारी आरटीआई के जरिए मांगी थी, जिसमें से 142 लोगों के बारे में जानकारी मुहैया कराई गई है। इस जानकारी से इस बात का खुलासा होता है कि ज्यादातर लोगों को यूं ही यह पुरस्कार लोगों की संस्तुति के आधार पर दे दिए गए थे, इस पुरस्कार को हासिल करने वाले ज्यादातर लोग समाजवादी पार्टी के हैं और अधिकतर लोगों के नामों की संस्तुति मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से की गई है, हालांकि इस पुरस्कारों बांटने का जिम्मा संस्कृति मंत्रालय के पास था।
21 लोगों ने खुद के लिए सम्मान मांगा
आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है कि 21 ऐसे लोगों यह सम्मान दिया गया जिन्होंने खुद मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर इस सम्मान की मांग की थी। छह लोगों के यहा सम्मान समाजवादी पार्टी के नेताओं के कहने पर दिया गया, जिसमें से दो नाम खुद अखिलेश यादव के अंकल शिवपाल यादव ने बढ़ाया था, वहीं एक नाम को आजम खान ने आगे बढ़ाया था, जिसे यह सम्मान दिया गया था।
हर किसी ने अपने करीबियों क दिलाया सम्मान
दो लोगों को यह सम्मान राजा भैया के कहने पर दिया गया था। तीन लोगों को यह सम्मान हिंदुस्तान टाइम्स लखनऊ की स्थानीय संपादक सुनीता एरॉन के कहने पर दिया गया। सुनीता एरॉन ने मुख्यमंत्री को एक मेल के जरिए इन लोगों को यह सम्मान देने की सिफारिश की थी। गौरतलब है कि योगी सरकार पहले ही जिन लोगों को यश भारती सम्मान दिया गया है उसकी जांच कर रही है, साथ ही सरकार लाइफटाइम पेंशन दिए जाने को रोकने पर भी विचार कर रही है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि आईएएस अधिकारी की 19 साल की बेटी को भी यह सम्मान दिया गया है।
रोक दी गई है पेंशन की राशि
उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग की ज्वाइंट डायरेक्टर अनुराधा गोयल ने ताया कि 2017-18 में इन लोगों को पेंशन देने के लिए 4.66 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, लेकिन अभी तक इसमें से एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि विभाग के डायरेक्टर ने इस लिस्ट की समीक्षा करने की बात कही है। वहीं इस पूरे मसले पर संस्कृति मंत्री लक्ष्मी नारायण का कहना है कि यश भारती पुरस्कारों पर सरकार में विचार चल रहा है, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। इस पूरे खुलासे पर सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि भाजपा सपा सरकार के सभी अच्छे कामों को रोक देना चाहती है, यश भारती पुरस्कार समाज में अलग-अलग हिस्सों में अहम योगदान देने वालों को दिया गया था, हर एक नाम का चयन उच्च स्तरी कमेटी के द्वारा चुना गया गया था।