'महंगाई व बेरोजगारी को और बढ़ाता है भाजपाई बजट', जानिए अखिलेश-डिंपल यादव ने और क्या कहा
Budget 2023 Reactions: बजट भाषण के पूरा होते ही विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव उनकी पत्नी डिंपल यादव और बीएसपी चीफ मायावती ने अपनी प्रतिक्रिया दी।
Budget 2023 Reactions: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार (01 फरवरी) को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया। बजट भाषण के पूरा होते ही विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। बटज भाषण के बाद सदन से बाहर आने पर समाजवादी पार्टी की सांसद और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस बजट को निराशाजनक बताया। तो वहीं, अखिलेश यादव और यूपी की पूर्व सीएम मायावती की प्रतिक्रिया सामने आई हैं।
सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ये बजट पेश किया गया है। लेकिन, इस बजट में किसानों के लिए कुछ नहीं है। किसानों की एमएसपी की बात नहीं की है। रेलवे को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। आधी से ज्यादा आबादी गांव में बसती है लेकिन उनके लिए कुछ नहीं किया है। ये बहुत ही निराशाजनक बजट है।'
तो वहीं, सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस बजट को भाजपाई बजट बताया। अखिलेश यादव ने कहा, 'भाजपा अपने बजट का दशक पूरा कर रही है पर जब जनता को पहले कुछ न दिया तो अब क्या देगी। भाजपाई बजट महंगाई व बेरोजगारी को और बढ़ाता है। किसान, मज़दूर, युवा, महिला, नौकरीपेशा, व्यापारी वर्ग में इससे आशा नहीं निराशा बढ़ती है क्योंकि ये चंद बड़े लोगों को ही लाभ पहुंचाने के लिए बनता है।'
वहीं, बीएसपी चीफ और पूर्व सीएम मायावती ने भी एक के बाद एक तीन ट्वीट किए है। उन्होंने कहा, 'देश में पहले की तरह पिछले 9 वर्षों में भी केंद्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही, किन्तु वे सब बेमानी हो गए जब भारत का मिडिल क्लास महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की मार के कारण लोवर मिडिल क्लास बन गया, अति-दुखद।'
उन्होंने कहा कि इस वर्ष का बजट भी कोई ज्यादा अलग नहीं। पिछले साल की कमियां कोई सरकार नहीं बताती और नए वादों की फिर से झड़ी लगा देती है जबकि जमीनी हकीकत में 100 करोड़ से अधिक जनता का जीवन वैसे ही दाव पर लगा रहता है जैसे पहले था। लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों? इतना ही नहीं, मायावती ने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा, 'सरकार की संकीर्ण नीतियों व गलत सोच का सर्वाधिक दुष्प्रभाव उन करोड़ों गरीबों किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के जीवन पर पड़ता है जो ग्रामीण भारत से जुड़े हैं और असली भारत कहलाते हैं।'
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मायावती ने कहा कि, 'सरकार उनके आत्म-सम्मान व आत्मनिर्भरता पर ध्यान दे ताकि आमजन की जेब भरे व देश विकसित हो। केन्द्र जब भी योजना लाभार्थियों के आँकड़ों की बात करे तो उसे जरूर याद रखना चाहिए कि भारत लगभग 130 करोड़ गरीबों, मजदूरों, वंचितों, किसानों आदि का विशाल देश है जो अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं। उनके लिए बातें ज्यादा हैं। बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर।'