25 लाख रु हर महीने खर्च कर मथुरा में गौसेवा करती है यह जर्मन महिला
गोवर्धन के राधा कुंड से कुछ किलोमीटर की दूरी पर कोन्हई गांव के खेतों में ये विदेश महिला गायों का पालन-पोषण करती है।
मथुरा। कान्हा की नगरी में एक ऐसी विदेशी महिला है जो गाय की प्रेमी है और यह महिला कई वर्षों से गायों के लिए काम कर रही है। गोवर्धन के राधा कुंड से कुछ किलोमीटर की दूरी पर कोन्हई गांव के खेतों में ये विदेशी महिला गायों का पालन-पोषण करती है। गोवर्धन में एक विदेशी महिला का गाय प्रेम देखने को मिला जो घायल या बीमार गायों की सेवा करती है। यह विदेशी महिला कई सालों से गायों की सेवा कर रही है।
गौशाला में हैं सैकड़ों गाएं
इस गौशाला में 1200 से अधिक बैल, बछड़े और वृद्ध गायें हैं और ये किसी न किसी बीमारी या घटना से जख्मी हुई है। किसी गाय को दिखाई नहीं देता तो किसी गाय से चला तक नहीं जाता। यह विदेशी महिला सुदेवी दासी ऐसी ही गायों का बिना किसी स्वार्थ के सेवा करती है। इन गायों की सेवा के लिए ही इस विदेशी महिला ने खुद को ही समर्पित कर दिया। इस विदेशी महिला का जन्म 2 मार्च 1958 में जर्मनी के बर्लिन शहर में हुआ इसका असली नाम फ्रेडरिक इरिन ब्रूनिंग है। जब इस विदेशी महिला से बात की तो गायों के बारे में बताते हुए इनकी आँखे नम और भावुक हो गयी। विदेशी महिला सुदेवी दासी ने बताया कि वो 1978 से 79 में घूमने के लिए भारत आई थी तब इसकी उम्र करीब 20 वर्ष थी। कई देशों की सैर करने के बाद बृज में आयी तो वो यहीं की बनकर रह गयी।
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गोवर्धन की करती हैं परिक्रमा
सुदेवी का कहना है गोवर्धन के राधा कुंड में गुरु दीक्षा ली और पूजा अर्चना करने लगी। गोवर्धन की परिक्रमा भी ये महिला करती है और उसके पड़ोसी ने गाय पालनी चाही और कुछ समय के बाद ही इनका जो गायों और बछड़ों से धीरे-धीरे लगाव और प्रेम बढ़ गया। सुदेवी ने गायों की सेवा करने की ठान ली और तब से लेकर आज तक गायों की सेवा कर रही है। इस विदेशी महिला के पिता जर्मन सरकार में एक अधिकारी थे। जब महिला के पिता को उनके गाय के प्रेम के बारे में पता चला तो सुदेवी के पिता ने अपनी पोस्टिंग दिल्ली स्थित दूतावास में करा ली।
बीमार गायों की करती हैं सेवा
अपने पिता के लाख मानाने के बाद भी सुदेवी ने अपना निश्चय नहीं बदला और आज भी गायों की सेवा में लगी सुदेवी दासी हर दिन एम्बुलेंस से 10 से 15 गायों को लेकर जाती हैं। किसी दुर्घटना में घायल हुई या बीमारी से ग्रसित है, उनकी सेवा करती हैं और उनका अपनी ही गौशाला में ही उपचार करती हैं। इस भक्ति भाव को देखते हुए लोगों ने अपनी ही गायों को इनकी गौशाला में छोड़ जाते हैं।
25 लाख खर्च करती हैं महिला
गायों की सेवा में लगी ये विदेशी महिला बिना किसी झिझक के गायों को अपनी ही गौशाला में रख लेती हैं। राधा सुरभि नाम की इस गौशाला में लगभग 60 लोग काम करते है जिससे इन सभी लोगों का परिवार इसी गौशाला से चलता है और इस गौशाला को हर महीने का जो खर्च आता है वो लगभग 25 लाख के आसपास आता है। इस गौशाला की राशि का पूरा खर्च इनकी पैतृक संपत्ति से आने वाले सालाना किराये से चलता है।
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