सामने आई राजकली, बोली— सीएम साहब हम तो जिंदा हैं'
सुलतानपुर। उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में सरकारी बाबूओं की मनमर्जी के चलते विधवा बुजुर्ग महिला की जीवन संकट में फंस गया। बाबूओं ने उसे कागजों में मरा हुआ दिखा कर पेंशन रोक दी। जिस मदद के वह आसरे थी, उसके नहीं मिलने से दर-दर चक्कर काटने को मजबूर हो गई। वह सामने आई और फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम गुहार लगाई- "सीएम साहब, हम जिन्दा हैं..!
20 साल से विधवा
- "सरकारी कर्मचारियों ने हमें मरा हुआ दिखा कर पेंशन रोक दी। जिस मदद के आसरे थी, वह नहीं मिलने से हमारा भरण-पोषण मुश्किल हो गया है।"
कुछ इन्हीं शब्दों में 20 साल से विधवा एक बुजुर्ग महिला की पीड़ा यूपी के सुलतानपुर में एक गांव से सामने आई। बुजुर्ग महिला गांव सैतापुर सराय की है, जिसको मिलने वाली पेंशन ग्राम विकास अधिकारी के अंधेपन की भेंट चढ़ गई। ग्राम विकास अधिकारी ने राजकली नामक की इस विधवा को मृतक दिखाकर रिपोर्ट खण्ड विकास अधिकारी के जरिए जिला प्रोवेशन अधिकारी को भिजवा दी थी। जिससे उसके खाते में आने वाली विधवा पेंशन पर रोक लगा दी गई।
मुख्यमंत्री
से
लगाई
गुहार
ग्राम
विकास
अधिकारी
ने
जब
राजकली
के
साथ
नाइंसाफी
की
तो
सिवाए
भटकने-फिरने
के
और
कोई
चारा
न
था।
20
साल
पहले
उसके
पति
की
डेथ
हो
गई
थी।
तो
सरकारी
विधवा
पेंशन
से
उन्हें
कुछ
मदद
मिल
जाती।
वह
दूसरों
के
घर
में
कामकाज
कर
जीवन
यापन
करती।
मगर,
जब
मजदूरी
करने
लायक
नहीं
रही
और
बीते
माह
उसकी
छमाही
पेंशन
खाते
में
नहीं
आई
तो
वह
परेशान
हो
गई।
इसके
लिए
तहकीकात
शुरू
की
तो
जो
जानकारी
उसे
मिली,
वह
ये
थी
कि
उसे
मरा
बता
दिया
गया।
ऐसे
में
फिर
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
के
नाम
गुहार
लगाई।
जीवित
प्रमाण
पत्र
मांगा
गया
राजकली
ने
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्य
नाथ
को
शिकायती
पत्र
भेजने
से
पहले
जिले
के
अफसरों
से
भी
गुहार
लगाई।
जिसमें
अपनी
बदहाल
स्थिति
का
हवाला
देते
हुए
कार्रवाई
की
प्रार्थना
की।
वहीं,
खण्ड
विकास
अधिकारी
अमर
नाथ
शुक्ल
ने
बताया
कि
उन्हें
इस
मामले
की
जानकारी
नहीं
है।
यदि
ऐसा
हुआ
है
तो
महिला
का
जीवित
प्रमाण
पत्र
उपलब्ध
करा
दिया
जाय
तो
रिपोर्ट
भेजकर
पेंशन
फिर
से
शुरू
करा
दी
जाएगी।
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