'दबंग' देते रहे जान से मारने की धमकी और दलित मामा-भांजे ने घोड़ी पर बैठकर निकाल के दिखाई बारात
Ujjain News, उज्जैन। मामा-भांजे की यह बारात नजीर बन गई। बारात भले ही पुलिस पहरे में निकली हो, मगर इसने 71 साल की बंदिशों को तोड़ डाला और समाज के सामने एक मिसाल पेश की कि अगर अपने हक के लिए लड़ना तय कर लें तो दुनिया की कोई ताकत उसे नहीं रोक सकती।
मामला मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील के गांव रुदा हेड़ा का है। यहां के दलित समाज के लोगों का दावा है कि आजादी के 71 साल बाद भी जाति विशेष के लोग दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बैठने देते हैं। पहले भी कई दलित दूल्हों पर घोड़ी पर सवार होकर बारात निकालने का प्रयास किया तो झगड़ा हुआ। मारपीट तक की नौबत आई।
देवीलाल तोड़ना चाहता वर्षों पुरानी गलत परिपाटी
गांव रुदा हेड़ा के ही दलित परिवार के देवीलाल ने इस परिपाटी को तोड़ना तय किया। उसने उज्जैन के एसपी सचिन अतुलकर के पास उनके कार्यालय जाकर गुहार लगाई कि भाई दिनेश और उसके भांजे की 18 फरवरी को शादी है। उसकी इच्छा है कि दोनों को घोड़ी पर बैठकर बारात निकाली जाए, लेकिन जाति विशेष लोगों की धमकियों का डर है। वे ऐसा होने नहीं देंगे। अगर पुलिस प्रशासन साथ तो देवीलाल व उसके परिवार का सपना पूरा हो सकता है।
बारात की सुरक्षा में लगे 50 पुलिसकर्मी
उज्जैन एसपी सचिन अतुलकर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बारात को पूरी सुरक्षा देने की बात कही, जिसके चलते एसपी ने तीन थानों के करीब 50 पुलिसकर्मियों का विशेष बल गांव में तैनात कर दिया। हथियारबंद पुलिसकर्मी गांव पहंचते ही जाति विशेष के लोगों को सख्त हिदायत दी कि अगर बारात निकलने के दौरान कोई भी गलत कदम उठाया तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मामा-भांजे ने घोड़ी पर सवार होकर निकाली बारात
मामा-भांजे ने घोड़ी पर सवार होकर निकाली बारात में आंसू गैस के गोले, बंदूकों आदि हथियारों से लैस पुलिसकर्मी भी शामिल हुए। इस दलित परिवार ने धूमधाम से गाजे-बाजे के साथ मामा भांजे दूल्हे को घोड़ी पर बैठाकर उनकी बारात निकाली। जमकर ठुमके भी लगाए। आजाद भारत के 71 साल के दौरान गांव में किसी दलित दूल्हे को कथित तौर पर पहली बार घोड़ी पर बैठा देख गांव के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
घोड़ी पर बैठाया तो बाद में जान से मार देंगे...
देवीलाल ने बताया कि जाति विशेष के लोगों धमकी दी थी कि उनके दूल्हों को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया जाएगा। अगर घोड़ी पर बैठाया तो बाद में जान से मार देंगे, मगर देवीलाल के परिवार ने तय कर रखा था कि अगर प्रशासन साथ देगा तो वे मामा-भांजे की शादी में दूल्हों को घोड़ी पर बैठाकर बारात निकालेंगे। पुलिस की मदद से समाज की यह बंदिशें तोड़कर सिर गर्व से गर्व से ऊंचा हो रहा है। देवीलाल का यह कहना है कि किसी जमाने में उनके बाप दादाओं को घोड़ी पर बैठने की इजाजत हुआ करती थी, मगर देवीलाल की पीढ़ी इस पर पाबंदी लग गई। जाति विशेष के लोगों के डर व धमकियों की वजह से देवीलाल की पीढ़ी में कोई भी दलित दूल्हा घोड़ी पर सवा नीं ह पाया था।