GST से गुजरात के व्यापारियों की हालत खराब, मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी
Surat news, सूरत। गुजरात में सूरत के कपड़ा व्यापारी अपने अस्तित्व की लडाई लड़ रहे हैं। टेक्सटाइल और डायमंड इन्डस्ट्रीज में जहां एक तरफ माल की खपत में कमी आई है वहीं दूसरी ओर रोजगार का सवाल गंभीर होता जा रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद कपड़ा मार्केट की स्थिति यह है कि श्रमिकों का अब सूरत से पलायन हो रहा है। ऐसा कहा जाता है कि जीएसटी के बाद कपड़ा व्यापार 30 प्रतिशत ही रह गया है। 70 प्रतिशत कपड़ा व्यापारी गंभीर आर्थिक स्थिति का सामना कर रहे हैं।
दो दिन पहले दिल्ली में जीएसटी काउंसिल की मीटिंग हुई, उम्मीद जताई जा रही थी कि सूरत ही नहीं बल्कि यूपी, बिहार के कपड़ा व्यापारियों को राहत मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिस वजह से व्यापारियों में घोर निराशा दिखाई दे रही है।
एक प्रमुख कपड़ा व्यापारी गजेन्द्र सिंह बताते हैं कि कपड़ा मार्केट का व्यापार भारी मात्रा में आर्थिक संकट से जूझ रहा है। व्यापार 30 प्रतिशत रह गया है। सबसे अधिक चौंकानेवाली बात यह है कि जीएसटी आने के बाद कपड़ा और डायमंड क्षेत्र में यूपी, बिहार और राजस्थान के तकरीबन 2 से 3 लाख श्रमिकों ने सूरत से अपनी घर वापसी कर ली है। श्रमिक वर्ग सूरत से अपने गांव की ओर जा चुका है। 50 से अधिक मीलों की हालत बंद होने के कगार पर है। रोजगार का समस्या खड़ी हो गई है।
उन्होंने कहा कि आनेवाले दिनों मे सूरत में फिर से एक बार NO GST आंदोलन शुरू हो सकता है। सूरत ही नहीं बल्कि देशभर के कपड़ा व्यापारियों की मांग है कि कपड़े पर से जीएसटी समाप्त की जाये। आजादी से लेकर अब तक कपड़ा पर कोई टैक्स लागू नहीं किया गया था तो फिर अब क्यों लागू किया गया? कपड़ा क्षेत्र से जीएसटी नहीं हटाया जायेगा तो सूरत में कपड़ा उद्योग की स्थिति अधिक खराब हो सकती है और लाखों युवा बेरोजगार बन सकते हैं। गुजरात सरकार और केन्द्र सरकार के समक्ष कपड़ा व्यापारी फिर एक बार डेलिगेशन भेजकर अपनी मांग दोहराने की तैयारी में जुट गये हैं।
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