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दिल्ली में अफगान स्कूल पर अनिश्चितता के बादल

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नई दिल्ली, 26 अगस्त। दिल्ली के भोगल इलाके में जमाल-अल-दीन अफगानी नामक एक अफगान स्कूल है. इस समय यहां कक्षा 1 से 12वीं तक के 500 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं. हालांकि, तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के साथ ही स्कूल के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं. यह स्कूल वित्तीय सहायता के लिए अभी तक अफगान सरकार पर निर्भर था. प्रसिद्ध शिक्षाविद् प्रोफेसर एएम शाह के मुताबिक, "मौजूदा स्थिति में ऐसी आशंका है कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल के असर से स्कूल बंद हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो इससे भारत में रह रहे अफगान बच्चे शिक्षा अच्छे के अवसर से वंचित हो जाएंगे."

Provided by Deutsche Welle

स्कूल को चलाने की मांग

स्थानीय निवासी और पेशे से शिक्षक रहे 70 वर्षीय डीडी दत्त ने स्कूल की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि यहां छात्रों की पढ़ाई किसी भी स्थिति में बंद नहीं होनी चाहिए. खासतौर पर ऐसे मौके पर, जबकि इन छात्रों का मुल्क एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है.

दत्त की ही तरह कई अन्य शिक्षक और शिक्षाविद् भी मानते हैं कि संकट की इस घड़ी में यह अफगान स्कूल बंद नहीं होना चाहिए. शिक्षाविद् एनएल खान के मुताबिक, "स्कूल को बचाने और यहां शिक्षा को जारी रखने के लिए सरकारों को आगे आना चाहिए, क्योंकि यह केवल एक स्कूल नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अफगानिस्तान की एक संस्था है."

हालांकि इस बीच दिल्ली में मौजूद इस अफगानी स्कूल के प्रशासन ने दृढ़ता के साथ स्कूल को चालू रखने का फैसला लिया है. स्कूल प्रशासन के मुताबिक स्कूल में पढ़ाई जारी रहेगी. भले ही स्कूल प्रशासन को वित्तीय संकट का सामना करना पड़े. फिलहाल दिल्ली के अन्य स्कूलों की तरह ही अभी कोरोना महामारी के मद्देनजर स्कूल में शारीरिक रूप से कक्षाएं शुरू नहीं हुई हैं, जिसके कारण छात्र और शिक्षक स्कूल नहीं आ रहे हैं. यहां सिर्फ अभी ऑनलाइन माध्यम से ही पढ़ाई चल रही है.

स्कूल प्रशासन की उम्मीद अभी पूरी तरह धूमिल नहीं हुई है. इस अफगानी स्कूल को अभी भी उम्मीद है कि अफगानिस्तान में बनने वाली नई सरकार दिल्ली स्थित इस स्कूल का ध्यान रखेगी.

1994 में स्थापित हुआ स्कूल

यह स्कूल 1994 में स्थापित किया गया था और एक गैर सरकारी संगठन, महिला फेडरेशन फॉर वर्क से संबंधित था. बाद में 2000 के दशक की शुरुआत में एनजीओ ने स्कूल को बंद कर दिया. कुछ दिन तक यह स्कूल चंदे की राशि से भी चलाया गया हालांकि इसके बाद अफगान सरकार ने इसे समर्थन दिया. तब से स्कूल की इमारत का किराया, शिक्षकों के लिए वेतन और यहां तक कि किताबों का भी ध्यान अफगान सरकार द्वारा रखा गया.

आईएएनएस

Source: DW

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English summary
story clouds of uncertainty over afghan school in delhi
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