जहां स्टीव वॉ, मार्क वॉ और स्टीव स्मिथ ने की नौकरी
श्रीलंकाई मूल के ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हैरिस सॉलोमन की सिडनी में मौजूद ये दुकान क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी ख़जाने से कम नहीं. जानिए क्या है इस दुकान की कहानी
सुबह के साढ़े दस बजे हैं और 75 साल के एक बेहद फ़िट दिखने वाले एक व्यक्ति टहलते हुए अपने बड़े से स्पोर्ट्स स्टोर के सामान को करीने से सजा रहे हैं.
जब मौक़ा क्रिकेट बैट की शेल्फ़ का आता है तो उनकी आँखों की चमक बढ़ जाती है.
हैरिस सॉलोमन नाम का ये शख़्स बताता है, "इस बैट को देखिए. विराट कोहली इसी से खेलता है और ये मीडियम वज़न का बैट है. अक़्सर उसके बल्ले यहीं से जाते है."
विराट कोहली के एक बैट का दाम क़रीब 70,000 भारतीय रुपए रहता है जबकि ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ के बैट की क़ीमत क़रीब 80,000 भारतीय रुपए होती है.
बातचीत के दौरान ही उनके पास भारतीय बल्लेबाज़ केएल राहुल का बैट रिपेयर के लिए पहुँचा और तुरंत ही राहुल का फ़ोन भी आ गया.
पता चला कि भीतर स्टीव स्मिथ के तीन बैट और पाकिस्तान टीम के चार बैटों की मरम्मत ख़त्म होने वाली है जिन्हें तुरंत रवाना कर दिया जाएगा.
लेकिन सिडनी के एक पुराने सबर्ब किंग्सग्रोव के रहने वाले हैरिस सॉलोमन की पहचान सिर्फ़ यहां के मशहूर शोरूम किंग्सरोव स्पोर्ट्स सेंटर से ही नहीं है.
क्रिकेटरों को दिया काम
इलाक़े में सभी को पता है कि ये वही हैरिस सॉलोमन हैं जिनके स्टोर पर ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव वॉ, उनके भाई मार्क वॉ और पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क सेल्समैन की नौकरी कर चुके हैं.
जुड़वा भाई स्टीव और मार्क वॉ यहां दस साल की उम्र में पहुंचे थे और पांच साल यहां काम करते रहे.
हैरिस सॉलोमन ने बताया, "दोनों के पिता मेरे साथ क्रिकेट खेलते थे. मेरे स्पोर्ट्स स्टोर के पीछे एक नेट्स भी है और मैंने कहा थोड़ी देर मेरी मदद किया करो फिर घंटों प्रैक्टिस करो".
दोनों भाइयों ने स्कूल के साथ-साथ ग्रीनशील्ड क्रिकेट क्लब में जूनियर क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था जो किंग्सग्रोव इलाक़े से ज़्यादा दूर नहीं था.
एक वाक़ये को याद करते हुए हैरिस सॉलोमन मुस्कुराते हुए कहते हैं, "अपर डिवीजन क्रिकेट में स्टीव का चयन पहले हुआ लेकिन कुछ दिन में उसे टीम से ड्रॉप कर दिया. निराश स्टीव घर पहुँचा तो मार्क ने पूछा तुम्हें ड्रॉप करके किसे लिया टीम में? स्टीव ने कहा, "तुम्हें".
श्रीलंकाई मूल के ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हैरिस सॉलोमन 49 साल पहले कुल 200 डॉलर लेकर गॉल से सिड्नी पहुंचे थे जहां उन्हें एक जेल में स्पोर्ट्स टीचर की नौकरी मिली. पत्नी और एक साल का बेटा भी साथ थे.
पांच साल नौकरी करने के बाद उन्होंने 180 स्क्वायर फ़ुट की एक छोटी सी दुकान में स्पोर्ट्स का सामान बेचना शुरू किया जिसमें ज़्यादातर क्रिकेट गियर था.
धीमे-धीमे बिज़नेस बढ़ता गया और हैरिस सॉलोमन ने वर्षों पहले साइमंड्स नाम की एक मशहूर भारतीय ब्रांड की फ्रैंचाईज़ ले ली जिसके तहत एलन बॉर्डर, विवियन रिचर्ड्स और गॉर्डन ग्रीनिज जैसे नामचीन क्रिकेटरों को उन्होंने स्पॉन्सर भी किया.
स्टोर में काम करने वाले मौजूदा कर्मचारियों को इस बात पर गर्व है कि यहाँ काम करने वाले कुछ लोगों ने दुनिया भर में नाम कमाया.
उनके 50 साल के बेटे हामिश भी क्रिकेटर हैं और फ़र्स्ट डिवीजन क्रिकेट खेल चुके हैं. तीन साल पहले तक वे पिता का हाथ बँटाते थे और अब पास की क्रिकेट एकेडमी के हेड कोच हैं. स्टीव स्मिथ को उनके पिता जब यहां क्रिकेट खेलने के लिए लाए थे तब हामिश कोचिंग शुरू कर चुके थे.
क्योंकि बाहर बारिश हो रही थी तो तीन इंडोर पिचों पर ट्रेनिंग देने के दौरान हामिश ने बताया, "माइकल क्लार्क भी सिडनी शहर के लिवरपूल इलाके के हैं और क्रिकेट खेलने के लिए उन्हें स्कूल बीच में छोड़ना पड़ा. जब डैड को पता चला कि एक उभरता नौजवान नौकरी के साथ-साथ क्रिकेट ट्रेनिंग की सुविधा तलाश रहे हैं तो उन्होंने माइकल को नौकरी पर रख लिया और बाद में स्पॉन्सर भी किया".
क्रिकेट का बेहतरीन म्यूज़ियम
आज हैरिस सॉलोमन के ऑस्ट्रेलिया भर में छह बड़े स्टोर हैं जहां लाखों डॉलर के स्पोर्ट्स गुड्स की बिक्री होती है. ऑनलाइन व्यापार भी बढ़ चुका है और भारत समेत 11 देशों में सप्लाई जारी है.
वैसे इनके इस स्टोर में एक क्रिकेट म्यूज़ियम सेक्शन भी है जहां आप ब्रैडमैन की 'इन्विसिबल' कही जाने वाली टीम की एक विशाल तस्वीर देखेंगे और ख़ास बात ये कि सभी पर उस टीम के लोगों के ऑटोग्राफ़ मौजूद हैं. आज उस टीम के सिर्फ़ एक सदस्य, 92 साल के नील हार्वे, जीवित हैं.
हैरिस ने बताया, "मैंने इस तस्वीर पर डेढ़ लाख डॉलर का बीमा लिया हुआ है".
सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा, शेन वार्न से लाकर रोहित शर्मा और यूनुस ख़ान तक, शायद ही कोई ऐसा क्रिकेटर बचा हो जिसने करियर के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान यहां ख़रीदारी न की हो.
जैसे ही ज़िक्र शेन वार्न का आया, हैरिस सॉलोमन की आँखें भर आईं.
"शेन मेरे यहां सोलह साल की उम्र में पहली बार आया था क्योंकि वो मेलबर्न में रहता था. इसके बाद वो मेरे बेटे की तरह हो गया और लगभग हर बड़े दौरे पर मुलाक़ातें होती थीं. बहुत कम लोगों को पता है कि शेन वार्न अपनी दौलत का एक बड़ा हिस्सा चैरिटी को दिया करता था".
चलने से पहले मुझे किंग्सरोव स्पोर्ट्स सेंटर के निजी संग्रहालय में एक बैट भी दिख गया जिस पर 1983 का विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के ऑटोग्राफ़ और मैच के बाद की पार्टी की ख़ास तस्वीरें थीं.
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