‘बुमराह ब्लास्ट’ से भौंचक्के हैं अंग्रेज
बर्मिंघम, जुलाई 04। एजबेस्टन में 'बुमराह ब्लास्ट’ से अंग्रेज भौंचक्के हैं। पहले बल्लेबाजी में गरजे। फिर गेंदबाजी में बरसे। कप्तान बनते ही तहलका मचा दिया। महान कपिल देव के बाद बुमराह दूसरे तेज गेंदबाज हैं जो भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान बने हैं। ये कप्तानी भले इत्तेफाक से मिली। लेकिन उन्होंने अपनी क्षमता की झलक दिखा दी। एक खामोश क्रांति मुहाने पर खड़ी है। कुछ साल इंतजार कीजिए। फिर मुलाकात होगी भारत के एक सर्वगुण सम्पन्न कप्तान से। क्या बुमराह विश्व के सबसे सफल तेज गेंदबाज कप्तान हो सकते हैं ? जसप्रीत बुमराह की उम्र अभी 28 साल है। उन्होंने 30 टेस्ट मैचों में 130 विकेट लिये हैं। उन्हें कप्तानी सौंपने का ये बिल्कुल सही समय है।
एजबेस्टन में बुमराह का ब्लास्ट
एजबेस्टन टेस्ट के दूसरे दिन क्रिकेट प्रेमियों ने देखा कि चमत्कार क्या होता है। भारत की पारी का 84 वां ओवर चल रहा था। क्रीज पर जसप्रीत बुमराह थे। उनका साथ दे रहे थे मोहम्मद सिराज। आखिरी जोड़ी मैदान पर थी। टेस्ट मैच में वैसे भी विस्फोटक बल्लेबाजी से परहेज किया जाता है। अगर खुदा ना खास्ते किसी तेज पारी की उम्मीद की भी जाती है तो वह किसी नामी बल्लेबाज से। दसवें नम्बर के बल्लेबाज से तो कोई सपने में भी इसकी कल्पना नहीं कर सकता। लेकिन जसप्रीत बुमराह ने करिश्मा कर दिया।
बुमराह ने बल्लेबाजी में ढहाया कहर
स्टुअर्ट ब्रॉड की पहली गेंद पर बुमराह ने चौका मारा। दूसरी गेंद वाइड रही जो बाई के रूप में चार रनों के लिए चली गयी। इस गेंद पर पांच रन मिले। दूसरी गेंद फिर करनी पड़ी। इस पर बुमराह ने हुक लगा कर छक्का मारा। संयोग से ये गेंद नो बॉल हो गयी। इस गेंद पर 7 रन बने। मान्यता प्राप्त दूसरी गेंद अभी भी बाकी थी। ब्रॉड के तीसरे प्रयास में दूसरी गेंद आयी जिस पर बुमराह ने चौका जड़ दिया। तीसरी गेंद पर भी चौका लगा। चौथी गेंद पर फिर चौका। पांचवीं गेंद पर छक्का ठोका। छठी गेंद पर 1 रन लेकर बुमराह ने इतिहास रच दिया।
इस ओवर में 35 रन बने जो 145 साल के टेस्ट इतिहास में सर्वाधिक था। इन 35 रनों में 29 रन बुमराह के बैट से आये। बुमराह से पहले एक ओवर में किसी भी बल्लेबाज ने 29 रन नहीं बनाये थे। महान ब्रायन लारा का रिकॉर्ड 28 रनों का था जिसे बुमराह ने तोड़ दिया। ब्रॉड ने इस ओवर में 8 गेंदें फेंकी। कप्तान बनते ही बुमराह का जोश सातवें आसमान पर है।
बुमराह का कप्तानी परफॉर्मेंस
जब इंग्लैंड की पहली पारी शुरू हुई तो बुमराह ने अपनी तेज गेंदबाजी से इंग्लैंड के खेमे में खलबली मचा दी। 44 रन पर इंग्लैंड के तीन विकेट गिर गये और शुरुआती तीनों विकेट बुमराह ने झटके। इसका फायदा शमी और सिराज ने उठाया जिसकी वजह से इंग्लैंड की टीम 284 रन ही बना सकी। इस तरह भारत को 132 रनों की लीड मिल गयी। वो तो बेयरेस्ट ने शतक लगा दिया वर्ना इंग्लैंड की पारी डेढ़-दो सौ के बीच सिमट जाती। एक कप्तान के रूप में बुमराह ने गेंदबाजों का बेहतर इस्तेमाल किया। मैदान पर वे एक नये अवतार में थे। तीन विकेट लेने के बाद वे पांच विकेट लेने की मोह में नहीं पड़े। वक्त से हिसाब से शमी, सिराज और शार्दुल को मोर्चे पर लगाया। उन्होंने बिल्कुल शांत रह कर अपनी जिम्मेदारी निभायी। जब शार्दुल ठाकुर ने कवर में बेन स्टोक्स का कैच छोड़ा तब भी उन्होंने कोई नाराजगी नहीं दिखायी। इस बात को सहज रूप में लिया। कप्तानी का भौकाल भी नहीं दिखाया। वे तेज गेंदबाज हैं। 27 रन के स्कोर पर इंग्लैंड के दो खिलाड़ियों को आउट कर चुके थे। चाहते तो दबदबा दिखाने के लिए चार या पांच स्लीप के साथ बॉलिंग कर सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं किया।
इमरान और कपिल देव से आगे निकलने का कठिन लक्ष्य
ये क्रिकेट प्रबंधकों की नाइंसाफी है कि वे हमेशा बल्लेबाजों में ही भविष्य का कप्तान खोजते हैं। गेंदबाज चाहे कितना भी काबिल क्यों न हो उसको कप्तानी के लायक नहीं समझा जाता। बहुत मुश्किल से तेज गेंदबाजों को टेस्ट टीम का कप्तान बनाया जाता है। अब मिसाल के तौर पर जिमी एंडरसन को ही ले लीजिए। वे विश्व के सबसे सफल तेज गेंदबाज हैं। 40 साल की उम्र में भी लाजवाब तेज गेंदबाजी कर रहे हैं। 172 टेस्ट में 657 विकेट ले चुके हैं। पिछले दो दशक से वे जीत के नायक रहे हैं। फिर भी उन्हें इंग्लैंड का कप्तान नहीं बनाया गया। जो रूट ने जब कप्तानी छोड़ी तो बेन स्टोक्स को यह जिम्मेदारी दे दी गयी। क्या यह अखरने वाली बात नहीं ? भारत में वैसे तो स्पिन गेंदबाजों को कप्तानी का मौका मिलता रहा है। विनू मांकड़, बिशन सिंह बेदी, वैंकटराघवन जैसे दिग्गज स्पिनर भारत के कप्तान बने। लेकिन तेज गेंदबाज के रूप में भारत के पहले कप्तान कपिलदेव हैं। कपिलदेव ने कप्तान के रूप में 34 टेस्ट खेले जिसमें 111 विकेट लिये हैं। विश्व के सबसे सफल तेज गेंदबाज कप्तान इमरान खान हैं। इमरान ने 48 टेस्ट मैचों में कप्तानी की जिसमें 187 विकेट लिये। जसप्रीत बुमराह के सामने ये दो बड़े लक्ष्य हैं। अगर उन्हें नम्बर एक कप्तान बनना है तो इन दो दिग्गजों से आगे निकलना होगा। ऐसा करना आसान नहीं है। इस मुकाम पर पहुंचने के लिए बुमराह को जीतोड़ मेहनत करनी होगी और खुद को फिट भी रखना होगा।