Sonbhadra: सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं? तालाब में थाली धोते वीडियो वायरल
ताजा मामले में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे स्कूल गए नौनिहालों को तालाब के पानी से बर्तन धोते साफ़ देखा जा सकता है।
एक ओर शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है और शिक्षा स्तर को बेहतर बनाने के लिए पैसे को पानी की तरह बहाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर आए दिन ऐसी कई तस्वीरें प्रदेश के विभिन्न स्कूलों से सामने आती रहती है जिसमे शिक्षा के मदिरों में मासूम बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुलती दिखाई पड़ती है। ताजा मामले में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे स्कूल गए नौनिहालों को तालाब के पानी से बर्तन धोते साफ़ देखा जा सकता है। वीडियो वायरल होने के बाद बीएसए और जिला प्रशासन द्वारा संबंधित प्रधानाध्यापक को अपराध श्रेणी की लापरवाही के तहत ससपेंड कर दिया गया है।
तालाब
में
संवारा
जा
रहा
नौनिहालों
का
भविष्य
दरअसल,
यह
वायरल
वीडियो
सोनभद्र
जनपद
के
नगवा
ब्लॉक
क्षेत्र
के
आमदी
गांव
में
स्थित
प्राथमिक
विद्यालय
का
है।
जहां
पर
घर
से
स्कूल
गए
नौनिहालों
को
तालाब
में
बर्तन
धुलाई
जा
रहे
हैं।
अब
सोचने
वाली
बात
यह
है
कि
क्या
हो
अगर
किसी
बच्चे
का
पैर
फिसल
जाए
और
वो
तालाब
में
गिर
जाए?
अगर
किसी
बच्चे
की
दुर्भाग्यवश
जान
चली
जाए
तो
इसका
जिम्मेदार
कौन
होगा?
सरकार
द्वारा
सभी
मूलभूत
सुविधाए
उपलध
कराए
जाने
के
बावजूद
क्यों
बच्चों
को
तालाब
तक
जाना
पड़
रहा
है
और
अपनी
जान
को
खतरे
में
डाल
कर
बर्तन
धोने
पड़
रहे
हैं?
बता
दें
कि
वीडियो
के
वायरल
होने
के
बाद
प्रशासन
भी
फ़ौरन
हरकत
में
आ
गया
और
जांच
पड़ताल
के
बाद
बीएसए
द्वारा
संबंधित
प्रधानाध्यापक
को
सस्पेंड
कर
दिया
गया।
शिक्षा
विभाग
के
व्यवस्थाओं
की
खुली
पोल
स्कूलों
में
बच्चों
की
सुरक्षा
को
लेकर
समय-समय
पर
सुप्रीम
कोर्ट,
हाई
कोर्ट,
बाल
आयोग,
शिक्षा
विभाग
द्वारा
आदेश
व
दिशानिर्देश
जारी
किए
जाते
रहे
हैं,
नीति
बना
ली
जाती
है
लेकिन
स्कूलों
में
ऐसे
लागू
करना
सबसे
अहम
काम
है।
स्कूलों
का
रवैया
कुछ
इस
प्रकार
है
कि
जब
तक
स्कूल
परिसर
में
छात्र
के
साथ
कोई
जुर्म
हो
ना
जाए,
तब
तक
वो
छात्रों
की
सुरक्षा
के
बारे
में
सोचते
तक
नहीं
हैं।
नियमानुसार
तो
हर
स्कूल
में
पाक्सो
कमेटी,
बुलिंग
कमेटी,
डिसीप्लिनरी
कमेटी,
चाइल्ड
प्रोटेक्शन
कमेटी,
स्कूल
सेफ्टी
कमेटी
व
अन्य
कमेटियां
होनी
चाहिए।
यहां
तक
कि
स्कूल
के
बाहर
एक
'शिकायत
पेटी'
का
भी
प्रविधान
है,
परंतु
जैसा
कि
हमेशा
से
ही
देखा
गया
है
अधिकांश
स्कूलों
में
ये
सभी
कमेटियां
नदारद
हैं
या
फिर
केवल
कागजों
की
शोभा
बढ़ा
रही
हैं
क्योंकि
इनको
सुनिश्चित
करने
व
जांच
करने
की
जिनकी
जिम्मेदारी
है,
वे
सभी
पदाधिकारी
अपने
कर्तव्य
से
विमुख
रहते
हैं।
स्कूलों
की
चारदीवारी
के
अंदर
लगातार
हो
रही
घटनाएं
इस
बात
का
साक्ष्य
हैं।
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