सोनभद्र में मिले सोने का क्या है अंग्रेजों से कनेक्शन, 40 साल की खुदाई के बाद मिला 3000 टन सोना
सोनभद्र। भारत को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था, लेकिन तेजी से वक्त बदला और बाहरी आक्रमणकारी खजाने को लूटते रहे। कभी मुगलों ने तो कभी अंग्रेजों ने भारत के खजाने को जमकर लूटा और अपने साथ ले गए। इतना ही नहीं गुलामी के दौर में अंग्रेजों ने भी सोने की खान का पता लगाने की कोशिश की थी, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके थे। आजादी से पहले ही सोना के लिए शुरू हुई खोज के चलते ही पहाड़ी का नाम सोन पहाड़ी पड़ गया था, तब से लेकर अब तक यहां के आदिवासी इसे सोन पहाड़ी के नाम से ही जानते हैं। उन्हें इस बात का तनिक भी इल्म नहीं था कि इन पहाड़ियों के गर्भ में तीन हजार टन सोना दबा पड़ा है।
भारत दुनिया के टॉप-3 देशों में हुआ शामिल
पिछले कई वर्षों से भारतीय भू वैज्ञानिक उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में सोने की तलाश कर रहे थे। अब तलाश पूरी हो गई है। भू वैज्ञानिक को सोनभद्र जिले में दो स्थानों पर करीब तीन हजार टन सोने का अयस्क मिला है। इससे करीब डेढ़ हजार टन सोना निकाल जा सकेगा। बता दें कि वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में भारत के पास करीब 626 टन सोने का भंडार है। वहीं, सोनभद्र जिले में मिला सोना इससे करीब 5 गुना ज्यादा है। अब माना जा रहा है कि सोने के रिजर्व को लेकर भारत दुनिया के टॉप-3 देशों में शामिल हो सकता है। हालांकि, यह कोई पहला मौका नहीं है जब खनिजों के इतने बड़े भंडार का पता चला हो। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका में सोने का भंडार मिला था।
1980 में शुरू हुई थी सोने की खोज
सोनभद्र खनिज संपदा के लिए पूरे देश में विख्यात था, लेकिन अब यहां पर सोने के अपार भंडार मिलने के बाद यह पूरी दुनिया की निगाह में आ गया है। यह काम एकाएक नहीं हुआ है, बल्कि इसकी खोज और पुख्ता करने में वैज्ञानिकों की टीम को 40 साल का लंबा वक्त लग गया। सरकारी अभिलेखों के अनुसार, सोनभद्र में सबसे पहले सोने की खोज 1980 के दशक में की गई थी। इसके बाद दूसरी बार कोशिश 1990-1992 में की गई। इस दौरान सोने की जगहों को चिह्नित किया गया था। तीसरी व चौथी कोशिश 2005 से 2012 के बीच की गई। वर्ष 2012 से लेकर अब तक के बीच अन्य जरूरी कार्यों को पूरा करने के बाद सरकार इसके टेंडर प्रक्रिया की ओर गई है।
भारी मात्रा में दबे हैं दूसरे खनिज
भू-भौतिकीय सर्वे के दौरान सोन पहाड़ी में सोने के साथ लोहा सहित भारी मात्रा में दूसरे खनिज भी दबे हैं। जिले के कई भू-भागों में हेलिकॉप्टर से भू-भौतिकीय सर्वे जारी है। इस सर्वेक्षण में विद्युती चुंबकीय एवं स्पेक्ट्रोमीटर उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है। इन उपकरणों का कुछ भाग हेलिकॉप्टर के नीचे लटका रहता है, जो कि जमीन की सतह से 60-80 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए सर्वेक्षण करता है। सोनभद्र डीएम एन. राजलिंगम ने कहा कि जिस जमीन के अंदर यह खनिज संपदा छिपी है, उसके सीमांकन का कार्य गुरुवार को खनिकर्म प्रभारी अधिकारी विजय कुमार मौर्य की अगुवाई में नौ सदस्यीय टीम कर रही है।
अलग-अलग स्थानों पर मिला भंडार
जीएसआई के मुताबिक सोनभद्र की सोन पहाड़ी पर 2943.26 टन सोना और हरदी ब्लॉक में 646.15 किलो सोने का भंडार मिला है। इसी प्रकार पुलवार ब्लॉक में दो स्थानों पर 12.7 टन और 22.16 टन तथा सलइयाडीह ब्लॉक में 60.18 टन एंडालुसाइट का भंडार मिला है। पटवध ब्लॉक में 9.15 टन पोटाश व भरहरी ब्लॉक में 14.87 टन लौह अयस्क और छिपिया ब्लॉक में 9.8 टन सिलीमैनाइट के भंडार की खोज की गई है।
सीमांकन का कार्य हुआ पूरा
वरिष्ठ खान अधिकारी केके राय ने बताया कि शासन के निर्देश पर चिह्नित सभी खनन स्थलों का सीमांकन कार्य गुरुवार को पूरा कर लिया गया है। बताया कि अब वन विभाग की भूमि के नक्शे से सीमांकन का मिलान कराकर यह देखा जाएगा कि कहीं यह स्थल वन भूमि में तो नहीं आ रहा है। अगर यह खदानें वन भूमि के दायरे में आएंगी तो इसकी रिपोर्ट शासन को प्रेषित किया जाएगा, ताकि इस भूमि को धारा 20 के तहत अधिग्रहित किया जा सके। बताया कि खनन चालू होते ही प्रदेश सरकार को अरबों रुपये का राजस्व मिलेगा, जिसकी कोई सटीक गणना वर्तमान समय में संभव नहीं है।
जीएसआइ की दो हेलीकाप्टर जिले में
जिले में तीन लाख टन सोना मिलने के बाद उसके उत्खनन में तेजी लाने के लिए शासन स्तर पर प्रयास तेज हो गए हैं। भूगर्भ वैज्ञानिकों की टीम जिले में डेरा डालकर खनन से पूर्व हर एंगल पर काम करना शुरू कर दिया है। गुरुवार को जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम के दो हेलीकाप्टर जिले में डेरा डाले हुए हैं। टीम द्वारा हेलीकाप्टर से मेडल लटका कर चिन्हित स्थान के आसपास भ्रमण कर रही है।
आवंटन की प्रक्रिया योगी सरकार ने की शुरू
राज्य सरकार ने तेजी दिखाते हुए सोने के ब्लॉक के आवंटन के संबंध में प्रक्रिया शुरू कर दी है। बता दें कि सोनभद्र के कोन क्षेत्र के हरदी गांव में और महुली क्षेत्र के सोन पहाड़ी में सोने का बड़ा भंडार मिलने की पुष्टि हो चुकी है। ई-टेंडरिंग के माध्यम से ब्लॉकों की नीलामी के लिए शासन ने सात सदस्यीय टीम भी गठित कर दी है। यह टीम पूरे क्षेत्र की जिओ टैगिंग करेगी और 22 फरवरी, 2020 तक अपनी रिपोर्ट भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय लखनऊ को सौंप देगी।
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