Aruna Tanwar : पैरालंपिक की पहली भारतीय ताइक्वांडो खिलाड़ी, पिता ने लिया लोन, मां ने बेचे गहने
रोहतक, 24 अगस्त। ये हैं अरुणा तंवर। महज 21 साल की है। इन्होंने छोटी उम्र में बड़ी उड़ान भरी है। अंदाजा इस बात से लगा लिजिए कि हरियाणा के छोटे से गांव में जन्मी अरुणा तंवर ने पैरालंपिक तक का सफर तय कर लिया है। बुलंद हौसलों के चलते परिवार की आर्थिक तंगी भी इनकी राह नहीं रोक पाई।
अरुणा तंवर को वाइल्ड कार्ड एंट्री
अरुणा तंवर भारत की वो एकमात्र ताइक्वांडो खिलाड़ी हैं, जो पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रही हैं। आज तक भारत का कोई खिलाड़ी ताइक्वांडो के लिए ओलंपिक में क्वालिफाई ही नहीं कर पाया। टोक्यो पैरालंपिक 2020 में अरुणा तंवर को वाइल्ड कार्ड एंट्री मिली है।
अरुणा तंवर के कोच का इंटरव्यू
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के ताइक्वांडो कोच अशोक कुमार ने एथलीट अरुणा सिंह तंवर के बचपन से लेकर अब टोक्यो पैरालंपिक में भारत की पदक की सबसे बड़ी उम्मीद बनने तक की पूरी कहानी बयां की है, जो हर किसी के लिए प्रेरणादायी है।
ताइक्वांडो खिलाड़ी अरुणा तंवर की जीवनी
अशोक कुमार बताते हैं कि अरुणा का जन्म 21 साल पहले हरियाणा के भिवानी जिले के गांव डिनोद में नरेश कुमार व सोनिया देवी के घर पहली संतान के रूप में बेटी अरुणा पैदा हुई। अरुणा के हाथों की लंबाई सामान्य हाथों से काफी कम है। हाथ में सिर्फ दो ही अंगूली हैं। मां हाउसवाइफ व पिता नरेश कुमार भिवानी की केमिकल फैक्ट्री में चालक हैं।
अरुणा तंवर ने कैसे शुरू किया ताइक्वाडो?
कोच अशोक कुमार कहते हैं कि अरुणा भिवानी के सरकारी स्कूल में कक्षा सात में पढ़ रही थी तब स्कूल आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाते थे। उसी दौरान अरुणा की दिलचस्पी ताइक्वाडो में हो गई। फिर वह 2017 में रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) आई और अशोक तंवर से प्रशिक्षण लेना शुरू किया।
विश्व में चार नंबर की खिलाड़ी
बता दें कि अरुणा तंवर पैरा ताइक्वांडो में विश्व की 4 नंबर की खिलाड़ी हैं। ये पैरालंपिक टोक्यो में के44 अंडर 49 केसी वर्ग में हिस्सा लेंगी। ये टोक्यो के लिए 27 अगस्त को रवाना होंगी। दो सितम्बर को इनका इवेंट है।
अरुणा तंवर को क्यों मिली वाइल्ड कार्ड एंट्री
बता दें कि अप्रेल में टोक्यो पैरालंपिक के लिए जॉर्डन में क्वालीफाई मैच हुए थे। अरुणा को भारत में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते जॉर्डन जाने के लिए इजाजत नहीं मिली। बाद में विश्व ताइक्वाडो की ओर से अरुणा के प्रदर्शन को देखते हुए इसे वाइल्ड कार्ड एंट्री दिलवाई गई।
माता-पिता ने नहीं रोके बेटी के बढ़ते कदम
बता दें कि टोक्यो पैरालंपिक में भारत की पदक की उम्मीद बनने में अरुणा की मेहनत के साथ-साथ उसके माता-पिता का सपोर्ट है। अरुणा के खेल खर्च निकालने के लिए पिता ने कर्ज लिया और माता ने अपने गहने बेच दिए। अब हरियाणा सरकार और भारत सरकार ने भी अरुणा की आर्थिक मदद की है।
पांच बार की नेशनल चैम्पियन
बता दें कि अरुणा नेशलन व इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में कई पदक अपने नाम कर चुकी है। ये लगातार पांच बार नेशनल और सात बार स्टेट लेवल की चैम्पियन रही है। इसके अलावा कोरिया किमांग कप इंटरनेशनल पैरा ताइक्वांडो चैंपियनशिप 2018 में स्वर्ण पदक, फोर्थ ताइक्वांडो चैंपियनशिप वियतनाम में 2021 में सिल्वर मेडल, एशियन रिजन प्रिसिडेंट कप 2019 में में सिल्वर मेडल पदक जीता।