पाकिस्तानी जेलों में बंद हिंदुस्तानी मछुआरों की पत्नियां बोलीं- स्वतंत्रता दिवस आ रहा है, पतियों को मुक्त कराए
राजकोट। समुद्र में मछली पकड़ने के दरम्यान भारतीय मछुआरों को हमेशा पाकिस्तानियों द्वारा कैद किया जाता रहा है। पाकिस्तान मरीन सिक्योरटी एजेंसी के सुरक्षाबल भारतीय मछुआरों को अरब सागर से अगवा करते हैं। उसके बाद उन्हें कराची समेत कई अन्य स्थानों पर जेलों में बंद कर देते हैं। अब स्वतंत्रता दिवस से पहले गुजरात के मछुआरा-संगठनों ने अपने यहां के मछुआरों की मुक्ति की सरकार से गुहार लगाई है। जिनमें मछुआरों की औरतों और बच्चों ने कहा है कि, जब स्वतंत्रता दिवस आ रहा है तो दोनों देशों की आपसी कूटनीति के तहत उनके घरवालों को पाकिस्तान की जेलों से रिहा किया जाए। राजकोट जिले की कई महिलाओं ने अपने पतियों की मानवीय आधार पर रिहाई की मांग की है।
पाक
जेल
में
बंद
मछुआरे
रमणभाई
पारेख
की
पत्नी
बोलीं-
"घर
परिवार
चलाने
के
लिए
पति
मछलियां
पकड़ते
थे।
समुद्र
से
उन्हें
पाकिस्तानियों
ने
हिरासत
में
लिया
और
पाकिस्तान
ले
गए।
इस
घटना
को
तीन
साल
हो
गए।
मैंने
पिछले
तीन
वर्षों
से
इस
संबंध
में
राज्य
के
साथ-साथ
केन्द्र
सरकार
से
गुहार
लगाई,
लेकिन
अब
तक
कोई
कार्रवाई
नहीं
हो
सकी
है।"
वहीं,
जीतूभाई
की
पत्नी
रमीलाबेन
ने
कहा
कि,
"जो
मछुआरा
पकड़े
जाते
हैं,
सरकार
की
ओर
से
उनके
परिवार
को
हर
महीने
9
हजार
रुपए
की
मदद
दी
जाती
है,
लेकिन
हमें
अब
रुपयों
की
मदद
नहीं
चाहिए
बल्कि,
पति
की
पाकिस्तान
की
जेल
से
रिहाई
चाहिए।"
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एक अन्य महिला हीराबेन ने कहा कि, "हमारे पति भी 3 साल से पाकिस्तानियों की कैद में हैं। बेटा जब पांच महीने का था, तब पाकिस्तानी मरीन एजेंसी ने मेरे पति को मछली पकड़ते वक्त अगवा कर लिया। अब मुझसे मेरा बेटा अपने पिता के बारे में पूछता है। मैं उसे क्या-क्या कहकर रोकती हूं, मुझे ही पता है। इस नन्हे बच्चे को सरकार क्या जवाब देना चाहेगी?"
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इसी तरह कई और औरतों ने भी अपनी-अपनी पीड़ा जाहिर की। जिनमें मुंबई के जतिन देसाई, पोरबंदर के जीवन भाई डुगी और कोडिनार के बालूभाई सहित मछुआरों की पत्नियां शामिल हैं।