अब 355 मछुआरों को रिहा करेगा पाकिस्तान, 500 से ज्यादा भारतीय कर रखे हैं कैद
Gujarat News in Hindi, पोरबंदर। हिंदुस्तान-पाकिस्तान में व्याप्त तनाव के बीच सरहद पार से एक राहत भरी खबर आई है। पाकिस्तानी जेलों में बंद हिंदुस्तानियों पर वहां की हकूमत कुछ रहमदिल हुई है। इस महीने उसने करीब 355 मछुआरों को रिहा करने की बात कही है। इस फैसले पर वहां आगामी 8 अप्रैल को अमल किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 355 मछुआरों के साथ ही 5 अन्य नागरिकों की वतन वापसी हो सकती है।
500 से ज्यादा भारतीय पाकिस्तान की जेलों में बंद
बता दें कि दोनों मुल्कों के द्विपक्षीय समझौते के प्रावधानों के तहत पाकिस्तान ने वर्ष 2019 की शुरूआत से पहले एक स्टेटमेंट जारी कर बताया था कि उसके यहां भारत के 537 लोग जेलों में बंद हैं। इनमें 483 मछुआरे और 54 अन्य कैदी हैं। इन सभी की लिस्ट पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद स्थित भारत के उच्चायोग को सौंपी थी। स्टेटमेंट में कहा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच 21 मई, 2008 को हुए राजनयिक पहुंच संबंधी समझौते के तहत यह कदम उठाया गया।
एक जनवरी और एक जुलाई को शेयर होती है कैदियों की लिस्ट
राजनयिक पहुंच संबंधी समझौते के तहत दोनों मुल्कों को हिरासत में मौजूद कैदियों की सूची एक साल में दो बार- एक जनवरी और एक जुलाई को एक दूसरे के साथ शेयर करनी होती है। इसके अनुसार, भारत सरकार भी नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग को भारत में बंद उसके कैदियों की सूची सौंपती है। अब पाकिस्तान ने अपने यहां जेलों में बंद भारतीय कैदियों में से 355 मछुआरों को छोड़ने की बात कही है।
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वाघा बॉर्डर के रास्ते होगी वतन वापसी
यदि पाकिस्तान इन कैदियों को रिहा करता है, तो 8 अप्रैल से अलग-अलग चार समूहों में इन सभी की वाघा बॉर्डर के रास्ते देश में एंट्री होगी।पाक के इस निर्णय पर भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने सराहना की है और इसे तनाव कम करने की दिशा में अच्छा कदम करार दिया है।
आखिर कैसे पाकिस्तान की गिरफ्त में आ जाते हैं मछुआरे
समुद्र से सटे गुजरात के ज्यादातर इलाकों में रोजगार का मुख्य साधन मत्स्य उद्योग ही है। जिसके चलते यहां के लोग पोरबंदर और जखौ-बंदर से बोट में सवार होकर मछुआरी के लिए जाते हैं। इसी दौरान अनजाने में कभी-कभी वे पाकिस्तान प्रभाव क्षेत्र वाली दरियाई सीमा में चले जाते हैं। पाकिस्तान मरीन सिक्योरिटी उन्हें किडनैप करके ले जाती है और वहां अपनी जेलों में बंद कर देती है। हालांकि, समझौते के तहत बहुत से मछुआरों की वापसी होती है, मगर बोट और मछुआरों का अन्य सामान वापस नहीं किया जाता।