दुबई से लौटे कोरोना के मरीज को सरकारी अस्पताल ने नकारा, प्राइवेट लैब से जांच हुई तो आइसोलेट हुआ
राजकोट. कोरोना वायरस की वजह से कोहराम मचा हुआ है। पूरा देश 21 अप्रैल तक लॉकडाउन हो चुका है। संक्रमण रोकने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें लगातार सख्ती भरे कदम उठा रही हैं। वहीं, राजकोट में सरकारी अस्पताल की लापरवाही सामने आई है। यहां कुछ चिकित्सकों ने गैरजिम्मेदाराना हरकत की। जिसे खुद एक कोरोना पॉजिटिव मरीज ने उजागर किया है। यहां 36 साल का एक शख्स जो पिछले दिनों दुबई से लौटा था। वह 21 मार्च को तबियत बिगड़ने पर सरकारी अस्पताल पहुंचा था।
'मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई'
शख्स के आरोप हैं कि, अस्पताल में मौजूद डॉक्टर्स को अपनी ट्रैवल हिस्ट्री के बारे में बताया और कहा कि मुझे कोरोना से संक्रमित होने की आशंका है। इस पर डॉक्टर ने सीने का टेस्ट कराते हुए मुझे वापस घर में रेस्ट करने की सलात दी। मेरे पास टेस्ट की रिपोर्ट है, इसमें आप देख सकते हैं कि कैसे सरकारी अस्पताल में मेरे साथ नाइंसाफी हुई। शख्स के मुताबिक, खुद में लक्षणों को देखते हुए मैं एक अन्य हॉस्पिटल गया, जो कि प्राइवेट था। मगर, वहां भी कोरोना टेस्ट की किट नहीं होने के कारण निराश होकर लौटना पड़ा। आख़िरकार, सोमवार को दूसरे निजी अस्पताल पहुंचा और वहां कोरोना का टेस्ट कराया। उसके बाद मंगलवार को मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई और फौरन आइसोलेशन में रखा गया।
' सरकारी हॉस्पिटल ने तो कोरोना की रिपोर्ट कराना भी जरूरी नहीं समझा'
पीड़ित का कहना है कि, तीन दिनों पहले सामने से जाने के बावजूद सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने तो कोरोना की रिपोर्ट कराना भी जरूरी नहीं समझा था। मगर, मैं तो कोरोना से पीड़ित निकला। अगर मैं निजी अस्पताल नहीं जाता तो कोरोना के संक्रमण का पता नहीं चल पाता और मेरी मौत भी हो सकती थी।' शख्स ने आरोप लगाया कि, दूसरे लोगों को भी कोरोना हुआ हो सकता है। ऐसे में लापरवाही के लिए सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों पर कार्रवाई हो।
मुंबई के रास्ते राजकोट पहुंचा था
संवाददाता के अनुसार, उक्त शख्स मुंबई के रास्ते राजकोट पहुंचा था। वह मुंबई से फ़्लाइट में आया या ट्रेन में, इसकी जानकारी प्रशासन के पास नहीं है। उस शख्स के आरोपों के बारे में टेक्निकल जांच के बाद जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन जिला कलेक्टर द्वारा दिया गया है।