CAA : ये हैं वो महिलाएं जो ना पाकिस्तानी ना हिन्दुस्तानी, इनके बच्चे हैं भारतीय, जानिए कैसे?
बाड़मेर। नागरिकता संशोधन कानून 2019 (सीएए) इन दिनों सुर्खियों में है। कहीं इसके खिलाफ तो कहीं समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं। सीएए में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से बिना किसी वैध कागजात के 31 दिसंबर 2014 से पहले जो हिंदू, पारसी, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई यहां आ चुके हैं, उन्हें भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। इस बीच जानिए कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में जो राजस्थान में रहती हैं, मगर ना तो पाकिस्तानी हैं और ना ही हिन्दुस्तानी जबकि इनके बच्चे भारतीय हैं।
राजस्थान का बाड़मेर जिला भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित हैं। यहां 13 मुस्लिम और 30 से ज्यादा ऐसी हिन्दू महिलाएं हैं, जो पाकिस्तान में पैदा हुईं और शादी करके बाड़मेर आ गईं । शादी के बाद बच्चे भी हो गए, मगर इन्हें अभी भी भारतीय नागरिकता मिलने का इंतजार है। नागरिकता संशोधन कानून 2019 से इन्हें जल्द नागरिकता मिलने की उम्मीद जगी है।
छोड़ दी पाकिस्तानी नागरिकता
पाकिस्तान के हैदराबाद में पैदा हुई राबिया 13 साल पहले दुल्हन बनकर बाड़मेर आई और यहीं की बनकर रह गई। राबिया ने तीन साल पहले पाकिस्तान की नागरिकता छोड़कर पासपोर्ट जमा करवा दिया। इनके पति और बच्चों का जन्म बाड़मेर में ही होने के कारण वे हिन्दुस्तानी हैं, मगर पाकिस्तान की नागरिकता छोड़ने के बाद से राबिया ना तो पाकिस्तान और ना ही हिन्दुस्तान की नागरिक है। भारतीय नागरिकता के लिए प्रयासरत है।
दो बहनों को भी नागरिकता का इंतजार
पाकिस्तान के सणोई की रहने वाली दो बहनें छगनबाई और पवनबाई की शादी भी बाड़मेर जिले में हुई। दोनों फरवरी 2007 से यहां पर बिना नागरिकता के रह रही हैं। छगनबाई की शादी जसोल में बृजराजसिंह से हुई, जिनका 2010 में निधन हो गया। दोनों की शादी का प्रमाण पत्र नहीं बनने से उनके अन्य दस्तावेज को लेकर काफी परेशानी आई और अब उन्होंने सारे दस्तावेज नियमानुसार जमा कर दिए हैं। बारह साल से छगनबाई व उसकी बहन को भारतीय नागरिकता मिलने का इंतजार है।
अब नागरिकता देने में ना हो देरी
पाक विस्थापित नेपाल सिंह सोढ़ा बताते हैं कि उनकी दोनों बहनें बाड़मेर में रहती हैं। वे खुद भी यहां पर छह साल से दीर्घअवधि वीजा पर हैं। बहन पवन बाई और छगन बाई को भारत में रहते 12 साल से ज्यादा समय होने पर अब उन्हें जल्द ही नागरिकता मिलने की उम्मीद है। अन्य पाक विस्थापित पुष्पेन्द्र सिंह सोढ़ा कहते हैं कि भारत सरकार को नागरिकता के ऐसे मामले जल्द निस्ताकरण करने चाहिए जिनमें लोग हिन्दुस्तान आकर बस गए और पाकिस्तान की नागरिकता छोड़ चुके हैं। सरहदी इलाके बाड़मेर-जैसलमेर में ऐसे मामले काफी हैं।