Rajasthan: कांग्रेस के गढ़ सीकर में Subhash Maharia की 8 साल बाद BJP में वापसी के बाद क्या चुनौतियां?
Rajasthan Congress Leader Subhash Maharia To Join BJP Party: सीकर के पूर्व सांसद सुभाष महरिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली।
Rajasthan Congress Leader Subhash Maharia To Join BJP Party: राजस्थान में दिग्गज जाट नेता सुभाष महरिया की नौ साल बाद भाजपा में घर वापसी हो गई है। शुक्रवार को जयपुर में सुभाष महरिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली।
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सुभाष महरिया सीकर से तीन बार सांसद रह चुके हैं। सीकर कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में भी सीकर की आठों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी ही जीते थे। ऐसे में भाजपा में वापसी के बाद सुभाष महरिया के सामने के कई चुनौतियां हैं।
सुभाष महरिया के सामने पहली चुनौती
अटल बिहारी वाजपेयी सरकारी में राज्यमंत्री रहे सुभाष महरिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 हैं, जिनमें सभी सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए कांग्रेस हर संभव कोशिश करेगी। वहीं, भाजपा खाता खोलने को जोर लगाएगी।
सुभाष महरिया के सामने दूसरी चुनौती
मीडिया में खबर ये भी है कि सुभाष महरिया राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ सीट से भाग्य आजमा सकते हैं। राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा लक्ष्मणगढ़ से ही विधायक हैं। आगामी चुनाव में महरिया का मुकाबला डोटासरा से होना तय है, जो कम चुनौतीपूर्ण नहीं है।
सुभाष महरिया के सामने तीसरी चुनौती
सुभाष महरिया के पास जनाधार तो है। तभी तो ये तीन बार सीकर लोकसभा सीट से संसद पहुंच गए, मगर राजस्थान विधानसभा चुनाव में इनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। साल 2013 में सुभाष महरिया ने लक्ष्मणगढ़ सीट से डोटासरा के सामने चुनाव लड़ा था। तब भाजपा ने 200 से 163 सीटें जीती थीं, मगर महरिया भाजपा की इस लहर में भी सीट नहीं निकाल पाए थे।
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सुभाष महरिया ने पहले क्यों छोड़ी थी भाजपा?
साल 1998, 1999 और 2004 में सुभाष महरिया भाजपा की टिकट पर सांसद बने। साल 2009 में कांग्रेस के महादेव सिंह खंडेला के सामने हार गए। साल 2014 में टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार गए। साल 2016 में महरिया ने भाजपा छोड़ कांग्रेस ज्वाइन कर ली। लोकसभा चुनाव 2019 में सुभाष महरिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और भाजपा के स्वामी सुमेधानंद सरस्वती के सामने हार गए। अब विधानसभा चुनाव 2023 से पहले वापस भाजपा में आ गए।