Gunesha Ram Barmer : 11 बार फेल होने के बाद बना शिक्षक भर्ती टॉपर, 9 भाई-बहनों में इकलौता पढ़ा-लिखा
बाड़मेर। कहते हैं बार-बार का प्रयास सफलता दिलाता हैं, लेकिन यह सफलता 11 बार की असफलताओं के बाद मिले तो इसके मायने बदल जाते हैं। आज हम आपको मिलवाते हैं राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर के उस युवा से जिसने तंगहाली औऱ अभावों में भी शिक्षक बनने के सपने को संजोया रखा और 11 बार असफल होने के बाद ना केवल सफलता के झंडे गाड़े बल्कि फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती में बाड़मेर जिले में पहली पायदान (इतिहास) हासिल करने के साथ जोधपुर संभाग में सिरमौर बना है।
Recommended Video
टीचर गुणेशा राम दैया का इंटरव्यू
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में गुणेशा राम ने बताया कि उन्हें बतौर प्रथम श्रेणी शिक्षक के रूप में बाड़मेर जिले की चौहटन तहसील के सणाउ गांव के स्कूल में 19 मार्च 2021 को ज्वाइनिंग मिली है। गणेशाराम खुद बाड़मेर के गांव खारा राठौड़ान का रहने वाला है। बाड़मेर के गणेशाराम के चर्चे कई दिन से जिलेभर में हैं। हो भी क्यों नहीं उनकी सफलता से ज्यादा उनके संघर्ष की कहानी हर किसी को प्रभावित कर रही है। गुणेशा राम ने 5 सितम्बर 2020 को द्वितीय श्रेणी शिक्षक और दिसम्बर में प्रथम श्रेणी शिक्षक बनने में सफलता हासिल की।
Shyam Sundar Bishnoi : किसान के बेटे की 12 बार लगी सरकारी नौकरी, बड़ा अफसर बनकर ही माना
गणेशाराम बाड़मेर का परिवार
बता दें कि गुणेशा राम के पिता रावताराम सिलाई का काम किया करते थे, मगर अब घर पर ही रहते हैं। बुजुर्ग हैं। मां गोमी देवी का 2013 में निधन हो चुका है। गुणेशा राम नौ भाई-बहनों में आठवें नंबर का है। तीन भाई व छह बहन हैं। गणेशाराम के भाई बहन पांचवीं-छठी कक्षा से ज्यादा नहीं पढ़ पाए। गणेशाराम अपने परिवार से दसवीं पास करने वाला पहला शख्स है।
जुलाई में होगी गणेशाराम की शादी
गणेशाराम ने बताया कि जुलाई 2021 में उनकी शादी होने वाली है। बाड़मेर शहर की सपना के साथ गणेशाराम की सगाई हो रखी है। सपना भी टीचर भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही है। बता दें कि गणेशाराम ने हाई स्कूल बाड़मेर से शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद बाड़मेर के सरकारी स्कूल स्नातक की डिग्री ली। फिर उदयपुर से बीएड किया।
खिंदाराम कलबी : 6 बार फेल होकर भी नहीं मानी हार, 7वीं बार में किया राजस्थान टॉप, माता-पिता निरक्षर
12वें प्रयास में मिली सफलता
27 मार्च 1988 को जन्मे गणेशाराम ने बताया कि उसने स्नातक करने के बाद ही तय कर लिया था कि शिक्षक बनना है। इसके लिए तैयारियों में जुट गया। थर्ड ग्रेड शिक्षक परीक्षा में तीन बार, सेकेण्ड ग्रेड में तीन बार, फर्स्ट ग्रेड में पांच बार दी, मगर हर बार फेल हुआ। लोग ताने मारने लगे थे कि तुमसे नहीं हो पाएगा। फिर भी गणेशाराम ने हिम्मत नहीं हारी और 12वें व 13वें प्रयास में लगातार सफलता पाई। आज सरकारी स्कूल में व्याख्याता है।
जानिए कौन हैं यह IAS Monika Yadav जिसकी राजस्थान की पारम्परिक वेशभूषा में तस्वीर हो रही वायरल
प्रदेशभर में पाया 18वां स्थान
गणेशाराम के परिवार की माली हालत जहां उसके कदमों को जकड़ने का काम करती रही तो इसके पिता के शब्द इसे नही रुकने का हौसला देते रहे। यही वजह रही कि साइकिल पर पेंडल मारते पैरों ने सफलता की लंबी छलांग मारी है। गणेशाराम ने राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में राज्य में 18वीं पायदान हासिल की। सरहदी जिले बाड़मेर के गणेशाराम की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट सरीखी लगती है और कहानी का अंत बहुत सुखद भी है।
गणेशाराम की सफलता का राज
एक बार की असफलता से हार मानने वालों के लिए 11 बार की असफलता के बाद सफलता का ताज हासिल कर चुके गणेशाराम की कहानी सही मायने किसी मिसाल से कम नही है। गणेशाराम कहता है कि मेरी सफलता का राज सिर्फ इतना सा है कि कभी हार मत मानो और मेहनत में कमी मत छोड़ो।
उदयपुर पहुंचीं कंगना रनौत, ट्विटर पर दिल का निशान बनाकर लिखा-'मेरे सबसे खास व्यक्ति से मिलने आई हूं'